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जनवरी ख़तना दिवस और नया वर्ष पर जागरूकता अभियान।

 १ जनवरी ख़तना दिवस और नया वर्ष पर जागरूकता

अभियान। 


 इसी दिन यीशु का खतना हुआ था जिसकी ईसाई लोग

ख़ुशियाँ मनाते हैं और ईसाई कैलंडर की शुरुआत करते हैं। 


(Gospel of Luke, 2.21) के अनुसार, जन्म के आठवें दिन

अर्थात् १- जनवरी के दिन, ईसामसीह का खतना

(Circumcision) हुआ था, इसी उपलक्ष्य में १-जनवरी मनाते

हैं.


लूका 2:21 जब आठ दिन पूरे हुए, और उसके खतने का समय

आया, तो उसका नाम यीशु रखा गया, जो स्वर्गदूत ने उसके पेट

में आने से पहिले कहा था। 


“मुराद दुआ मुबारक “से भरा ख़तना दिवस हमारे लिए किस

तरह ख़ुशियाँ  भरेगा ? इस दिन सरकारी कैलण्डर बदलने के

इलावा क्या नया हुआ जो हमारे धर्म संसकृति से या प्राकृति में

नई उमंगों  से जूड़ा हो ?  यह कैलेण्डर ईसाईयों के लिए महत्व

रखता है लेकिन हम बेगानी शादि में अब्दुल्ला दिवाना वाला

रोल अपना रहे है।ईसाई लोग रामनवामी,कृष्ण जन्माष्टमी, गुरू

पर्व , स्वामी दयानंद जन्म दिवस ,होली या दिवाली पर कभी

बधाई संदेश नही भेजते लेकिन हिन्दू कई दिनों से नये वर्ष के

लिए ऐसे उत्साहित हो रहे है जैसे बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त

होने वाली हो।अंग्रेज चले गये लेकिन हिन्दूओ को मानसिक

ग़ुलाम बना गये।यह नव वर्ष केवल ईसाई देशों या उनके अधीन

ग़ुलाम रहे देशों में ही मनाया जाता है।जिन अंग्रेजो ने तुम्हारे

बाप दादाओं की खाल उधेड़ी तुम्हारे पूर्वजों ने कभी उनकी

गुलामी ओर उनके त्योहार स्वीकार नहीं किए फाँसी पर चढ़

गए जेल चले गए और तुम आज कायरो उनके आगे नतमस्तक

हो रहे हो 😠


 ध्यान रखो सभी धर्मों के सम्मान करने और सैकुलर बनने के

दिखावे में अपना अस्तित्व  ही खो बैठोगे और अन्यों की

संस्कृति तुम्हारे मन मस्तिष्क पर इस तरह छा जाऐगी कि तुम

और तुम्हारी आने वाली नस्लें अपना इतिहास अपना धर्म

अपना नामो निशान ही भूल जाऐंगी।सब को समझाना आसान

नहीं है फिर भी हम उन्हें समझाने के अपने प्रयास करते रहेंगे

ताकि उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हो सके और अपनी मूल

वैदिक संसकृति व धर्म को बचा पायें। 

लौटो वैदिक धर्म और वैदिक संस्कृति की ओर।।।

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