ओ३म् सह नाववतु ।
सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Om Saha Nau-Avatu |
Saha Nau Bhunaktu |
Saha Viiryam Karavaavahai |
Tejasvi Nau-Adhiitam-Astu Maa Vidvissaavahai |
Om Shaantih Shaantih Shaantih ||
ओ३म् मेरे परमात्मा हम दोनों गुरु शिष्य कि रक्षा
कीजिये, और हम दोनों कि हर प्रकार से देख भाल किजिये हम दोनों साथ में मिलकर एक
कार्य को करे एक समान शाहस और उत्शाह के साथ पराक्रम और धैर्य पूर्वक हे परमात्मा
हमारा जो भी अध्यन किया हुआ हौं वह हम सब को आनंद और उर्जा प्रदान करे न कि हम में राग द्वेष अहंकार अज्ञान को
बढ़ाने का कारण बने ओ३म् शान्ति शान्ति शान्ति अर्थात त्रिविध दुखो को दूर करे भौतिक, मानसिक, आध्यात्मिक |
Meaning:
Om, May God Protect us Both (the Teacher and the Student),
May God Nourish us Both,
May we Work Together with Energy and Vigour,
May our Study be Enlightening and not give rise to Hostility,
Om, Peace, Peace, Peace.
ओ३म् शं नो मित्रः शं वरुणः ।
शं नो भवत्वर्यमा ।
शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः ।
शं नो विष्णुरुरुक्रमः ।
Om Sham No Mitrah Sham Varunnah |
Sham No Bhavatv-Aryamaa |
Sham No Indro Brhaspatih |
Sham No Vissnnur-Urukramah |
ओ३म् मित्र हमारे
अनुकूल हो अर्थात मित्र यहाँ पर विद्युत् कि तरंगो को कहा जा रहा है, विद्युत् कि दो प्रमुख तरंगे होती हैं एक फ्रेश दूसरा अर्थ इसको ही
यहाँ मंत्रो में मित्र और अरुण कह रहे हैं, अरुण भी हमारे अनुकूल हो मित्र का मतलब
अग्नि भी कर सकते हैं और वरुण मतलब जल से हैं इस तरह से विद्युत् दो प्रकार के
होती है एक ए सी दूसरी डी सी अर्थात एक
सुखी विद्युत् जो प्रायः बैटरी में सुरक्षित होती दूसरी गीली जो टरबाईन से उत्पन्न
कि जाती हैं, इस प्रकार से हम समझ सकते हैं कि सूर्य से हमे दो प्रकार कि शक्ति
प्राप्त होती जिसे मित्र और वरुण कहते हैं वैदिक भाषा में जो प्रकाश हमे सूर्य से
हमे दिन में मिलता है उसको मित्र कहते है, और जो प्रकाश रात्रि के समय में
चन्द्रमा से मिलता हैं उसको वरुण कह सकते है |
Meaning:
Om, May Mitra be Propitious with Us, May Varuna be Propitious with Us,
May the Honourable Aryama be Propitious with Us,
May Indra and Brihaspati be Propitious with Us,
May Vishnu with Long Strides be Propitious with Us,
नमो ब्रह्मणे ।
नमस्ते वायो ।
त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ।
त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि ।
ॠतं वदिष्यामि ।
सत्यं वदिष्यामि ।
Namo Brahmanne |
Namaste Vaayo |
Tvam-[e]Iva Pratyakssam Brahmaasi |
Tvaam-[e]Iva Pratyakssam Brahma Vadissyaami |
Rrtam Vadissyaami |
Satyam Vadissyaami |
Meaning:
Salutations to Brahman,
Salutations to Vayu (the Breath of Purusha),
You Indeed are the Visible Brahman,
I Proclaim, You Indeed are the Visible Brahman,
I Speak about the Divine Truth,
I Speak about the Absolute Truth,
तन्मामवतु ।
तद्वक्तारमवतु ।
अवतु माम् ।
अवतु वक्तारम् ॥
ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Tan[d]-Maam-Avatu |
Tad-Vaktaaram-Avatu |
Avatu Maam |
Avatu Vaktaaram ||
Om Shaantih Shaantih Shaantih ||
Meaning:
May That Protect Me,
May That Protect the Preceptor,
Protect Me,
Protect the Preceptor,
Om Peace, Peace, Peace.
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