निर्धनता समस्या नहीं है, यद्यपि धन ही समस्या है
निर्धनता का मतलब है, कि अपके पास धन नहीं, तो आप किसी तरह अपनी जिंदगी को व्यतित करते हैं और आप हमेशा धन की कमी से जुझते रहते हैं और यह ऐसी समस्या होती है जिसका समाधान आप करने मे समर्थ नहीं होते है जिसके कारण आप स्वयं को हिन नकारा वेकार और हमेशा तनाव में रहते हैं, क्योंकि आप जिस परिवार समाज या जिस जीवन को लेकर इस नस्वर दुनिया में रहते हैं, उसमे बड़े जोर से इस बात को रखा जाता है कि इस दुनिया में धन ही सबसे बड़ी शक्ति है बिना धन के इस दुनिया में जिना असंभव है, और आपको भी यही लगता है, जिसके कारण आप स्वयं को अत्यधिक यातनापूर्ण परिस्थितियों में कैद कर लेते हैं, आप जिस समस्या का समाधान करने चले है, उस समस्या का समाधान आप नहीं कर पाते है, यद्यपि आप स्वयं अत्यधिक समस्या ग्रस्त कर लेते हैं, आप उस हद तक पहुँच जाते है जहाँ आपका जीवन भयंकर खतरे में पड़ जाता है। यहाँ तक आपका जीवन भी आपके हाथ से जा सकता है। धन को आप वे स्वयं को बेच कर प्राप्त करलिया तो आपको ज्ञात होगा कि आपने जिस धन को अपनी जिंदगी को खतरे में डाल कर एकत्रित किया है, वह आपके लिए किसी प्रकार से लाभदायक सिद्ध नहीं होने वाला है, यद्यपि जो सिद्ध हुआ आप तो इससे पहले जब आपके पास धन नहीं था तब ही अच्छे थे, लेकिन उस समय आप अपनी समझ नहीं धी, जब आप में समझ विकसित हुई तो आपको आपका ज्ञान हुआ, और आपको धन की व्यर्थता का ज्ञान हुआ, आपकी मानशिक स्थिति पहले ठिक नहीं जिसके कारण आप पागलो की तरह अपना सर्वस्व त्याग कर धन के पिछे भागते रहे, और अपना सबकुछ त्याग कर धन को प्राप्त कर लिया, यद्यपि इसके बदले में आपको अपना सरवस्व बेचना पड़ा अर्थात आपने अपने अस्तित्व की स्वतंत्रता का सर्वनाश कर दिया, जिसके कारण आप अब आप चाहकर भी उससे स्वतंत्रता को प्राप्त नहीं कर सकते हैं, क्योंकि आपने जिस समाज जिस परिवार जिस दुनिया की बातो को मान कर इस भयंकर परतंत्रता के शिकार हो चुके हैं इसको प्राप्त करने में अपने जीवन की अमूल्य 'संपत्ति आपका समय खत्म कर दिया वह इस धन से आपको नही मिल सकता है। आप केवल धन के सुरक्षा गार्ड बन कर रह गये हैं जिस प्रकार से एक सुरक्षा गार्ड अपने जीवन को आपके धन के लिये अपने जान की परवाह नहीं करता है। उसी प्रकार से आपको भी अपने धन की रक्षा के लिए अब मरने के शिवाय दूसरा रास्ता नही बचा है क्योंकि अब आपके पास ना शक्ति है और ना ही आपके पास समय ही हे, दूसरी तरफ जिसके पास घन नहीं वह अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेता है और वह अपने जीवन का मालिक होता हैं उसके पास उसकी सबसे बड़ी सम्पत्ति उसका ज्ञान होता है, वह धन का रक्षक नही बनता है यद्यपि वह अपना सबसे बड़ा धन का श्रोत देने वाली अर्थात अपनी आत्मा को उपलब्ध कराने वाली उसकी शरीर का मालिक होता है। और अंत में वह अपनी आत्मा को उपलब्ध होकर परम स्वतंत्रता को उपलब्ध होता है।
इस प्रकार से यह सिद्ध होता है कि आपकी मानशिक स्थिति ठीक है, तो आप बहुत बड़े धनी हैं, और यदि आपकी मानशिक शक्ति ठीक नहीं हैं तो आपके पास सबसे बहुमूल्य 'संपत्ति आपका अस्तित्व है, आप उसको स्वीकार करने में जब भी समर्थ होते तभी आप सबसे बड़े धनी बनते हैं, इसमे सबसे बड़ी बाधा आपको अपने आपको स्विकारने का सामर्थ होना चाहिए और अपने परिवार समाज दुनिया की मांयता को अस्विकार करने का साहस और उसके विरुद्ध आपको लड़कर स्वयं को सिद्ध करना होगा। इसमे एक तरफ लगभग पुरी दुनिया होगी है और दुसरी तरफ आप अकेले होंगे, इसमे आपको अपन साथ खड़ा होना होगा, जो इस दुनिया में सबसे कठीन कार्य है, क्योकि लोग अकेले आपने साथ रहने से भयंकर भमभित रहते हैं, इसीलिए वह भीड़ के साथ रहते है, जबकि शाश्वत सनातन सिद्धांत यही है की आप अकेले जन्म लेते हैं और अकेले ही मरते हैं बाकी यहाँ सब झुठ का संबंध है यही परम सत्य इसका जितना जल्दी साक्षात्कार कर लेते है उतना ही आपके लिए शुभ है। इसके अतिरिक्त जो भी है वह सबके लिए अशुभ है।
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