🚩‼️ओ3म्‼️🚩
🕉️🙏नमस्ते जी
दिनांक - - 05 अप्रैल 2025 ईस्वी
दिन - - शनिवार
🌓तिथि--अष्टमी (19:26 तक वार्षिक नवमी)
🪐 नक्षत्र - - पुनर्वसु ( 29:32तक पुष्य )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - चैत्र
ऋतु - - बसंत
सूर्य - - उत्तरायण
🌞सूर्योदय - - प्रातः 6:07 दिल्ली में
🌞सूरुष - - सायं 18:41 पर
🌓चन्द्रोदय--11:41 पर
🌓 चन्द्रास्त - - 26:19 पर
सृष्टि संवत - - 1,96,08,53,126
कलयुगाब्द - - 5126
सं विक्रमावत - -2082
शक संवत - - 1947
दयानन्दबाद - -201
🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀
🚩 ‼️ ओ3म् ‼️🚩
🔥प्राणायाम शिक्षा!!!
===============
प्राणायाम का महत्व, विधि, प्रकार और लाभ।
प्राणायाम अभ्यास का विषय है, ईश्वर का साक्षात्कार है।
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी रचित अमर ग्रन्थ 'सत्यार्थ प्रकाश' आर्ष ग्रन्थों के प्रमाण सहित अनेक विद्याओं का अतुल्य भण्डार है।
उसी भंडारे से आज हम "प्राणायाम शिक्षा" पर प्रकाश डाल रहे हैं | आशा है कि आप ईश्वर के साक्षात् मार्ग में प्राणायाम करेंगे...
योगशास्त्र सूत्र 2/28 में प्राणायाम का महत्व बताया गया है कि महर्षि पतंजलि का निर्माण कैसे होता है...
"जब मनुष्य प्राणायाम करता है तब प्रतिक्षण उत्तरोत्तर काल में शक्ति का नाश और ज्ञान का प्रकाश होता है | जब तक मुक्ति नहीं होती तब तक उसकी आत्मा का ज्ञान बराबर बढ़ जाता है |"
वहीं महर्षि मनुमहाराज मनुस्मृति 6/71 में निहित हैं...
"जैसे अंगी में तपाने से सुवर्णादि कक्षों के मल नष्ट शुद्ध हो जाते हैं, वैसे ही प्राणायाम करके मन आदि इंद्रियों के दोष क्षणिका निर्मल हो जाते हैं।
प्राणायाम की विधि के संबंध में महर्षि पतंजलि योगशास्त्र 1/34 में बताया गया है कि...
जैसे भारी वेग से वामन अन्न बाहर निकलता है, वैसे ही प्राण को बाहर खींचता है, वैसे ही बलशक्ति रोक देवे। जब बाहर की ओर झुकना, तब मूलेन्द्रिय को ऊपर की ओर खींचना, वायु को बाहर की ओर फेंकना। जब तक मूलेन्द्रिया को ऊपर खींचा जाए, तब तक प्राण बाहर रहता है।
इस प्रकार प्राण बाहर अधिक क्षेत्र हो सकते हैं। जब चिंता हो तब धीरे-धीरे हवा के अंदर लेके फिर भी कल्पना ही हो जाए, धीरे-धीरे-धीरे-धीरे हवा के अंदर इच्छा हो जाए। और मन में 'ओ3म्' का जप होता है। इस प्रकार करने से आत्मा और मन की पवित्रता और स्थिरता होती है।
प्राणायाम के प्रकार:~~~
एक 'बह्यविषय' का अर्थ है बाहर ही प्राण को अधिक लाभ।
दूसरा 'अभ्यन्तर' अर्थात इसके अंदर देखें प्राण छोड़ें, किश्ते रोकें।
तीसरा 'स्तंभप्रवृत्ति' अर्थात एक ही युद्ध जहां-का-तहां प्राण को यथाशक्ति लाभ।
चौथा 'बाह्याभ्यन्तराक्षेपी' अर्थात् जब प्राण बाहर की ओर आवे, तब उसके विरुद्ध, जहाँ से न पहुँचे।
प्राणायाम के लाभ:~~~
पुरुषों के शरीर में वीर्य वृद्धि को बल प्राप्त होता है, स्थिर बल, माप, स्क्रिबिएटा, सभी सिद्धांतों को शीघ्र ही ग्रहण किया जाता है।
प्राणायाम सभी जात मजहब देश आदि से परे शुद्ध स्वरूप भगवान के दर्शन का मार्ग मूल रूप से सार्वभौमिक है।
🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀
🕉️🚩आज का वेद मंत्र 🕉️🚩
🌷ओ3म् यस्मिन्नृच: साम यजु शि यस्मिन प्रतिष्ठित रथनाभविरा:।यस्मिंशचित सर्वमोतं प्रजानां तन्मे मन: शिवसद्कल्पमस्तु (यजुर्वेद 34|5)
💐अर्थ :- हे परमदेव परमात्मान ! आपकी प्रार्थना से मेरे मन में रथों के मध्य धुरे में होते हैं, वैसे ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और गूढ़ तत्वों से अथर्ववेद भी प्रतिष्ठित होते हैं जिनमें सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, प्रजा का साक्षी चेतन परमात्मा विदित होता है, वह मेरे मन में अविद्या का त्याग कर सदा प्रिय विद्या बन रहे हैं।
🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀
🔥विश्व के अखंड वैदिक पंचांग के अनुसार👇
===============
🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्टयादिसंवत-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि-नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ3म् तत्सत् श्री ब्राह्मणो दये द्वितीये प्रहृधे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टविंशतितम कलियुगे
कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-शन्नवतिकोति-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाष्टसहस्र- षड्विंशत्य्युत्तरशतमे ( 1,6,08,53,126 ) सृष्ट्यबडे】【 द्वयशीत्युत्तर-द्विशहस्त्रतमे (2082) वैक्रमब्दे 】 【 मदद्विशतीतमे ( 201) दयानन्दबदे, काल-संवत्सरे, रवि- उत्तरायणे, बसंत-ऋतौ, चैत्र-मासे, शुक्ल-पक्षे, अष्टम्याँ तिथौ, पुनर्वसु- नक्षत्रसे, शनिवासरे, शिव-मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भारतखण्डे...प्रदेशे.... प्रदेशे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान्।( पितामह)... (पिता)।
🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁

0 टिप्पणियाँ
If you have any Misunderstanding Please let me know