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दिनांक - -१६ नवम्बर २०२४ ईस्वी

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷



दिनांक  - -१६ नवम्बर २०२४ ईस्वी


दिन  - - शनिवार 


  🌖 तिथि -- प्रतिपदा ( २३:५० तक तत्पश्चात  द्वितीया )


🪐 नक्षत्र - - कृत्तिका ( १९:२८ तक तत्पश्चात  रोहिणी )

 

पक्ष  - -  कृष्ण 

मास  - -  मार्गशीर्ष 

ऋतु  - - हेमन्त 

सूर्य  - -  दक्षिणायन 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ६:४५ पर  दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १७:२७ पर 

 🌖चन्द्रोदय  --  १७:३८ पर 

 🌖 चन्द्रास्त  - - ०७:०६ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २००


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩 


 🔥स्वाध्याय

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     स्वाध्याय से मनुष्य की बुद्धि एवं आत्मा की उन्नति व विकास होता है। ईश्वर व जीव सहित जड़ सृष्टि वा ब्रह्माण्ड विषयक सभी शंकाओं व प्रश्नों का समाधान भी होता है। मनुष्य जन्म क्यों हुआ व हमारा भविष्य एवं परजन्म किन बातों से उन्नत व अवनत होते हैं, इसका ज्ञान भी हम स्वाध्याय से प्राप्त कर सकते हैं। ईश्वर, माता-पिता, समाज, देश व विश्व के प्रति हमारे क्या कर्तव्य हैं और उनका पालन किस प्रकार से किया जा सकता है, इसका ज्ञान भी हमें स्वाध्याय से मिलता है। 


     मनुष्य जीवन का उद्देश्य दुःखों से पूर्ण निवृत्ति है। दुःखों से पूर्ण निवृत्ति का नाम मोक्ष है। इसकी प्राप्ति के लिए करणीय कर्तव्यों का विधान ऋषि दयानन्द जी के ग्रन्थों एवं दर्शन व उपनिषद आदि ग्रन्थों में मिलता है। जो मनुष्य वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन करता है उसे ईश्वर, जीवात्मा, सृष्टि, उपासना सहित भौतिक विषयों का भी पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है। 


     स्वाध्याय से मनुष्य देव, विद्वान, आर्य, ईश्वरभक्त, वेदभक्त, मातृपितृभक्त, आचार्यभक्त, देशभक्त, समाजसेवी व समाज सुधारक सहित आदर्श जीवन व चरित्र से पूर्ण मानव बनता है। मत-मतान्तर के ग्रन्थ मनुष्य का ऐसा विकास नहीं करते जैसा कि वेद व वैदिक साहित्य से होता है। हमारे विश्व प्रसिद्ध आदर्श महापुरुष राम, कृष्ण, दयानन्द, चाणक्य, शंकराचार्य जी आदि सभी वैदिक साहित्य की देन थे। इन लाभों को प्राप्त करने के लिए सभी मनुष्यों को वेद एवं वैदिक ग्रन्थों का नित्य प्रति स्वाध्याय अवश्य ही करना चाहिये जिससे उनका सम्पूर्ण विकास व उन्नति होगी और उनका जीवन ज्ञान की प्राप्ति से सुखी व सन्तुष्ट होगा।


      ऋषि दयानन्द जी ने लिखा है कि मनुष्य को जो सुख ज्ञान की प्राप्ति से मिलता है उतना व वैसा सुख धन व सुख के साधनों से भी नहीं मिलता। अतः स्वाध्याय से अपना ज्ञान बढ़ाना सब मनुष्यों का कर्तव्य है ।


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 🚩‼️आज का वेद मन्त्र‼️🚩


 💐 ओ३म् विष्णो: कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे।

इन्द्रस्य युज्य: सखा॥ यजुर्वेद १३-३३॥ 


🌷 हे मनुष्य, तुम उस सर्वव्यापी ईश्वर को समझो। वो सृष्टि की रचना, पालन और प्रलय करने वाला है। वो गुणों से परिपूर्ण है। तुम उस परमात्मा के गुण, कर्म और स्वभाव के अनुकूल आचरण करो। वह जीवात्माओं का मित्र है।  


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, मार्गशीर्ष - मासे, कृष्ण पक्षे , प्रतिपदायां

 तिथौ, कृत्तिका

 नक्षत्रे, शनिवासरे 

 , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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