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आओ लौट चलें वेदों की ओर।

 *🚩‼️ओ३म्‼️🚩*



*🕉️🙏नमस्ते जी🙏🕉️*


दिनांक  - - २४ फ़रवरी २०२५ ईस्वी


दिन  - - सोमवार 


  🌘 तिथि -- एकादशी ( १३:४४ तक तत्पश्चात द्वादशी )


🪐 नक्षत्र - - पूर्वाषाढ ( १८:५९ तक तत्पश्चात  उत्तराषाढ )

 

पक्ष  - -  कृष्ण 

मास  - -  फाल्गुन 

ऋतु - - बसंत 

सूर्य  - - उत्तरायण 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ६:५१ पर दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १८:१८ पर 

🌘 चन्द्रोदय  -- २८:५९ पर 

🌘 चन्द्रास्त  - - १४:२१ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २०१


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 *🚩‼️ओ३म्‼️🚩*


*🔥आओ लौट चलें वेदों की ओर।*

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      एक समय था जब भारत विश्वगुरु था ।संसार का सिरमौर था सारे संसार के लोग भारत के ऋषि मुनियों के चरणों मे बैठकर ज्ञान-विज्ञान और चरित्र की शिक्षा लिया करते थे।


      संसार के आदि सम्राट महर्षि मनु ने हिमाचल की चोटी पर खड़े होकर  भारतवर्ष के गौरव की डिण्डिम घोषणा करते हुए कहा था----

*ऐतददेशप्रसूतस्य  सकाशादग्रजन्मनः।*

*स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन पृथिव्यां सर्वमानवाः।।*

 ----- मनु० २/२०

आर्यावर्त देश में उत्पन्न अग्रजन्मा=ब्रहामणों के चरणों में बैठकर संसार के लोग अपने अपने योग्य विद्या और चरित्र की शिक्षा ग्रहण करें।


      महर्षि दयानंद सरस्वती भारतवर्ष के गौरव और महिमा का वर्णन करते हुए  लिखते है-----

"यह आर्यावर्त्त देश ऐसा है,जिसके सदृश भूगोल में दूसरा कोई देश नहीं. है।इसलिए इस भूमि का नाम स्वर्णभूमि है,क्योंकि यही स्वर्णादि रत्नों को उत्पन्न करती है इसलिए सृष्टि के आदि मे आर्यलोग इसी देश में आकर बसे ।जितने भूगोल में देश हैं वे सब इसी की प्रशंसा करते हैं और आशा करते हैं कि इस देश की संस्कृति और सभ्यता से ही हमारा कल्याण होगा।"


    फ्रैंच लेखक जैकालियट महोदय ने अपने ग्रंथ Bible in Indiya  में "भारतवर्ष को सभ्यता का हिंडोला कहा है।"

भारतवर्ष को ज्ञान और धर्म का आदिस्रोत स्वीकार करते हुए प्रो०हीरेन लिखते हैं----

"भारतवर्ष ही वह स्रोत है,जिससे न केवल एशिया ने अपितु समस्त पाश्चात्य जगत् ने भी अपनी विद्या और धर्म प्राप्त किया।"

मेजर डी० ग्राह्मपोल का कथन है------

"भारत उस समय सभ्यता और विद्या के उच्च शिखर पर पहुँचा हुआ था,जिस समय हमारे पूर्वज अभी वृक्षों की छाल के बने हुए कपड़े पहनकर अफ्रातफ्री में इधर-उधर भटक रहे थे।"


      मुसलमान लेखक वस्साफ़ अपने ग्रंथ 'तारीखे वस्साफ़  में लिखते हैं---"सभी इतिहासवेत्ता यह मानते है कि भारतवर्ष भूमंडल का एक अतीव रमणीय और चित्ताकर्षक देश है।इसकी पावन पुनीत मिट्टी के रजकण वायु से भी अधिक हल्के और पवित्र हैं और इसकी वायु की पवित्रता स्वयं पवित्रता से भी अधिक पवित्र है।इसके ह्रदयग्राही मैदान स्वर्ग की स्मृति को जगाने वाले हैं।"

वे पुनः लिखते हैं----

"यदि मैं यह दावा करूँ कि स्वर्ग भारत में ही है तो तू आश्चर्य मत करना क्योंकि स्वयं स्वर्ग भी भारत की समानता नहीं कर सकता ।"


     परन्तु दुर्भाग्य हमने अपनी सभ्यता, संस्कृति ज्ञान-विज्ञान, धर्म सबको भुलाकर इस पवित्रतम धरा को पाप ,हत्या, बलात्कार,हिंसा,, लूट-खूसूट और अपराध की भूमि बना दिया।अंधाधुंध प्रदूषण कर जल,वायु और भूमि को अपवित्र कर दिया ।

यदि आज भी हम अपने स्वर्णिम अतीत को देखें और परमात्मा प्रदत्त ज्ञान वेदों का अध्ययन करें और उसका अनुसरण करे तो भारत पुनः उतना ही गौरवशाली, समृद्ध  पवित्र ,संस्कारी देश बन संसार का सिरमौर बन सकता है ।आज भी हममें वो क्षमता है की हम विश्वगुरु का पद प्राप्त कर सकें ।अपने ,सामर्थ्य को जगाओ .....जुड़ो जड़ों से लौटो वेदों की ओर।


जय आर्य ।जय आर्यावर्त ।जय भारत ।


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*💐🚩 आज का वेद मंत्र 🚩💐*


*🌷 ओ३म् ये देवानां यज्ञिया यज्ञियानां मनोर्यजत्रा अमृता ऋतज्ञा: । ते नो रासन्तामुरूगायमद्य यूयं पात स्वस्तिभि: सदा न:। (ऋग्वेद ७|३५|१५ )*


💐 अर्थ :-  पूजनीय विद्वान् यज्ञमय जीवन वाले ज्ञानी, यशस्वी देव जन, धर्म के जानने हारे हमको उत्तम ज्ञान का उपदेश करें ।हे देवों सुखों द्वारा सदा हमारी रक्षा करें ।

🌻🌻 ।।ओ३म्।। 🌻🌻

🙏 14.02.25 वेद वाणी 🙏


समानमस्मा अनपावृदर्च क्ष्मया दिवो असमं ब्रह्म नव्यम्।

वि यः पृष्ठेव जनिमान्यर्य इन्द्रश्चिकाय न सखायमीषे॥ ऋग्वेद १०-८९-३॥🙏🌻


प्रभु सभी की स्तुति के योग्य है। प्रभु की व्यापकता के कारण वह सभी के समीप है। वह पृथ्वीलोक और द्युलोक से भी महान है। वह इस संसार की सभी वस्तुओं को जानता है। वह अपने मित्र जीव को कष्ट नहीं होने देना चाहता। उसकी अर्चना समान रूप से सभी को करनी चाहिए।🙏🌻


The Lord is worthy of everyone's praise. The Lord's pervasiveness everywhere makes Him close to everyone. He is superior to both the earth and the sky. He knows all the substances in this world. He does not want his living being friend to suffer. Everyone should worship Him equally.(Rig Ved 10-89-3)

🙏

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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 एकाधीकद्विशततमे ( २०१) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- उत्तरायणे , शिशिर -ऋतौ, फाल्गुन - मासे, कृष्ण पक्षे, दशम्यां - तिथौ, मूल - नक्षत्रे, रविवासरे शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे।


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