*ऋषि धन्वन्तरि की जयंती पर शुभ कामनाएँ।
आयुर्वेद ऋग्वेद का उप वेद है और आदिकाल में आयुर्वेद की उत्पत्ति ब्रहा / ईशवर से ही मानी जाती है। आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का ज्ञान है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को अपनाकर पूरा विश्व संपूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है।संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है, जिसमें आयुर्वेद का पर्याप्त वर्णन है। आज विश्व में आयुर्वेद पुन: एक श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित हो रहा है। इस वेद पर जिन ऋषियों ने अनुसंधान किये उनको धन्वन्तरी कहा गया । धन्वन्तरी का अर्थ है सर्वभय और सर्वरोग विनाश कारी , ऋषि धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुणों को प्रकट किया। धनवंतरि ऋषियों ने कई ग्रंथ लिखे, उनमें से ही एक है धनवंतरि संहिता जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। आयुर्वेद के आदि : सुश्रुत मुनि ने ऋषि धनवंतरि से ही इस चिकित्साशास्त्र का ज्ञान प्राप्त किया था। बाद में चरक काश्यप ऋषि च्यवन आदि ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया।
धनवंतरी, आरोग्य, स्वास्थ्य, आयु और तेज के देवता ( ज्ञान देने वाले) हैं। ऋषि धनवंतरी आयुर्वेद जगत के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता हैं। धन्वंतरि सभी रोगों के निवारण में निष्णात थे। ऋषि धन्वंतरि भारत के गौरव हैं।
किन्तु गुलामी काल मे हिन्दू इस दिन का वास्तविक अर्थ भूल गया और इसे वस्तुएं खरीदने का दिन बना दिया
*वैदिक ज्ञान को न समझने के कारण हम न जाने और कितने पाखण्डों में गिरेंगे*
ऋषि कहते है आयुर्वेद का पालन करो तो तुम्हारे जीवन मे ऐश्वर्य आएगा ।
हमने उल्टा अर्थ लेकर खरीदारी शुरू कर दी।
आयुर्वेद ने #स्वस्थ #शरीर को ही #धन माना है।
पहला सुख #निरोगी काया और दूजा सुख घर में माया’ धन लक्ष्मी को दूसरा दर्जा दिया गया है।*
आयुर्वेद के अनुसार, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति स्वस्थ शरीर और दीर्घायु से ही हो सकती है।*
धनतेरस अर्थात भगवान ‘ ऋषि धन्वंतरि_जयंती’ का अर्थ*
- प्रकृति, औषधि वनस्पति और इन सबसे बढ़कर प्रकृति की गोद में उपजी प्राकृतिक निधियों की पूजा अर्थात सत्कार करना है।*
धन्वन्तरि जयंती का अर्थ इस दिवस पर प्रकृति की अनुकूलता प्राप्त करके, प्रकृति की असीम अनुकंपा प्राप्त करना है।*
धन्वंतरि नाम के ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं हुए हैं। जिसे आज हम सर्जन कहते हैं आयुर्वेद में उसे धन्वंतरि कहा गया है। शल्य चिकित्सक नहीं जिन्होंने संसार में #शल्य तंत्र को पुर्णतः विकसित किया। आज संसार में शल्य तंत्र (सर्जरी) आयुर्वेद की देन है।* धन्वन्तरि एक पदवी है।
ऋषि धन्वंतरि के जन्मदिन की शुभ कामनायें , हमारा जीवन आयुर्वेद के विरुद्ध न हो यही मेरी मंगल कामना है।
💐नित्य करो योग रहो निरोग*
*योगी बनो उप योगी बनो*
रोग आये -आयुर्वेद से दूर भगाओ*
*स्वस्थ रहो मस्त रहो*
*स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ*💐
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