स्वार्थ पतन
का कारण
ईसा मसीह जैतून पहाड़ पर अकेले बैठे हुए थे। अचानक उनके कुछ शिष्य वहाँ
पहुँचे। एक ने प्रश्न किया , समाज में अधर्म बढ़ता जा रहा है । स्वार्थ भावना पनप रही है । संसार का
भविष्य क्या होगा?
ईसा मसीह ने कहा , वास्तव में मनुष्य स्वार्थ में अंधा होता जा रहा है । इससे एक - दूसरे पर
आक्रमण करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी । जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेंगे ।
जगह -जगह अकाल पड़ेंगे और भूकंप होंगे । परिणामस्वरूप जन- धन की व्यापक हानि होगी
। अधर्म के पनपने से नए- नए मसीह पैदा करने की होड़ भी बढ़ेगी । बहुत से लोग मेरे
नाम से कहेंगे कि मैं ही मसीह हूँ । झूठे भविष्यवक्ता भ्रम फैलाते दिखाई देंगे ।
ऐसी स्थिति में तुम सबको सावधानीपूर्वक इन भ्रमों से दूर रहना चाहिए । यदि तुमसे
कोई कहे कि वह ( मसीह ) जंगल या कोठरियों में है, तो विश्वास न करना । जो अंत तक धीरज धरे रहेगा, अविचल रहेगा, वस्तुतः उसी का उद्धार होगा ।
ईसा ने भविष्यवाणी की , अंतिम समय में कठिन दिन आएँगे । मनुष्य स्वार्थी, लालची, डींगे हाँकने वाला और अभिमानी बन जाएगा । वह असंयमी, विश्वासघाती और कृतघ्न बन जाएगा । परमेश्वर से
प्रेम करना छोड़कर सुख विलास का दास बन जाएगा । लोग भक्ति का दिखावा तो करेंगे , लेकिन परमेश्वर के आदेश को नहीं मानेंगे ।
इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहना ।
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