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दिनांक - - ०२ दिसम्बर २०२४ ईस्वी

 🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️

🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷





दिनांक  - - ०२ दिसम्बर  २०२४ ईस्वी


दिन  - - सोमवार 


  🌒 तिथि -- प्रतिपदा ( १२:४३ तक तत्पश्चात   द्वितीया 


🪐 नक्षत्र - - ज्येष्ठा ( १५:४५ तक तत्पश्चात  मूल )

 

पक्ष  - -  शुक्ल 

मास  - -  मार्गशीर्ष 

ऋतु  - - हेमन्त 

सूर्य  - -  दक्षिणायन 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ६:५७ पर  दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १७:२४ पर 

 🌒चन्द्रोदय  --  ७:५८ पर

 🌒 चन्द्रास्त  - - १८:०५ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २००


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 🚩‼️ओ३म्‼️🚩


   🔥 सात्विक भोजन, नियमित दिनचर्या, ब्रह्मचर्य का पालन, पूर्ण निद्रा, व्यायाम, अच्छी पुस्तकों का पढना , सत्संग, विद्वान और श्रेष्ठ मनुष्यों के साथ मित्रता, ईश्वर पर श्रद्धा और विश्वास, सतर्कता, सावधानी, शान्ति प्रियता , प्रशन्नता, धैर्य, दया , क्षमा आदि जिसके अन्दर ये सभी गुण होते है   वह मनुष्य अपनी आयु को बढ़ा सकता है। 


 तामसिक भोजन, अनियमित  दिनचर्या, असंयम, व्यभिचार, अधिक जागना, स्वाध्याय- सत्संग  न करना, बुरे व्यक्तियों के साथ मित्रता, नास्तिकता, असावधानी, क्रूरता, अशान्ति, चिन्ता, शोक ,  भय , रोग आदि से मनुष्य की शारीरिक मानसिक अध्यात्मिक  शक्तियां कम हो जाती हैं और वह अल्प आयु में  - अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। 


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🚩‼️आज का वेद मंत्र‼️🚩


🌷ओ३म् नम: कपर्दिने च व्युप्तकेशाय च नम: सहस्राक्षाय च शतधन्वने च नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मीढुष्टमाय चेषुमते च॥ यजुर्वेद १६-२९॥


  💐 भावार्थ हमें उन सन्यासियों का आदर करना चाहिए जो हमें जीवन का सही रास्ता दिखाते हैं। हमें अपनी श्रद्धा उन विद्वानों में रखनी चाहिए जो हजारों विषयों के ज्ञाता हैं और हमें ज्ञान देते हैं। हमें उन प्रशिक्षकों का सत्कार करना चाहिए जो अस्त्र शस्त्र का प्रशिक्षण देते हैं। हमें उस किसान का सत्कार करना चाहिए जो हम सबके लिए अन्न उगाता है।


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 🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, मार्गशीर्ष - मासे, शुक्ल पक्षे,प्रतिपदा

 तिथौ, 

  ज्येष्ठा नक्षत्रे, सोमवासरे

 , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे ढनभरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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