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आज का वैदिक भजन

 


🙏 *आज का वैदिक भजन* 🙏 0730

बड़ा हुआ तो क्या हुआ ?

जैसे पेड़ खजूर 

पंछी को छाया नहीं 

फल लागा अति दूर 


मैं रात गंवाई सोय के 

और दिवस गंवाया खाई के 

हीरा जनम अमोलका 

कौड़ी बदले जाये 


किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 

पराया दर्द अपनाये 

उसे इन्सान कहते हैं 


कभी धनवान् है कितना 

कभी इन्सान निर्धन है 

कभी सुख है, कभी दु:ख है 

इसी का नाम जीवन है 

जो मुश्किल में न घबराये 

उसे इन्सान कहते हैं 

किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 


ये दुनिया एक उलझन है 

कहीं धोखा कहीं ठोकर  

कोई हंस हंस के जीता है 

कोई जीता है रो रो कर 

जो गिर कर - फिर सम्भल जाये 

उसे इन्सान कहते हैं  

किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 


अगर गलती रुलाती है 

तो राहें भी दिखाती है 

मनुज गलती का पुतला है 

जो अक्सर हो ही जाती है 

जो कर ले ठीक गलती को 

उसे इन्सान कहते हैं  

किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 


अकेले ही जो खा खा कर 

सदा गुजरान करते हैं 

यूँ भरने को तो दुनियाँ में 

पशु भी पेट भरते हैं 

"पथिक" जो बाँट कर खाये 

उसे इन्सान कहते हैं

किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 


पराया दर्द अपनाये 

उसे इन्सान कहते हैं 

किसी के काम जो आये 

उसे इन्सान कहते हैं 


*रचनाकार : - पूज्य पण्डित श्री सत्यपाल पथिक (वैदिक भजनोपदेशक)*

*स्वर :- श्री अनिल हंसलस जी*

*साभार पुस्तक :- पथिक भजन संग्रह, आर्य प्रकाशन-दिल्ली,  पृष्ठ 9)*

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