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‌‌‌ 👇वैदिक भजन👇उस परम देव की गाऊं महिमा वाणी है अशक्त फिर भी मिलती प्रतिभा उस परम........

English version is at the end
                    सब कुछ सम्भव 
                 वैदिक भजन १२०५ वां
                           ‌राग पीलू
           गायन समय दिन का तृतीय प्रहर
                          ताल अध्धा
                         👇वैदिक मन्त्र👇
अभ्युर्णोति यन्नग्नं भिशक्ति विश्वं यत् तुरम् । 
प्रेमन्ध: ख्यन् नि श्रोणो भूत्  ।। ऋग्वेद ८.७९.२

                      ‌‌‌   👇वैदिक भजन👇
उस परम देव की गाऊं महिमा 
वाणी है अशक्त फिर भी मिलती प्रतिभा 
उस परम........ 
है दुर्बल संसार उसकी करता संभार 
उपकारों के घन बरसा रहा 
करूं प्रभु का मैं ध्यान 
जागे अत्यधिक सम्मान 
रुद्ध होता जाता कण्ठ हृदय भरा 
जाता है मन प्रभु में ही रमा 
उस परम......... 
सोम प्रभु उसे देखे
जो है नग्न गुणों से 
गुण- वस्त्रों से ढके अनुभवों से 
वो है करुणा-परायण 
करे जग की चिकित्सा 
निरोग करने की है शुभेच्छा 
क्या-क्या बताएं प्रभु गरिमा !
उस परम....... 
सोम प्रभु की कृपा है 
अन्धा देख सकता है 
पंगु चले क्षमता वह देता 
देता अज्ञानी को ज्ञान 
करता निर्बल- शक्तिमान 
चमत्कार बड़े-बड़े करता है ! 
कुछ कर सकें ना 
उसके बिना 
उस परम ......... 
             28.6 .2024  1:00  AM.
             ‌          👇 शब्दार्थ:-👇
प्रतिभा= विलक्षण बौद्धिक शक्ति
संभार= संभालना, ध्यान रखना
घन= मेघ,बादल
रुद्ध = रुक गया हुआ ,घेरा हुआ
नग्न-गुण=गुणहीन, जिसमें गुण ना हो
परायण= अति आसक्त, लगा हुआ
गरिमा=गौरव
पंगु= लंगड़ा

                    
             👇उपदेश(भावार्थ)👇
उस परम देव की महिमा के स्तुति गीत में कहां तक गाऊं? उस परम दयालु की दयालुता का वर्णन करने के लिए मैं वाणी कहां से लाऊं? वे सोम-प्रभु तो इस दुर्बल संसार पर जो प्रतिक्षण अनन्त उपकार कर रहे हैं, इस दु:खी संसार पर जो हर समय अपनी करुणा बरसा रहे हैं, उसका जब मैं ध्यान करता हूं तो मेरा हृदय भर आता है,मेरा कण्ठ रुद्ध हो जाता है। उस प्रेम-सागर की प्रेम कहानी कहने की चीज़ नहीं है वह तो स्वयं अनुभव करने की वस्तु है। अरे ! मैं तो साक्षात् देख रहा हूं कि वह दयामय पिता होकर जो कोई नंगा है उसे ढ़क रहा है और वैद्य बनकर जो कोई रोग- ग्रस्त है, उन सबको भला चंगा कर रहा है। यह बात केवल भौतिक अर्थ में नहीं है ,वह प्रेम में सोम तो जिसको गुण से नग्न देखता है उसे वह गुण देकर उसी गुण- वस्त्र द्वारा उसे आच्छादित कर रहा है और सारा संसार जो अपनी- अपनी व्याधि से आतुर हुआ पड़ा है, वह करुणा-परायण उन सबकी चिकित्सा कर रहा है और उन सबको ही निरोग कर रहा है , और क्या कहूं! उस सोम की कृपा होती है तो अन्धा भी देखने लगता है और पंगु भी चल निकलता है। एक क्षण में अज्ञानी ज्ञान- प्रकाश पा जाता है और असमर्थ शक्तिपूर्ण हो जाता है। हमारे लिए यह बातें बेशक बड़े चमत्कार की हैं पर यह इसलिए हैं क्योंकि हम अज्ञानी, अल्प ज्ञानी जीव उस सोम की महान विभूतियों को नहीं समझ सकते। सचमुच ही उस सोम की करुणा का कभी वाणी से वर्णन नहीं हो सकता और कोई 'असम्भव' नहीं जो उसकी कृपा से सम्भव नहीं हो सकता।
🕉👏 द्वितीय श्रृंखला का १९९ वां वैदिक भजन 
और अबतक का १२०५ वां वैदिक भजन 🙏🌹
🙏सभी वैदिक श्रोताओं को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🌹
            **********
‌1205       
Everything is possible
Vedic Bhajan 1205th
Raag Piloo
Singing time Third quarter of the day
Taal Addhaa

   👇vaidik mantra👇

abhyurnoti yannagnam bhishakti vishvam yat turam । 
premandh: khyan ni shrono bhut  ।। 
rigved 8.79.2
          
      👇Vaidik bhajan👇

us param dev kee gaaoon mahimaa 
vaanee hai ashakta phir bhee milatee pratibhaa 
us param........ 
hai durbal sansaar usakee karataa sambhaar 
upakaaron ke ghan barasaa rahaa 
karoon prabhu ka main dhyaan 
jaage atyadhik sammaan 
ruddha hotaa jaataa kantha hriday bharaa 
jaataa hai man prabhu mein hee ramaa 
us param......... 
som prabhu usay dekhe
jo hai nagna gunon se 
gun- vastron se dhaaken anubhavon se 
vo hai karunaa-paraayan 
kare jag kee chikitsaa 
nirog karane kee hai shubhechchha 
kyaa-kyaa bataayen prabhu - garimaa !
us param....... 
som prabhu kee kripaa hai 
andhaa dekh sakataa hai 
pangu chale khshamataa vah detaa 
detaa agyaanee ko gyaan 
karata nirbal- shaktimaan 
chamatkaar bade-bade karataa hai ! 
kuchha kar saken na 
usake binaa 
us param ......... 
         28.6 .2024  1:00  am.
            *************        
       👇 Semantics:-👇
 pratibhaa= extraordinary intellectual power
 Sambhaar= to handle, to take care of
 Ghan= clouds, clouds
 Ruddha = stopped, surrounded
 Nagna-Gun=without virtue, 
 Paraayana= very attached, attached
 Garimaa=glory
 Pangu= lame
Everything is possible

👇 meaning of Vedic Bhajan👇

I sing the glory of that supreme God
Voice is weak but still I get talent
That supreme........
The world is weak and takes care of him
He is showering clouds of favours
I meditate on the Lord
I awaken immense respect
The throat gets choked and heart is filled
The mind gets engrossed in the Lord
That supreme........
Som Lord looks at him
Who is naked with virtues
Covered with experiences with the clothes of virtues
He is full of compassion
He heals the world
He wishes to make it healthy
What all should I tell about the dignity of the Lord!
 That supreme.......

It is the grace of Som Prabhu

The blind can see

The lame can walk

He gives knowledge to the ignorant

Makes the weak and the powerful

He does great miracles!

Nothing can be done

Without him

That supreme......
           *************

Everything is possible

        👇Updesh👇
How far shall I sing in praise of the glory of that supreme God? Where shall I find words to describe the kindness of that supremely merciful one? When I think of the infinite favours that Som-Prabhu is doing every moment on this weak world, the mercy that he is showering on this sad world all the time, my heart fills up, my throat gets choked. The love story of that ocean of love is not something to be told, it is something to be experienced by oneself. Oh! I can see with my own eyes that being a compassionate father he is covering the naked and being a doctor he is healing all those who are diseased.  This is not just in the physical sense, in love Som sees someone who is naked in virtue and by giving him that virtue, he is covering him with the same virtue-cloth. And the entire world which is restless with its own diseases, he is treating them all with compassion and is making them all healthy. What more can I say! When Som blesses, even a blind person starts seeing and a cripple starts walking. In a moment, the ignorant gets the light of knowledge and the helpless becomes powerful. These things are undoubtedly a great miracle for us but this is because we ignorant, less knowledgeable beings cannot understand the great powers of Som. Indeed, the compassion of Som can never be described in words and there is nothing 'impossible' which cannot be made possible by his grace.  

🕉👏 199th Vedic Bhajan of the second series
And 1205th Vedic Bhajan till now🙏🌹
🙏Hearty congratulation  to all Vedic listeners🙏🌹

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