नमस्कार मित्रों आप सभी का स्वागत है
लंबि जद्दोजहद के बाद कई सौ सालों के बाद आज सर्वे करने गई टिम को ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जो तालाब हैं उसमें विद्यमान शिवलिंग मिल ही गया, यह शिवलिंग नंदी के ठीक सामने हैं, नंदि से 83फिट की दूरी पर तालाब या कुएं में उपस्थित है।
जैसा की आप सब जानते हैं की काशी विश्वनाथ मंदिर को कई बार तोड़ कर मुगल आक्रांताओं ने तोड़ा लेकिन बार उसका निर्वाण कराया गया। वास्तव में जो मुख्य मंदिर थी वहां पर मुगल आक्रांता औरंगजेब आदि ने मस्जिद को बना दिया और उसी सारी आधारशिला मंदिर की ही है। गुंबद में भी मंदिर के शीखरमिले हैं। मंदिर की बात जिसको दबाने के और उसके साक्ष्यों को मिटाने का प्रयास तो बहुत किया लेकिन उससे परकैसे सफलता मिल सकती है, जब सारा का सारा आधार ही और उसका एक कोना इस बात का सबुत देता है। विष्णु जैन, और सोहनलाल आर्य इस बात को बड़े जोर ढंग से कहा, अब इसका निर्णय करने के लिए सुप्रिम कोर्ट और हाईकोर्ट 17 तारीख को अपना फैसला सुनाएगी।
जैसा की हम सब जानते हैं कि मुगलोंने किसी नई इमारत का निरंवाण यहां पर आने के बाद नहीं किया था, उन्होंने यहां भारतीय राजाओं के द्वारा निर्मित किला और मंदिर को तोड़ कर उसको मुगलिया रंग में रंग दिया लेकिन अब समय बदल गया है, उनके द्वारा जो कुछ रंग रोगन किया गया था वह धीरे धीरे अपने रंग खो रहा है, जिस प्रकार से राम मंदिर के लिए लंबा संघर्ष किया गया और अंत में सफलता हिन्दुओं को मिली, उसी प्रकार से काशी में और मथुरा के साथ आगरा का ताजमहल भी है। जिसके लिए विवाद चल रहा है।
कुल मिला कर यह सत्य है कि ज्ञानवापी मस्जिद के कुएं में शिवलिंग मिलगया है। हमने ऐसे बहुत पहले लोगों के मुह से सुना था की शिवलिंग को कुएं में डाल दिया गया था वह जो लोगों के द्वारा बात कही जाती थी वह सर्वथा सिद्ध हो गई है।
इससे यह सिद्धि होता है कि हमारे समाज में जो हमारे बुजुर्ग इत्यादि हमारे देश और हमारे शास्त्र के बाते करते हैं उसमें सच्चाई है, हमे उसके पाछे के सत्य को जानने के लिए संघर्ष और शोध करना होगा जिससे सत्य सामने हमारे प्रकट हो जाएगा।
0 Comments
If you have any Misunderstanding Please let me know