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दिनांक - -२९ नवम्बर २०२४ ईस्वी

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷



दिनांक  - -२९ नवम्बर २०२४ ईस्वी


दिन  - - शुक्रवार 


  🌘 तिथि -- त्रयोदशी ( ८:३९ तक तत्पश्चात चतुर्दशी )


🪐 नक्षत्र - - स्वाती ( १०:१८ तक तत्पश्चात  विशाखा )

 

पक्ष  - -  कृष्ण 

मास  - -  मार्गशीर्ष 

ऋतु  - - हेमन्त 

सूर्य  - -  दक्षिणायन 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ६:५५ पर  दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १७:२४ पर 

 🌘चन्द्रोदय  --  २९:५९ पर 

 🌘 चन्द्रास्त  - - १५:५४ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २००


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


शान्ति की खोज

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  "शांति" की खोज में चलने वाले पथिक को यह जान लेना चाहिए कि अकेले रहने या जंगल, पर्वतों में निवास करने से "शांति" का कोई संबंध नहीं । यदि ऐसा होता तो अकेले रहने वाले जीव-जंतुओं को "शांति" मिल गई होती और जंगल पर्वतों में रहने वाली अन्य जातियाँ कब की शांति प्राप्त कर चुकी होती ।


  अशांति का कारण है, "आंतरिक-दुर्बलता ।" स्वार्थी मनुष्य बहुत चाहते हैं और उसमें कमी रहने पर खिन्न होते हैं ।


   "अहंकारी" का क्षोभ ही उसे जलाता रहता है । कायर मनुष्य हिलते हुए पत्ते से भी डरता है और उसे अपना भविष्य अंधकार से घिरा दीखता है । "असंयमी" की तृष्णा कभी शांत नहीं होती । इस कुचक्र में फँसा हुआ मनुष्य सदा विक्षुब्ध ही रहेगा, भले ही उसने अपना निवास सुनसान एकांत में बना लिया हो ।


   नदी या पर्वत सुहावने अवश्य लगते हैं । विश्राम या जलवायु की दृष्टि से वे स्वास्थ्यकर हो सकते हैं, पर "शांति" का उनमें निवास नहीं । चेतन आत्मा को यह जड़ पदार्थ भला "शांति" कैसे दे पाएँगे ? "शांति" अंदर रहती है और जिसने उसे पाया है, उसे अंदर ही मिली है । अशांति उत्पन्न करने वाली विकृतियों को जब तक परास्त न किया जाए, तब तक शांति का दर्शन नहीं हो सकता, भले ही कितने सुरम्य स्थानों में कोई निवास क्यों न करता रहे ।


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 🚩‼️आज का वेद मंत्र ‼️🚩


 🔥ओ३म्  माहिर्भूर्मा पृदाकुर्नमस्तऽआतानानर्वा प्रेहि।

घृतस्य कुल्याऽउपऽऋतस्य पथ्याऽअनु॥ यजुर्वेद ६-१२॥


🌷हे विद्वान मनुष्य, तुम सर्प की तरह कुटिल मार्ग गामी ना बनो, ना ही बाघ की तरह हिंसक बनो और ना ही मूर्ख की तरह घमंडी बनो। तुम बिना हिंसा और घमंड के सीधे और सरल बनो। सत्य के मार्ग पर चलो तुम्हें सभी सुख साधन मिलते चले जाएंगे।


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, मार्गशीर्ष - मासे, कृष्ण पक्षे, त्रयोदशम्यां

 तिथौ, स्वाती

 नक्षत्रे, शुक्रवासरे

 , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे ढनभरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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