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वेद पढ़ना पढ़ाना होगा वेद सुनना सुनाना होगा।।

1203 English version is at the end
अन्धकार छोड़कर प्रकाश की कामना करो
               वैदिक भजन १२०३ वां
                    राग सिन्धु भैरवी
        गायन समय प्रातः काल (वैसे चारों प्रहर)
                     ताल गर्बा ६ मात्रा
                   👇  वैदिक भजन👇
वेद पढ़ना पढ़ाना होगा 
वेद सुनना सुनाना होगा।। 
दुरित से दूर होना प्रकाश स्तर है सही 
प्रकाश जीवन है किन्तु अन्धकार नहीं 
यज्ञ करके  प्रकाशनहोगा(2) 
वेद पढ़ना....... 
परम कल्याण का साधन तो यज्ञ-कर्म ही है 
यही तो ज्ञान के प्रकाश का सुफल है 
पाप दूरितों को जाना होगा(2) 
वेद पढ़ना......... 
सारा ही वेद दुरित हरने का प्रेरक है 
वेदानुसार आचरण ही तो देवत्व है 
'सोमपा' हमको बनाना होगा (2) 
वेद पढ़ना......... 
                   ‌‌        भाग २ 
ये 'सोमपा' ही सोम की तो रक्षा करता है 
रक्षा तो भोग्य पदार्थों की करता रहता है 
सोमवृद्ध भी बनना होगा 
वेद पढ़ना......... 
जो ब्रह्मवेत्ता हैं सोम का पान करते हैं 
जो पान करते हैं उत्तरोत्तर बढ़ते हैं 
सोमपान का दान भी होगा(2)  
वेद पढ़ना........... 
हे सोम ज्योति को तुमसे सदा ही मांगते हैं 
समस्त सुख- सौभाग्य आनन्द मांगते हैं 
सोम तुझसे ही पाना होगा(2) 
वेद.........
               25.6.2024  11.10 PM
                            शब्दार्थ:-
 दुरित= दुष्कृत, दुष्कर्म
प्रशासन = प्रकाश करने की क्रिया
'सोमपा'= सोम का रक्षक
सोमवृद्ध= सोम ज्ञान में निपुण
ब्रह्मवेत्ता= ब्रह्म का ज्ञान रखने वाला
                     👇उपदेश 👇
अन्धकार मृत्यु है, प्रकाश जीवन है, अतः वेद ने आदेश किया है---ज्योतिर्वृणीत  तमसो विजानन्, अर्थात--विज्ञानी मनुष्य अन्धकार से (अन्धकार छोड़कर) प्रकाश को चुने। अन्धकार और प्रकाश का भेद जिसे ज्ञात होगा, वही अन्धकार त्याग कर प्रकाश को पकड़ेगा। इसलिए 'विजानन्' शब्द का प्रयोग किया है। वेद में प्रकाश की कामना अनेक स्थानों पर की गई है। सन्ध्या के उपस्थान मन्त्र में आता है- उद्वयं तमसस्परि  स्व: पश्यन्त उतरम्= अर्थात् हम अन्धकार को छोड़कर श्रेष्ठ प्रकाश को देखें। प्रकृत मन्त्र से अगले मन्त्र में ही कहा गया है-- ज्योतिर्यज्ञाय रोदसी अनुष्यात्= अर्थात् दोनों लोकों में यज्ञ के लिए प्रकाश व्याप्त हो। प्रकाश का प्रयोजन है यज्ञ। एक दूसरे का हित साधन यज्ञ है,उससे परमकल्याण मिलता है। प्रकाश के ज्ञान का फल दूसरे चरण में बताया गया है--आरे स्याम दूरितादभीके= अर्थात् दुरित से, दुर्गति से हम बहुत दूर हों। अर्थात् ज्ञान- प्रकाश का फल यह होना चाहिए कि हमें भले बुरे का विवेक हो। बुरे कर्म का फल दुरित=दुर् +इत दुर्गति होती है, यह ज्ञान होना चाहिए।
सार का सारा वेद मनुष्य को दुरित से हटने की प्रेरणा है, अतः भगवान् ने आदेश किया-- इमागिर:. .कारो 
अर्थात्= सर्वोत्कृष्ट ज्ञान दाता के इन वचनों का प्रतिपूर्वक सेवन कर अर्थात् वेद- अनुसार आचरण कर। 
इन्द्र=अर्थात् जीव को इस मंत्र में 'सोमपा:' कहा है। सोमपा: का अर्थ है, सोमपान करने वाला, तथा सोम की रक्षा करने वाला अर्थात् भोग्य पदार्थ की रक्षा भी जीव का कर्तव्य है। जीव सोमवृद्ध है, सोम से बढ़ता है। सोम का अर्थ सोमलता ही नहीं, सोम ब्रह्मानन्द रस को भी कहते हैं, जैसा कि वेद में कहा है सोमं मन्यते पपिवान् ....... 
.....ऋग्वेद १०.८५.३
जब औषधि (सोमलता) को पीसते हैं, तब सोमपान किया जाना समझा जाता है, किन्तु जिस को ब्रह्मवेत्ता लोग जानते हैं और प्राप्त करते हैं; उसको कोई नहीं खाता पीता। सचमुच ब्राह्मणों के सोम का अब्राह्मण उपभोग कर ही नहीं सकते। ब्रह्मवेता का सोम ब्रह्मानन्द ही है। इसका पान करना ही इसकी रक्षा करना है, क्योंकि यह पान करने से, दान करने से बढ़ता है, घटता नहीं।जैसा कि ऋग्वेद १०.८५.५ने स्वयं कहा-- यत्वा देव प्रपिबन्ति तत आ प्यायसे पुन:=अर्थात् हे दिव्य गुण युक्त ! जब तेरा पान किया जाता है तब तू फिर बढ़ जाता है। ब्रह्मानन्द का रस जब- जब पान किया जाए, बढ़ेगा ही। दूसरों को इसका दान करो, बढ़ेगा ही। सोमपान= अर्थात् ब्रह्मानन्द रसपान से ज्ञान प्रकाश बढ़ता है-सना ज्योति: सना..ऋग्वेद ९.४.२
हे सोम! हम तुझसे सदा ज्योति:, सदा आनन्द और समस्त सौभाग्य मांगते हैं। इन्हें देखकर तू हमें पूजनीय कर दे। 
🕉👏 द्वितीय श्रृंखला का १९७ वां वैदिक भजन 
और अब तक का १२०३ वां  वैदिक भजन 🙏
🙏समस्त वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं🙏

          
1203 leave the darkness and Desire light
               vaidik bhajan 1203 th
                    raag sindhu bhairavee
        Singing time morning (or anytime) 
                  taal garbaa 6 beats
                   👇  vaidik bhajan👇
ved padhana padhaanaa hogaa 
ved sunanaa sunaanaa hoga... .. 
durit se door honaa prakaash stur hai sahee 
prakaash jeevan hai kintu andhakaar nahin 
yagya karake  prakaashan hogaa(2) 
ved padhanaa....... 
param kalyaan kaa saadhan to yagya-karm hee hai 
yahee to gyaan ke prakaash kaa suphal hai 
paap dooriton ko jaanaa hogaa(2) 
ved padhanaa......... 
saaraa hee ved durit harane kaa prerak hai 
vedaanusaar aacharan hee to devatva hai 
'somapaa' hamako bananaa hogaa (2) 
ved padhanaa......... 
                   ‌‌     Part 2 
ye 'somapaa' hee som kee to rakhshaa karataa hai 
rakshaa to bhogya- padaarthon kee karataa rahataa hai 
somavriddha bhee bananaa hogaa 
ved padhanaa......... 
jo brahmavettaa hain som kaa paan karate hain 
jo paan karate hain uttarottar badhate hain 
somapaan kaa daan bhee hogaa(2)  
ved padhanaa........... 
helay som ! jyoti ko tumase sadaa hee maangate hain 
samast sukh- saubhaagya aanand maangate hain 
som tujhase hee paanaa hogaa(2) 
ved.........
         25.6.2024  11.10 pm

👇Meaning of the word:-👇

Durit = evil deed, bad deed

Prakaashan = act of illuminating

'Somapaa' = protector of Soma

Somavriddha = proficient in the knowledge of Soma

Brahmavettaa = one who has the knowledge of Brahma

👇 Vedic Bhajan👇
Vedas will have to be read and taught
Vedas will have to be heard and recited.

 Getting away from evil is the level of light.

Light is life but not darkness.

There will be enlightenment by performing yagya(2)

Reading Vedas.......

Yagya-karma is the means of ultimate welfare.

This is the good result of the light of knowledge.

Those who have got rid of sins will have to go(2)

Reading Vedas..........

The entire Vedas are the inspiration for getting rid of evil.

According to Vedas, conduct is divinity.

We will have to become 'Sompa' (2)

Reading Vedas..........

‌‌ Part 2

This 'Sompa' protects Soma.

It protects the consumables.

We will also have to become Somvriddha.

Reading Vedas..........

Those who are experts of Brahma drink Soma.

Those who drink it grow progressively.

There will also be donation of drinking Soma(2)

Reading Vedas..........

Oh, we always ask you for the light of Soma.

All happiness, good fortune and joy.  I ask for Som

I will have to get it from you only(2)

Veda.........
   ******************
👇Teachings(Upadesh) 👇
Darkness is death, light is life, so the Vedas have ordered---Jyotirvrinit Tamso Vijanan, that is---the learned man should choose light from darkness (leaving darkness). The one who knows the difference between darkness and light, only he will leave darkness and catch the light. That is why the word 'Vijnan' has been used. The desire for light has been expressed at many places in the Vedas. In the Upasthan Mantra of Sandhya, it is mentioned-- Udvayam Tamaspari Swa: Pashyant Utram= that is, we should leave darkness and see the best light. In the next mantra after the Prakrit Mantra, it is said-- Jyotiryagyaay Rodasi Anushyat= that is, let there be light in both the worlds for the Yagya. The purpose of light is Yagya. Yagya is a means of benefiting each other, it gives ultimate welfare.  The result of the knowledge of light is mentioned in the second part-- Are syaam dooritaadbhike= means we should be far away from evil and misfortune. That is, the result of knowledge of light should be that we should have the discrimination between good and bad. The result of bad deeds is durit=dur + it is misfortune, this knowledge should be there.
The essence of the entire Veda is the inspiration for man to stay away from evil, so God ordered-- Imagira:. .kaaro
means= follow these words of the best knowledge giver, that is, behave according to the Vedas.
In this mantra, Indra=means the living being is called 'Sompa:'. Sompa: means the one who drinks Som, and the one who protects Som, that is, the protection of the consumables is also the duty of the living being. The living being is Somvriddha, it grows with Som.  Som does not only mean Somalata, it also means the juice of Brahmananda, as it is said in the Vedas - Som manyate papivaan ....... 
.....Rig Veda 10.85.3
When the medicine (Somalata) is ground, it is considered that Som is drunk, but that which is known and obtained by the knowers of Brahman; no one eats or drinks it. Indeed, non-Brahmins cannot consume the Som of Brahmins. The Som of the knowers of Brahman is Brahmananda. Drinking it is protecting it, because it increases by drinking and donating, it does not decrease. As Rig Veda 10.85.5 itself has said - Yatva Dev Prapibanti Tat Aa Pyaayase Punah = meaning:- O one endowed with divine qualities! When you are drunk, you increase again. Whenever the juice of Brahmananda is drunk, it will increase.  Donate it to others, it will definitely increase. Somapan =That is, the light of knowledge increases by drinking the nectar of Brahmananda- Sana Jyoti: Sana..Rig Veda 9.4.2
O Som! We ask you for constant light, constant happiness and all good fortune. Seeing these, make us worship-worthy.

🕉👏 197th Vedic hymn of the second series
And the 1203rd Vedic hymn till now🙏
🙏Hearty greetings to all Vedic listeners🙏

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