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ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान की तरफ से जनमानस स एक अपिल

    

       आप सभी प्रतिष्ठित एवं गणमान्य क्षेत्र वासियों को सुचित किया जा रहा है, कि हमारी संस्था ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वैदिक विद्यालय की तरफ से एक दिवसीय यज्ञ संध्या हवन वेद परिचय व्याख्यान ध्यान, योग प्राणायाम  के कार्य क्रम का आयोजन रखा गया है, जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित  किया जा रहा है।             
    अपने  सभी  मित्र गण  व सहयोगियों के साथ मैं अध्यक्ष, श्री मनोज पाण्डेय  संस्थापक ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान  वैदिक  विद्यालय की तरफ से हृदय की अनंत  गहराइयों से स्वागत अभिनंदन और वंदन  करता हूं ।
          आप  महानुभावों से हमारा निवेदन है की हमारी संस्था वैदिक हिन्दू धर्म के प्रति  निष्पक्ष रूप से काम  करती है । जो की निम्न प्रकार से है।
•        वेदोच्चारण
•        यज्ञ और हवन
•        संस्कृत- इंग्लिश, हिन्दी, कम्प्युटर विज्ञान की पूर्ण शिक्षा हमारे विद्यालय द्वारा प्रदान की जाती है।
•        हमारे यहां उपलब्ध सुविधा और पाठ्यक्रम कुछ इस प्रकार से है, जिसमें आप मात्र थोड़े से मासिक आर्थिक सहयोग को देकर इसका लाभ ले सकते हैं।
1.  चार वेद संक्षिप्त रूप से अध्ययन, कोर्स तीन महीने का है। हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में,
2.  11 उपनिषद का अध्ययन संस्कृत हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में संक्षिप्त रुप से मात्र तीन महीने में,
3.  6 वैदिक दर्शन संक्षिप्त अध्ययन 3 महीने हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में,
4.   उपदेश, प्रवचन, 16 प्रकार के वैदिक संस्कार का अध्ययन तीन महीने में,
5.   यज्ञ, हवन, पूजा, पाठ, और विवाह आदि संस्कार मात्र तीन महीने, सीखे योग्य आचार्य और गुरु से,
6.   योग दर्शन अष्टांग योग का अध्ययन जिसमें धारणा, ध्यान, समाधि का प्रयोग मात्र तीन महीने में,
7.    महाभारत, रामायण, अठारह पुराण, संस्कृत स्मृति, नीति, साहित्य, नाटक काव्यों का अध्ययन संक्षिप्त रुप से तीन महीने के लिए।
8.   वैदिक व्याकरण के अध्ययन के लिए पाँचवीं पास बच्चों का प्रवेश लिया जायेगा जिसमें, 25 बालकों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया जायेगा, तदनंतर अष्टाध्याई 3 साल, प्रथमावृत्ती 2 साल, कासीका, महाभाष्य तीन साल तक का पाठ्यक्रम है। इसके अलावा विज्ञान, मैथ, कम्प्यूटर साफ्टवेयर हार्ड वेयर, प्रोग्रामिगं लांग्वेज, आदि की व्यवस्था की है।
        नोटः- यही पाठ्यक्रम 6 महीने और साल भर, अथवा तीन साल तक किसी अपने मन चाहे विषय का विस्तार से अध्ययन भी कर सकते है।  कम्प्यूटर की भी शिक्षा दी जाती है, जिसके साथ अंग्रेजी माध्यम बोल चाल सिखाई जाती है।
1.    यज्ञ प्रवचन पाठ का विशेष कार्यक्रम कराने का खर्च चतुर्वेद 10 लाख समय 6  महीने में विस्तार से उपलब्ध भाष्य की हिन्दी अंग्रेजी में व्याख्या सहित। केवल ऋग्वेद का यज्ञ 3 लाख, समय तीन महीने में। अथर्व वेद यज्ञ 45 दिन में, यजुर्वेद  1 लाख 15 दिन में। इसी प्रकार से सामवेद आदि के मंत्रो से यज्ञ करा सकते है। पुराणों का पाठ प्रवचन एक पुराण समय 3 महीने में विस्तार से व्याख्या सहित 1 महीने का शिविर यह कार्यक्रम संचालित हमारी संस्था करवाती है 3 लाख में। ग्यारह मुख्य उपनिषद का प्रवचन व्याख्या सहित 15 दिन में मात्र 1 लाख में, इसके अतिरिक्त वैदिक छः दर्शनों में कोई भी एक दर्शन का प्रवचन 15 दिन में 1 लाख रुपये में, यह कार्य हमारे अस्तित्व संस्कृत, सभ्यता, परंपरा की रक्षा के लिये, और मानव जाति के कल्याण के लिए परम आवश्यक है। जिसको हमारी संस्था कराने के लिए कृत संकल्पित है। इस सभी कार्य में आप सभी के भरपूर सहयोग की आवश्यकता है, आप हमारे साथ अपनी जिम्मेदारी का वहन करें।
2.    हमारी आवश्यकता एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाना है, जिसमें  बच्चे का पूर्ण विकास और उसके व्यक्तित्व  को  निखारने का कार्य एक छत के नीचे उपलब्ध हो, प्रारंभ से प्राथमिक शिक्षा से प्रारंभ कर उसे किसी विषय में मास्टर आचार्य तक का ज्ञान उपलब्ध कराना है। जिसमें बहुत बड़े – बड़े व्यवधान भी है। जिनको दूर करना समाज के महान महापुरुषों का कार्य होता है। हमारी इतनी बड़ी सामर्थ्य नहीं है हम जानते है, हम जिस सिद्धांत पर कार्य करते है, उसमें पहला नियम है स्वयं को पूर्ण ईश्वर के हाथों में समर्पित करना है और उस ईश्वर के आदेश से यह कार्य हमने शुरु किया है। आप सब में भी वही ईश्वर है, उसके पास जाने की सीढ़ी हम सब के पास है, हमें उस मार्ग पर चलने के लिए कृत संकल्पित होना है, उसके लिए हम जिस लायक है, उस प्रकार के यथा योग्य कार्य को, कर के अपने जीवन को कृतकृत्य कर सकते है, और इसी प्रकार से हम सब स्वयं के श्रम से इस भौतिक, दैविक, आध्यात्मिक दृष्टि में योगदान दे सकते है, जो हम सब का सर्व प्रथम धर्म और जिम्मेदारी है। क्योंकि हम सब मानव है, क्योंकि वेद का कथन है मनुर्भवः मनुष्य बनो, अर्थात मनुष्य होना ईश्वर होने के समान है, एक मनुष्य की व्याख्या संस्कृत श्लोक करते हुए कहता हैं कि -  सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा। शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:॥ सत्य मेरी माता, ज्ञान मेरे पिता, धर्म मेरा बन्धु, दया मेरा सखा, शान्ति मेरी पत्नी तथा क्षमा मेरा पुत्र है। यह सब मेरे रिश्तेदार है। जो व्यक्ति इस मार्ग पर चलता है उसका अपने संसार में कोई नहीं रहता है वह अकेला ही रहता है उसके लिये उसका ज्ञान और सत्य ही सब कुछ है, भले ही उसके लिये उसको अपनी शरीर रूप संसार से संधि विच्छेद करना पड़े, वह सहर्ष स्वीकार करता है। न मर्षयन्ति चात्मानं संभावयितुमात्मना। अदर्शयित्वा शूरास्तू कर्म कुर्वन्ति दुष्करम्॥  शूर जनों को अपने मुख से अपनी प्रशंसा करना सहन नहीं होता।  वे वाणी के द्वारा प्रदर्शन न करके दुष्कर कर्म ही करते है। चलन्तु गिरय: कामं युगान्तपवनाहता:। कॄच्छे्रपि न चलत्येव धीराणां निश्चलं मन:॥ युगान्तकालीन वायु के झोंकों से पर्वत भले ही चलने लगें, परन्तु धैर्यवान पुरुषों के निश्चल) दय किसी भी संकट में नहीं डगमगाते।
     सभी सुविधाओं से युक्त एक इमारत विद्यार्थियों के लिए जिसमें अपनी शिक्षा के साथ गुरकुलिय परिवेश में बच्चे रहकर दीर्घकाल तक अध्ययन, अध्यापन, अध्यासन कर सके। जिसके लिए जमीन की कीमत को जोड़ दिया जाये, तो एक सामान्य इमारत के लिये, पचास लाख की जमीन और पचास लाख की ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वैदिक एज्यूकेशनल ट्रस्ट की इमारत, कुल एक करोड़ रुपये इसको निरंतर जारी रखने के लिए  कम से कम 15 लाख 100 बच्चों पर एक साल में खर्च आयेगा। यह सब विचारने योग्य बिंदु है।
          हमारे यहां सारे पाठ्यक्रम योग्यता से कराये जायेगें जिसमें हमारी संस्था अपना प्रमाण-पत्र भी उपलब्ध करायेगी । खेल में, क्रिकेट,कबड्डी, खो-खो, बाली बाल, कुश्ती, शतरंज, वैडमिटन, कसरत इत्यादि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है ।
         वैदिक संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान वेद प्रचार मंडल का कार्यक्रम चल रहा है, इसमें आप सब हर प्रकार से सहयोग कर सकते हैं, अपने क्षेत्र में प्रचार प्रसार कर के, या करा के, आप स्वयं अपने क्षेत्र के प्रशिक्षक भी बन सकते हैं। आप अपना दान सीधे हमारी संस्था के बैंक खाते में भी कर सकते हैं। 
 A.C. 270410210000001- IFSC-BKID0ARYAGB, आर्यावर्त ग्रामीण बैंक, नदिनी जोपा मिर्जापूर (उ.प्र.) PIN- 231303
          आपका सेवक - अध्यक्ष- मनोज पाण्डेय,                      

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