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पीपल के पेड़ के विषय में यह भ्रामक बात जाने कैसे फैल गयी कि वह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है ???

 पीपल के पेड़ के विषय में यह भ्रामक बात जाने कैसे फैल गयी कि वह रात में ऑक्सीजन छोड़ता है ???



तथ्य या मिथ


"इसका कारण "ऑक्सीजन-उत्सर्जन" और पीपल दोनों को ही ढंग से न समझना है।"


"अब समझा कैसे जाए ?"


"पेड़-पौधे भी अन्य प्राणियों की ही तरह साँस चौबीस घण्टे लेते हैं। इस क्रिया में वे ऑक्सीजन वायुमण्डल से लेते हैं और कार्बनडायऑक्साइड छोड़ते हैं।


 लेकिन वे सूर्य के प्रकाश में एक और महत्त्वपूर्ण क्रिया भी करते हैं , जिसे प्रकाश-संश्लेषण कहा जाता है। इस क्रिया में वे अपना भोजन (ग्लूकोज़) स्वयं बनाते हैं, 


वायुमण्डल से कार्बनडायऑक्साइड और पृथ्वी से जल को लेकर। इस काम में उनका हरा रंजक (क्लोरोफ़िल) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सूर्य का प्रकाश भी। इसी प्रकाश-संश्लेषण के दौरान ग्लूकोज़ के साथ साथ ऑक्सीजन बनती है , जिसे वायुमण्डल में वापस छोड़ दिया जाता है।"


"यानि कि यदि पौधा या पेड़ हरा न हो और प्रकाश न हो , तो प्रकाश-संश्लेषण होगा ही नहीं।"


"बिलकुल नहीं।"


"तो ग्लूकोज़ और ऑक्सीजन बनेंगे ही नहीं।"


और उत्तर है, बिलकुल नहीं। 


ज़ाहिर है रात में जब प्रकाश न के बराबर रहता है, तो यह काम प्रचुरता से तो होने से रहा। 


पीपल और उस जैसे कई अन्य पेड़-पौधे कुछ और काम करते हैं, जिसे लोग ढंग से समझ नहीं पाये।


"क्या ?"


पीपल का पेड़ शुष्क वातावरण में पनपता है और इसके लिए उसकी देह में पर्याप्त तैयारियाँ हैं। पेड़-पौधों की सतह पर, विशेषत: पत्तियों की सतह पर 'स्टोमेटा' नामक नन्हें छिद्र होते हैं, जिनसे गैसों और जलवाष्प का आदान-प्रदान होता है। 


सूखे और गर्म वातावरण में पेड़ का पानी न निचुड़ जाए, इसलिए पीपल ऐसे मौसम में दिन में अपेक्षाकृत अपने स्टोमेटा बन्द करके रखता है।


इससे दिन में पानी की कमी से वह लड़ पाता है।


बिलकुल। लेकिन इसका एक नुकसान यह है कि फिर दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए कार्बन-डायऑक्साइड उसकी पत्तियों में कैसे प्रवेश करे ? क्योंकि स्टोमेटा तो बन्द हैं।


 तो फिर प्रकाश-संश्लेषण कैसे हो?


 ग्लूकोज़ कैसे बने ?


"तो ?"


तो पीपल व उसके जैसे कई पेड़-पौधे रात को अपने स्टोमेटा खोलते हैं और हवा से कार्बन-डायऑक्साइड बटोरते हैं। उससे मैलियेट नामक एक रसायन बनाकर रख लेते हैं। 


ताकि फिर आगे दिन में जब सूरज चमके और प्रकाश मिले , तो प्रकाश-संश्लेषण में सीधे वायुमण्डलीय कार्बन-डायऑक्साइड की जगह इस मैलियेट का प्रयोग कर सकें।


"यानी पीपल का पेड़ रात को भी कार्बन-डायऑक्साइडमे का शोषण करता है।"


"बिलकुल करता है। और वह अकेला नहीं है। कई हैं उस जैसे पेड़। अधिकतर रेगिस्तानी पौधे यही करते हैं। ऐरीका पाम , नीम, स्नेक प्लांट , ऑर्किड , और कई अन्य। 


रात को कार्बनडायऑक्साइड लेकर, उससे मैलियेट बनाकर आगे दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए प्रयुक्त करने की यह प्रक्रिया CAM मार्ग ( क्रासुलेसियन पाथवे ) के नाम से पादप-विज्ञान में जानी जाती है।


"तो पीपल रात को ऑक्सीजन नहीं छोड़ताछोड़ता, वह वायुमण्डल से कार्बनडायऑक्साइड बटोरता है, ताकि दिन में अपनी जल-हानि से बचकर, प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया सम्पादित कर सके।"


लेकिन अतिवृहद छत्रक (canopy), बड़ी, घनी और चौड़ी पत्तियाँ (pendulous leaves) और अपेक्षाकृत अतिविस्तृत leaf area होने के कारण पीपल में प्रकाश संश्लेषण एवं ऑक्सीजन उत्पादन की दर अन्य वृक्षों की तुलना में काफी अधिक होती है। 


श्वशन और प्रकाश संश्लेषण के बीच उच्च अनुपात भी वृक्ष के आसपास अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध करता है। लंबी आयु, शीतलता एवं अन्य अनेक जीवों का आश्रय स्थल होने के कारण इसे Keystone प्रजाति की श्रेणी में रखा गया गया। 


ये वो प्रजातियां होती हैं, जिनमें पर्यावरण की दशाओं में परिवर्तन की क्षमता होती है। यही गुण इस वृक्ष को महत्वपूर्ण और पूजनीय बनाते हैं।

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