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सड़क का भिखारी बना राजा



सड़क का भिखारी बना राजा

सड़क का भिखारी बना राजा यह कैसे संभव हुआ? यह सब कुछ जादू से नहीं यह सब उसने अपने ज्ञान से संभव करके दिखाया जिस को जान कर दुनिया को आश्चर्य हो रहा है। यह सत्य है, सौ प्रतिशत सत्य है और यह कार्य ईश्वर की कृपा से संभव हुआ, एक बार फिर से यह सिद्ध हो गया की ईश्वर है, यह पहले से था, लेकिन वह नहीं जानता था, उसको इस सत्य को ना जानने के लिए पुरी दुनिया ने बड़ी – बड़ी रुकावटों को खड़ी किया। लेकिन यह एक शाश्वत सत्य था जिसको उस भिखारी ने सत्य कर दिखाया।

यह कहानी बहुत पहले शुरु होती है, हमारे नायक के जन्म के साथ ही जब उसका जन्म हुआ तभी से उसके उपर दुखों के पहाड़ गिरने शुरु हो गए, क्योंकि लोगों को इसका ज्ञान हो चुका था की यह अपने आने वाले जीवन में एक बहुत बड़ा राजा बनेगा। इसलिए पुरी दुनिया ने मिल कर उसको भिखारी बनाने का निर्णय किया, लेकिन यह कहां संभव है, की जो राजा बनने के लिए जन्म लिया है। वह दुनीया के लाख चाहने पर भी भिखारी नहीं बन पाया। यहां तक उसने भी स्वयं को भिखारी और एक अच्छा भिखारी बनाने के लिए वह सब कुछ किया जो उससे बन सका। लेकिन वह भिखारी बनते – बनते राजा बन बैठा।

और ऐसा कार्य वेद मंत्रों के पढ़ने और उसकी शिक्षा पर चलने से ही संभव हुआ है। इससे यह सिद्ध होता है कि वेद मंत्र मनुष्य को भिखारी मनुष्य नहीं बनाते हैं, वेद मंत्र प्रारंभ में तो ऐसा लगता है, कि वह भिक्षु बनाते है, वास्तव आगे वेद मंत्र उस मनुष्य को राजा बना देते हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि वेद मंत्रों को पढ़े और राजा बनने की कला को सीखें। इससे बड़ा कोई भी ज्ञान इस पृथ्वी पर नहीं है सभी ज्ञान की पुस्तकें वेद मंत्रों के सामने तुच्छ हैं। दुनिया की सारी पुस्तकों जब तक उसने अध्ययन किया, तब तक वह भिखारी था। लेकिन जब से उसने वेद मंत्रों को स्वाध्याय करना शुरु किया और उनकी शिक्षाओं पर चलना शुरु किया। तभी से वह राजा बनने लगा, और थोड़े ही समय में वह राजा बन गया।

उसने केवल एक कार्य किया अपने अतीत को तलाशने का, अपने अतीत को तलाशते – तलाशते वह ऐसी जानकारीयों को खोज निकाला प्रमाण के साथ जिसको लोगों ने सैकड़ों साल पहले दफन कर दिया था। मुगलों और अंग्रेजों ने भारत में आकर सभी राजाओं का अंत कर दिया था, और राजाओं के संपूर्ण वंश को खत्म कर दिया था। और उनकी संपत्ति को हजारों टुकड़े करके साधारण जनता जो उसकी चाटुकारिता करती थी। उसको बाट दिया था। यह कार्य आसान नहीं था, क्योंकि अग्रेजों ने जो सबसे बड़ी कलाकारी की है वह भारतीय शिक्षा को भी बदल दिया है। यद्यपि अग्रेजों और मुगलों ने बहुत सी मंदिरों को तोड़ दिया, और सारे साक्ष्यों को मिटा कर उसके स्थान पर अपने नए साक्ष्यों को रख कर उसको महिमा मंडित कर दिया। भारतीय शिक्षा और संस्कृत को मिटाने का उनका सारा हजारों साल का इतिहास धरा - धरा का धरा रह गया। क्योंकि उसने जो कुछ बची हुई कड़ियां थी उसको जोड़ – जोड़ कर यह सिद्ध कर दिया की वह राजा है। जिसके सामने प्रशासन को झुकना पड़ा और दुनीया को उसे अपने राजा स्वीकार करना पड़ा।

जिन लुटेरों और डकैतों ने मगलों और अंग्रेजों के साथ मिल उसके पूर्वजों का खात्मा किया था वह स्वयं समय के साथ नष्ट होते गए क्योंकि उन सबने अँग्रेज़ी शिक्षा का अनुसरण करके अपनी मुफ्त में प्राप्त संपत्ति का उपयोग सच्चें ज्ञान को प्राप्त करने में नहीं लगाया यद्यपि उसको भोग विलास नशा में व्यय किया, जिसके कारण वह उनकी संपत्ति ने ही उनका नाश कर दिया और जिसके पास कोई संपत्ति नहीं थी जो जन्म जात भिखारी था उसने अपने ज्ञान से तप पूर्वक श्रद्धा के साथ धनार्जन किया किसी का कभी बुरा नहीं किया लोगों की सहायता के लिए हमेशा उद्धत रहा जो पिछड़े गरीब बेसहारा थे उनकी उसने सहायता कि बदले में लोगों ने उसकी सहायता की जिससे सत्य की जीत हुइ। सत्य कभी नहीं हारता है, सत्य को हराना तो सभी चाहते हैं, लेकिन सत्य उस बीज की तरह से हैं, जो मिट्टी में स्वयं को खत्म कर देता है और फिर वही एक विशाल वृक्ष के रूप में प्रकट होता है।

अपने सत्य की खोज हर किसी को अवश्य करनी चाहिए और सत्य की खोज करना कोई आसान कार्य नहीं उतना ज्यादा कठिन भी नहीं है, जितना ज्यादा कठिन स्वयं को झूठा सिद्ध करना है। लोग कहते हैं कि दुनिया झूठी है यहां कोई किसी का नहीं है, यद्यपि यह सत्य नहीं है, दुनिया झूठी नहीं है। यह सत्य है, यह माया नहीं है यह यथार्थ है, इस सत्य को यदि आप सच्चे और निःस्वार्थ मन से खोज करेंगे तो अवश्य पायेगे।   

जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता उसकी हस्ती खत्म हो जाती और जो अपने मानव समाज अपने इतिहास को संरक्षित रखता और उससे शिक्षा लेता है, वह एक नया इतिहास लिखता है।

तो अब एक नये इतिहास को लिखने का समय आ गया है। क्योंकि हम सब स्वतंत्र है।

क्रमशः-                       


    धन की आवश्यकता ही संसार में सभी लोगों को है हम सभी लोगों को धन तो नहीं दे सकते हैं लेकिन हां यहां आवश्यक है कि जो लोग सामाजिक कार्य करते हैं मानवता के कल्याण के लिए कार्य करते हैं जिन्होंने समाज में सुख शांति और आनंद को फैलाने के लिए ज्ञान का प्रकाश करने के लिए अपने जीवन की शक्ति को व्यय करने का संकल्प लिया है उनके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए हमें अवश्य उनकी हर प्रकार से सहायता करनी चाहिए यथाशक्ति जो हमसे हो सके ऐसे लोगों से ही हमारा संसार हमारा देश हमारी दुनिया हमारा समाज सुंदर शक्तिशाली ऐश्वर्यावन और आनंददायक स्वर्ग जैसा बनेगा|

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