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दिनांक - -२६ नवम्बर २०२४ ईस्वी

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷



दिनांक  - -२६ नवम्बर २०२४ ईस्वी


दिन  - - मंगलवार 


  🌘 तिथि -- एकादशी ( २७:४७ तक तत्पश्चात द्वादशी )


🪐 नक्षत्र - - हस्त ( २८:३५ तक तत्पश्चात  चित्रा )

 

पक्ष  - -  कृष्ण 

मास  - -  मार्गशीर्ष 

ऋतु  - - हेमन्त 

सूर्य  - -  दक्षिणायन 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ६:५३ पर  दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १७:२४ पर 

 🌘चन्द्रोदय  --  २७:१३ पर 

 🌘 चन्द्रास्त  - - १४:२६ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २००


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


  🔥शोक शास्त्र ज्ञान और बुद्धि नष्ट कर देता है, शोक से धैर्य नष्ट होता है, शोक से समस्त खुशियां नष्ट हो जाती है अत: शोक के समान कोई शत्रु नही। बीती हुई बातों का शोक नहीं करना चाहिए, भविष्य की चिन्ता भी नही करानी चाहिए और बुद्धिमानी की बात तो यह है कि वर्तमान काल के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करने में जुटे रहना चाहिए। सब समस्याओं को सुलझाने का एक ही उपाय है  -  प्रयत्न करना और प्रयत्न करना। 


🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁


🚩‼️आज का वेद मंत्र ‼️🚩


🌷ओ३म् भद्रं कर्णेभि: श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:।स्धिरैड्गैस्तुष्टुवां सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायु:।। (यजुर्वेद २५|२१)


💐अर्थ  :- हे दिव्य गुणयुक्त सृष्टि कर्ता देवेश्वर! आप की कृपा से कानों द्वारा हम सदैव भद्रं- कल्याण को ही सुनें अकल्याण की बात हम कभी न सुनें। हे यज्ञनीश्वर  !  हम आखों से सदा शुभ देखें।  हे जगदीश  ! हमारे सब अंग उपाङग सदा दृढ़ और स्थिर बने रहें जिनसे हम लोग स्थिरता से आपकी स्तुति करते हुए सदा आप की आज्ञा का पालन करते रहें।


🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁


 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, मार्गशीर्ष - मासे, कृष्ण पक्षे,एकादश्यां

 तिथौ, हस्त 

 नक्षत्रे, मंगलवासरे

 , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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