🙏 *आज का वैदिक भजन* 🙏 0754
मनुष्य जन्म अनमोल रे,
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
सत्संगत में जाया कर
गीत प्रभु के गाया कर
रोज सबेरे उठ कर बन्दे
प्रभु का ध्यान लगाया कर
नहीं लगता कुछ मोल रे
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे,
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे
तू बुलबुला है पानी का,
मत कर मान जवानी का
नेक कमाई कर ले रे बन्दे
पता नहीं जिन्दगानी का
मीठा सबसे बोल रे
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे,
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे
मतलब का सन्सार है
इसका नहीं एतबार है
सम्भल-सम्भल कर चलना रे प्राणी
फूल नहीं अंगारे है
मन की आँखें खोल रे
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे,
इसे माटी में ना रोल रे
अब तो मिला है - फिर न मिलेगा
कभी नहीं, कभी नहीं, कभी नहीं रे
मनुष्य जन्म अनमोल रे




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