मैंने सत्य का साक्षात्कार कर लिया है और इस संसार के सत्य को जान लिया मेरे जीवन में अब कुछ जानना शेष नहीं रहा फिर भी जीवन हमारे पास है इस जीवन का उपयोग लोगों को सत्य का ज्ञान हो इसके लिए करना कि अब हमारे जीवन का उद्देश्य हम जीवन अपने लिए नहीं इस जमाने के लिए संसार में जी रहे हैं| संसार रहे और यहां पर यह दुनियादारी चल रही है जो लोग दलदल में धसे हुए हैं और रोज एक कदम धसते जा रहे हैं उनको यदि किसी तरह से इस संसार रूपी सड़े गले नस्वर जगत से निकलने में सहायता मिल सके तो हमारे लिए यही बहुत बड़ी उपलब्धि होगी|
मुझे बड़ा आश्चर्य होता है यहां के लोगों के आचरण को देखकर कि लोग कितने ज्यादा मुर्ख किस्म के हैं. यहां लोग अपनी गलती से सीखते नहीं है और अपनी मूर्खता को सुधारते नहीं है रोज नई-नई मूर्खता को करते हैं उनके आचरण में ही मूर्खता और मूर्खता समा चुकी है यह लोग सुधारना जानते नहीं स्वयं को सुधारना आसान कार्य भी नहीं उतना ज्यादा कठिन भी नहीं है यदि व्यक्ति चाहे तो स्वयं को सुधार सकता है उसके अंदर दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए परोपकार की कल्याण की भावना होनी चाहिए और सत्यता के साथ संसार के संग्राम को लड़ने का सामर्थ और उत्साह होना चाहिए निकम्मे और आलसी प्रकृति के लोगों है|
दूसरा की कोई सीमा नहीं निकृष्टता को लोगों ने अपने जीवन में अपने खून में मिल लिया हैं इनकी वजह से ही यह संसार बहुत अधिक विषैला और खतरनाक बन चुका हे|
मैं संसार को सुधारने की बात नहीं कर रहा हूं संहार को सुधार भी नहीं सकता. यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन हम स्वयं को सुधार सकते हैं हम स्वयं के लिए ऐसे मार्ग का सृजन कर सकते हैं जिस मार्ग से स्वयं को यहां के बीष और जो यहां का खतरनाक जंजाल और तिकड़मबाजी षड्यंत्रों से मुक्त करने मे समर्थ हो सके|
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