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होनी बहुत बलवान है।*🍀🍀

🍀🍀*होनी बहुत बलवान है।*🍀🍀

🚩🚩अभिमन्यु के पुत्र ,राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उन के लड़के जनमेजय राजा बने। 

🚩🚩एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे। बातों ही बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से  वेदव्यास जी से कहा.. कि,"जहां आप समर्थ थे ,भगवान श्रीकृष्ण थे, भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य कुलगुरू कृपाचार्य जी , धर्मराज  युधिष्ठिर , जैसे महान लोग उपस्थित थे.....फिर भी आप महाभारत के  युद्ध को होने  से नहीं रोक पाए और देखते-देखते अपार जन-धन की हानि हो गई। यदि मैं उस समय रहा होता तो, अपने पुरुषार्थ से इस विनाश को होने से बचा लेता"।

🚩अहंकार से भरे जन्मेजय के शब्द सुन कर भी, व्यास जी शांत रहे।

🚩उन्होंने कहा," पुत्र अपने पूर्वजों की क्षमता पर शंका न करो। यह विधि द्वारा निश्चित था,जो बदला नहीं जा सकता था, यदि  ऐसा हो  सकता तो  श्रीकृष्ण में ही इतनी  सामर्थ्य  थी  कि  वे युद्ध को रोक सकते थे। 

🚩जन्मेजय अपनी बात पर अड़ा रहा और बोला , "मैं इस  सिद्धांत  को नहीं मानता। आप तो भविष्यवक्ता है,  मेरे जीवन की होने वाली किसी होनी को बताइए...मैं उसे रोककर प्रमाणित कर दूंगा कि विधि का विधान निश्चित नहीं होता"।

🚩व्यास जी ने कहा,"पुत्र यदि तू यही चाहता है तो सुन...."।

🚩🚩*कुछ वर्ष बाद तू काले घोड़े पर बैठकर  शिकार करने जाएगा दक्षिण दिशा में समुद्र तट पर पहुंचेगा...वहां  तुम्हें एक सुंदर स्त्री मिलेगी..  जिसे  तू  महलों  में लाएगा , और  उससे  विवाह करेगा। मैं तुम को  मना  करूँगा  कि  ये  सब  मत करना लेकिन फिर भी तुम यह  सब करोगे । इस के बाद उस  लड़की के  कहने पर तू  एक यज्ञ करेगा..। मैं तुम को आज ही चेता कर रहा हूं कि उस यज्ञ को तुम वृद्ध ब्राह्मणो से कराना..लेकिन, वह यज्ञ तुम युवा  ब्राह्मणो से कराओगे.... और..*

🚩जनमेजय  ने  हंसते हुए  व्यासजी की बात काटते हुए कहा कि,"मै आज के बाद काले घोड़े पर ही नही बैठूंगा.. तो ये  सब घटनाऐ घटित ही नही होगी। 

🚩व्यासजी  ने  कहा कि ,"ये सब होगा.. और अभी आगे की सुन... ,"उस यज्ञ मे एक  ऐसी  घटना  घटित  होगी.... कि तुम , उस  रानी  के कहने  पर उन युवा ब्राह्मणों को प्राण दंड दोगे, जिससे तुझे ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा...और..तुझे कुष्ठ रोग होगा..  और वही तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इस घटनाक्रम को रोक सको तो रोक लो"।

🚩वेदव्यास जी की बात सुनकर जन्मेजय ने एहतियात वश शिकार पर जाना ही छोड़ दिया। परंतु जब होनी का समय आया तो उसे शिकार  पर  जाने की बलवती  इच्छा हुई। उस ने  सोचा कि  काला  घोड़ा नहीं लूंगा.. पर उस दिन उसे अस्तबल में काला घोड़ा ही मिला। तब उस ने सोचा कि..मैं दक्षिण  दिशा में  नहीं जाऊंगा परंतु घोड़ा अनियंत्रित  होकर  दक्षिण दिशा  की ओर गया और  समुद्र  तट पर  पहुंचा वहां पर उसने एक  सुंदर  स्त्री को देखा, और उस पर मोहित हुआ । जन्मेजय  ने सोचा कि इसे लेकर  महल मे तो जाउंगा....लेकिन शादी नहीं करूंगा। 
🚩परंतु,  उसे  महलों  में  लाने  के बाद, उसके प्यार  में पड़कर उस  से विवाह भी कर लिया। फिर रानी के कहने से जन्मेजय द्वारा यज्ञ भी किया गया। उस यज्ञ में युवा ब्राह्मण ही, रक्खे गए। 
🚩किसी बात पर युवा ब्राह्मण...रानी पर हंसने लगे। रानी क्रोधित हो गई ,और रानी के  कहने  पर राजा जन्मेजय ने उन्हें प्राण दंड  की  सजा  दे दी.. ,  फलस्वरुप  उसे कोढ हो गया।

🚩अब  जन्मेजय घबरा गया.और तुरंत  व्यास  जी  के  पास पहुंचा... और उनसे जीवन बचाने के लिए प्रार्थना करने लगा।

🚩वेदव्यास जी ने कहा कि,"एक अंतिम अवसर  तेरे  प्राण  बचाने  का  और  देता हूं......., मैं तुझे महाभारत में हुई घटना का श्रवण  कराऊंगा  जिसे  तुझे  श्रद्धा  एवं विश्वास  के  साथ  सुनना है..., इससे तेरा कोढ् मिटता जाएगा। 
🚩परंतु  यदि  किसी  भी  प्रसंग पर  तूने अविश्वास  किया.., तो  मैं  महाभारत  का प्रसंग  रोक दूंगा.. , और  फिर  मैं  भी  तेरा जीवन नहीं बचा पाऊंगा...,याद रखना अब तेरे पास यह अंतिम अवसर है।

🚩अब  तक  जन्मेजय  को  व्यासजी की बातों पर पूरा विश्वास हो चुका था, इसलिए वह पूरी श्रद्धा और विश्वास से कथा श्रवण करने लगा। 

🚩व्यासजी ने कथा आरम्भ करी और जब भीम के बल  के वे प्रसंग सुनाए.... जिसमें  भीम  ने  हाथियों  को  सूंडों  से पकड़कर  उन्हें अंतरिक्ष में उछाला...,वे हाथी  आज  भी  अंतरिक्ष  में  घूम  रहे हैं....,तब जन्मेजय अपने आप को रोक नहीं पाया,और बोल उठा कि ये कैसे संभव  हो सकता है। मैं नहीं मानता।

🚩व्यास जी ने महाभारत का प्रसंग रोक दिया.... और  कहा.. कि ,"पुत्र  मैंने  तुझे कितना समझाया...कि अविश्वास मत करना... परंतु  तुम  अपने  स्वभाव  को  नियंत्रित नहीं कर पाए। क्योंकि यह होनी द्वारा निश्चित था"।

🚩फिर व्यास जी ने अपनी मंत्र शक्ति से आवाहन किया.. और वे  हाथी  पृथ्वी की आकर्षण  शक्ति  में  आकर  नीचे  गिरने लगे..... तब  व्यास  जी  ने कहा, यह मेरी बात का प्रमाण है"।

🚩🚩जितनी मात्रा में जन्मेजय ने श्रद्धा विश्वास से कथा श्रवण की,उतनी मात्रा में
वह उस कुष्ठ रोग से मुक्त हुआ  परंतु एक बिंदु रह गया और  वही उसकी  मृत्यु का कारण बना।
✍️✍️सार :-
🔥पहले बनती है तकदीरे फिर बनते हैं शरीर। 
🔥कर्म हमारे हाथ मे है...लेकिन उस का फल हमारे हाथों में नहीं  है।

✍️✍️गीता के 11 वें अध्याय के 33 वे श्लोक मैं श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं,"उठ खड़ा हो और अपने कार्य द्वारा यश प्राप्त कर। यह सब तो मेरे द्वारा पहले ही मारे जा चुके हैं तू तो केवल निमित्त बना है।

✍️✍️✍️होनी को टाला नहीं जा सकता लेकिन नेक कर्म व ईश्वर नाम जाप से होनी के  प्रभाव  को  कम  किया  जा  सकता है अर्थात  रोग आएंगे परंतु पीड़ा नहीं होगी।

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आपका दिन मंगलमय हो ।🌹🌹🌹🌹

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