Ad Code

अदृश्य दिव्य आत्माज्ञान: अन्तरयात्रा मै भारत हूं।


अदृश्य दिव्य आत्माज्ञान: अन्तरयात्रा मै भारत हूं।

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

  1. ओ३म् द्वाविमौ वातौ वात आसिन्धोरा परावतः| दक्षं ते अन्य आवतु परान्यो वातु यद्रपः|| ऋग्वेद १० , १३७-२

    जवाब देंहटाएं

If you have any Misunderstanding Please let me know

Ad Code