🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🕉️🙏नमस्ते जी
दिनांक - - ०४ मार्च २०२५ ईस्वी
दिन - - मंगलवार
🌒 तिथि -- पञ्चमी ( १५:१६ तक तत्पश्चात षष्ठी )
🪐 नक्षत्र - - भरणी ( २६:३७ तक तत्पश्चात कृत्तिका )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - फाल्गुन
ऋतु - - बसंत
सूर्य - - उत्तरायण
🌞 सूर्योदय - - प्रातः ६:४३ पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त - - सायं १८:२३ पर
🌒 चन्द्रोदय -- ९:१८ पर
🌒 चन्द्रास्त - - २३:२१ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२५
कलयुगाब्द - - ५१२५
विक्रम संवत् - -२०८१
शक संवत् - - १९४६
दयानंदाब्द - - २०१
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥 ऋषियों के संदेश !!!
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💐 "मनुष्य जीवन ईश्वर प्राप्ति के लिए मिला है" इस मनुष्य लक्ष्य को छोड़कर अन्य किसी भी कार्य को प्राथमिकता मत दो, नहीं तो तुम्हारा जीवन चन्दन के वन को कोयला बनाकर नष्ट करने के समान ही है ।
💐 तुम्हारे जीवन की सफलता तो काम क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि अविद्या के कुसंस्कारो को नष्ट करने में ही है । यही समस्त दु:खो से छूटने का श्रेष्ठ उपाय है ।
💐 जब तक तुम संसार के सुखों के पीछे छिपे हुए दुःखो को समझ नहीं लोगे, तब तक वैराग्य उतपन्न नही होगा। बिना वैराग्य के चंचल मन एकाग्र नही होगा, एकाग्रता के बिना समाधि नही लगेगी, समाधि के बिना ईश्वर का दर्शन नही होगा, बिना ईश्वर - दर्शन के अज्ञान का नाश नही होगा और अज्ञान का नाश हुए बिना दुःखो की समाप्ति और पूर्ण तथा स्थायी सुख मुक्ति ) की प्राप्ति नही होगी ।
💐 तुम इस सत्य को समझ लो कि ' अज्ञानी मनुष्य ही जड़ वस्तुओं भूमि, भवन, सोना, चांदी) तथा चेतन वस्तुओं पति, पत्नी, पुत्र, मित्र आदि) को अपनी आत्मा का एक भाग मानकर, इनकी वृद्धि होने पर प्रशन्न तथा हानि होने पर दुःखी होता है ।
💐 तुम्हारे लोहे रूपी मन को, विषयभोग रूपी चुम्बक सदा अपनी ओर खींचते रहते हैं।ज्ञानी मनुष्य विषयभोगो से होने वाली हानियों का अनुमान लगाकर इनमें आसाक्त नही होते, किन्तु अज्ञानी मनुष्य इनमें फँसकर नष्ट हो जाते है।
💐 महान ज्ञान, बल, आनन्द आदि गुणों का भण्डार, ईश्वर एक चेतन वस्तु है, जो अनादि काल से तुम्हारे साथ है, न कभी वह अलग हुआ, व कभी होगा ।उसी संसार के बनाने वाले, पालन करने वाले, सबके रक्षक, निराकार ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना तुम सब मनुष्यों को सदा करनी चाहिए ।
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🕉🚩 अनन्तेश्वर स्तुति 🕉🚩
🌷ओ३म् त्वमेकं शरण्यं त्वमेकं वरेण्यम्, त्वमेकं जगत्पालकं स्वप्रकाशम् । त्वमेकं जगत्कर्त्तृ, त्वमेकं परंपरा निश्चलं निर्विकल्पम्।।
💐 अर्थ:- हे परमानन्देश्वर! संसार में तू ही एकमात्र शरण में जाने योग्य स्थान है।तू ही एकमात्र वरण करने योग्य हैं ।तुझ एकमात्र जगत् के पालक, स्वयं प्रकाशक, रक्षा तथा प्रलय करने वाले, अचल, अपरिवर्तनशील को मेरा नमस्ते स्वीकार हो।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 एकाधीकद्विशततमे ( २०१) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- उत्तरायणे , बंसत -ऋतौ, फाल्गुन - मासे, शुक्ल पक्षे, पञ्चम्यां - तिथौ, भरणी नक्षत्रे, मंगलवासरे, शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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