वैदिक धर्म और सत युग का प्रारम्भ
सबसे बड़ा धर्म है इंसानियत और मानवता का और इसमें कोई शक नहीं है की इस धर्म को मानने वाले ही कुछ सभ्य लोगों ने निर्माण किया होगा महान वैदिक धर्म का, ताकि ज्ञान रुपी प्रकाश पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता रहे.…
हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना गया है। हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रन्थ ज्ञान का अथक भंडार हैं।
इन सबके बावजूद भारत और बाकि दुनिया में लालच, द्वेष और पाप बढ़ता ही जा रहा है, तो क्या ये कलयुग की शुरुआत है या अंत?
हिन्दू धर्म के अनुसार कलयुग में इस दुनिया का अंत होगा जब धरती पाप का बोझ सह नहीं पायेगी। दुनिया में क्या-क्या चल रहा है अगर गौर किया जाये इस्से तो लगता है की कलयुग की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी है।
लोग लालच में गलत काम किये जा रहे है, अपने लालच के आगे ऐसे लोग सही गलत कुछ नहीं सोचते, तो बताइये इंसान और जानवरों में फर्क ही क्या रह गया? इंसान की बदौलत ही हमारी धरती और पर्यावरण लगातार विनाश की और बढ़ रहे हैं।
हिन्दू धर्म में मानवकाल को ४ वर्गों में विभाजित किया गया है:
१. सतयुग (17,28,000 वर्ष) - (देवताओं का युग) पहला और सबसे अच्छा, सच्चाई और सम्पन्नता का युग जो की देवताओ द्वारा नियंत्रित और परिचालित होता था। इस युग में इंसानो की औसत आयु १००,०० वर्ष होती थी।
२. त्रेतायुग (12,96,100 वर्ष) - त्रेतायुग को 12,96,100 वर्ष का माना गया है। इस युग में सदाचार और नैतिक गुणों की कमी आने की शुरुआत हुई। इस युग में इंसानो की औसत आयु १,०००-१०,००० वर्ष होती थी। यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है।
३. द्वापरयुग (8,64,000 वर्ष) - द्वापर मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं। इसमें बीमारी, द्वेष और इंसानो में आपसी कलह (युद्ध) सामान्य बात थी। इस युग में इंसानो की औसत आयु लगभग २००-३०० वर्ष होती थी। यह काल कृष्ण के देहान्त से समाप्त होता है।
४. कलयुग (4,32,000 वर्ष) - कलियुग चौथा और अंतिम युग है। इस युग में लोग पापी और अपने नैतिक सद्गुणों से वंचित हो होंगे। इस युग में इंसानो की औसत आयु लगभग १०० वर्ष होगी, जो की युग के अंत में घटकर १५-२० वर्ष तक सिमित रह जाएगी।
कलयुग की शुरआत कब और कैसे हुई इसका सटीक वर्णन नहीं किया जा सकता। खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार कलयुग, ईशा के जन्म से ३२०१ वर्ष पूर्व शुरू हो चूका है।
हिन्दू धर्म के अनुसार कलयुग में जब पाप हद से ज्यादा बढ़ जायेगा तब कल्कि भगवान स्वयं आएंगे इस धरती को पापमुक्त करने।
सटीक कल्पना करना संभव नहीं है, अगर कलयुग की शुरुआत ५-६००० वर्ष मानी जाए तो अभी भी इसके अंत में लगभग ४ लाख वर्ष शेष हैं। दूसरी और वैज्ञानिकों ने भी ये अनुमान है कि ३ से ४ लाख वर्षो में पृथ्वी बिलकुल भी रहने लायक नहीं बचेगी, जिसका एक कारण पृथ्वी का सूर्य के बेहद नजदीक आ जाना भी हो सकता है।
हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना गया है। हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रन्थ ज्ञान का अथक भंडार हैं।
इन सबके बावजूद भारत और बाकि दुनिया में लालच, द्वेष और पाप बढ़ता ही जा रहा है, तो क्या ये कलयुग की शुरुआत है या अंत?
हिन्दू धर्म के अनुसार कलयुग में इस दुनिया का अंत होगा जब धरती पाप का बोझ सह नहीं पायेगी। दुनिया में क्या-क्या चल रहा है अगर गौर किया जाये इस्से तो लगता है की कलयुग की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी है।
लोग लालच में गलत काम किये जा रहे है, अपने लालच के आगे ऐसे लोग सही गलत कुछ नहीं सोचते, तो बताइये इंसान और जानवरों में फर्क ही क्या रह गया? इंसान की बदौलत ही हमारी धरती और पर्यावरण लगातार विनाश की और बढ़ रहे हैं।
हिन्दू धर्म में मानवकाल को ४ वर्गों में विभाजित किया गया है:
१. सतयुग (17,28,000 वर्ष) - (देवताओं का युग) पहला और सबसे अच्छा, सच्चाई और सम्पन्नता का युग जो की देवताओ द्वारा नियंत्रित और परिचालित होता था। इस युग में इंसानो की औसत आयु १००,०० वर्ष होती थी।
२. त्रेतायुग (12,96,100 वर्ष) - त्रेतायुग को 12,96,100 वर्ष का माना गया है। इस युग में सदाचार और नैतिक गुणों की कमी आने की शुरुआत हुई। इस युग में इंसानो की औसत आयु १,०००-१०,००० वर्ष होती थी। यह काल राम के देहान्त से समाप्त होता है।
३. द्वापरयुग (8,64,000 वर्ष) - द्वापर मानवकाल के तृतीय युग को कहते हैं। इसमें बीमारी, द्वेष और इंसानो में आपसी कलह (युद्ध) सामान्य बात थी। इस युग में इंसानो की औसत आयु लगभग २००-३०० वर्ष होती थी। यह काल कृष्ण के देहान्त से समाप्त होता है।
४. कलयुग (4,32,000 वर्ष) - कलियुग चौथा और अंतिम युग है। इस युग में लोग पापी और अपने नैतिक सद्गुणों से वंचित हो होंगे। इस युग में इंसानो की औसत आयु लगभग १०० वर्ष होगी, जो की युग के अंत में घटकर १५-२० वर्ष तक सिमित रह जाएगी।
कलयुग की शुरआत कब और कैसे हुई इसका सटीक वर्णन नहीं किया जा सकता। खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार कलयुग, ईशा के जन्म से ३२०१ वर्ष पूर्व शुरू हो चूका है।
हिन्दू धर्म के अनुसार कलयुग में जब पाप हद से ज्यादा बढ़ जायेगा तब कल्कि भगवान स्वयं आएंगे इस धरती को पापमुक्त करने।
सटीक कल्पना करना संभव नहीं है, अगर कलयुग की शुरुआत ५-६००० वर्ष मानी जाए तो अभी भी इसके अंत में लगभग ४ लाख वर्ष शेष हैं। दूसरी और वैज्ञानिकों ने भी ये अनुमान है कि ३ से ४ लाख वर्षो में पृथ्वी बिलकुल भी रहने लायक नहीं बचेगी, जिसका एक कारण पृथ्वी का सूर्य के बेहद नजदीक आ जाना भी हो सकता है।
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