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चक्रवृद्धि ब्याज (Compaund Interest)

चक्रवृद्धि ब्याज (Compaund Interest)

जब एक निश्चित समय के बाद मूलधन के साथ-साथ साधारण ब्याज पर भी ब्याज की गणना की जाती है, तो इस प्रकार प्राप्त ब्याज को चक्रवृद्धि ब्याज कहते है|

महत्वपूर्ण सूत्र

यदि मूलधन P रुपए, ब्याज की दर r%, समय n वर्ष तथा मिश्रधन A हो, तब

(i) चक्रवृद्धि मिश्रधन- A = P( 1 + r/100)ⁿ

(ii) A = P + CI

(iii) चक्रवृद्धि ब्याज- CI = p[ (1 + r/100)ⁿ -1 ]

(iv) r = { ( A/P)⅟ ⁿ -1} × 100

जब चक्रवृद्धि ब्याज प्रति छमाही संयोजित किया जाए,

तब, A = P( 1 + r/200)²ⁿ

उदाहरण

(i) दो वर्ष की अवधि मे चक्रवृद्धि ब्याज की 6% प्रतिवर्ष की दर से रु 7250 की राशि कितनी बन जाएगी|

हल :

यहाँ r= 6%, n=2 वर्ष तथा p=रु 7250

A = P( 1 + r/100)ⁿ

= 7250(1+6/100)²

= 7250×106/100×106/100

=रु 8146.1 (लगभग)

(ii) कितने समय में रु 1800 का मिश्रधन रु 1984.50 हो जाएगा जबकि ब्याज की दर 10% वार्षिक है और ब्याज प्रति तिमाही जोड़ा जाता है|

हल:

यहाँ p=रु 1800, A= रु 1984.50, r=10%

सूत्र के अनुसार,

A = P( 1 + r/200)²ⁿ

चक्रवृद्धि ब्याज प्रति छमाही संयोजित किया जाता है

1984.50=1800 (1+10/200)²ⁿ

1984.50/1800 = (21/20)²ⁿ

198450/180000=(21/20)²ⁿ

(1.1025) = (1.05)²ⁿ

2 = 2n

अत: n = 1 वर्ष

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