साझेदारी (Partnership)
किसी व्यापार को शुरू करने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा धनों का निवेश किया जाता है। इसे साझेदारी कहते हैं। वे व्यक्ति जो धन का निवेश करते हैं, साझेदार कहलाते हैं। जो साझेदार, व्यापार में केवल धन का निवेश करते हैं, निष्क्रिय साझेदार कहलाते हैं और जो साझेदार निवेश के साथ कार्यकलापों में भी हिस्सा लेते हैं, सक्रिय साझेदार कहलाते हैं। व्यापार में प्राप्त लाभ, साझेदारों के बीच उनके द्वारा निवेशित धन के अनुपात में बाँटा जाता है। सक्रिय साझेदार के कार्य का पारिश्रमिक लाभ से निकालकर सभी साझेदारों में निवेशित धन के अनुपात में वितरित किया जाता है।
प्रश्नों को हल करने की संक्षिप्त विधियाँ
यदि निवेश की अवधि प्रत्येक साझेदारों के लिए समान हो, तो लाभ या हानि उनके निवेशों के अनुपात में विभाजित हो जाती है।
यदि A और B किसी व्यापार में साझेदार हो, तो
यदि A, B और C किसी व्यापार में साझेदार हो तो,
A का निवेश : B का निवेश : C का निवेश
= A का लाभ : B का लाभ : C का लाभ या
= A की हानि : B की हानि : C की हानि
उदाहरण 1. A, B और C किसी व्यापार में क्रमशः Rs 1500, Rs 2500 और Rs 3000 का निवेश कर साझेदार बनते हैं। A मैनेजर के रूप में कुल लाभ का 1/10 भाग पाता है और शेष लाभ को तीनों को उनके निवेशों के अनुपात में विभाजित कर दिया जाता है। यदि A का कुल शेयर Rs 369 है तो B और C का शेयर ज्ञात करें।
हल: यदि कुल लाभ x है, तो A का शेयर
यदि निवेश की अवधि भिन्न हो, तो लाभ या हानि उनके मासिक निवेश के अनुपात में विभाजित हो जाती है।
उदाहरण 2. तीन व्यक्तियों A, B और C ने Rs 570 में किसी पार्क को चराने हेतु किराये पर लिया। A, 3 महीने में 126 बैलों को चराता है, B, 5 महीने में 162 बैलों को चराता है और C, 4 महीने में 216 बैलों को चराता है। प्रत्येक व्यक्ति को कितना किराया देना चाहिए?
हल: A का मासिक किराया = 126 × 3 = 378
B का मासिक किराया = 162 × 5 = 810
C का मासिक किराया = 216 × 4 = 864
∴ किराये का अनुपात = 378 : 810 : 864
यानी, 7 : 15 : 16
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