🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🕉️🙏नमस्ते जी
दिनांक - - ०७ मार्च २०२५ ईस्वी
दिन - - शुक्रवार
🌓 तिथि -- अष्टमी ( ९:१८ तक तत्पश्चात नवमी )
🪐 नक्षत्र - - मृगशिर्ष ( २३:३२ तक तत्पश्चात आर्द्रा )
पक्ष - - शुक्ल
मास - - फाल्गुन
ऋतु - - बसंत
सूर्य - - उत्तरायण
🌞 सूर्योदय - - प्रातः ६:४० पर दिल्ली में
🌞 सूर्यास्त - - सायं १८:२५ पर
🌓 चन्द्रोदय -- ११:४५ पर
🌓 चन्द्रास्त - - २६:३९ पर
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,१२५
कलयुगाब्द - - ५१२५
विक्रम संवत् - -२०८१
शक संवत् - - १९४६
दयानंदाब्द - - २०१
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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
🔥तीन गुणों से तीन प्रकार के पाप-पुण्य और उनसे मिलने वाली योनियाँ
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🔥तामसिक वृत्ति
जिन लोगों के काम-अत्यन्त तमोगुणी वृत्ति से होते हैं वह मर कर स्थावर,वृक्षादि या कीड़े-मकोड़े,मच्छर,सर्प,कछुए,पशु और मृग के जन्म को प्राप्त होते हैं।(मनु० १२/४२)
' मध्यम तमोगुणी' गति वाले म्लेच्छ,हाथी,घोड़े,शूद्र निन्दित,सिंह,व्याघ्र,वराह (सुअर) आदि के जन्मों को प्राप्त होते हैं (मनु० १२/४३)
उत्तम तमोगुणी' वृत्ति-युक्त मनुष्य भाट,कवीश्वर,डोम,सुन्दर पक्षी,दम्भी पुरुष,राक्षस,पिशाच,अनाचारी,मद्यादि वर्जित आहार करने वाले,मलिन रहने वाले जन्मों को प्राप्त होते हैं।(मनु० १२/४४)
🔥रजोगुणी गति
(१) अत्यन्त रजोगुणी निकृष्ट गति वाले जल्लाद(तलवार आदि से मारने वाले) अथवा कुदाल आदि से खोदने वाले,मल्लाह,नट बाजीगर,शस्त्रधारी नर्तक,जो मद्यादि पीने-पिलाने में आसक्त रहते हैं,का जन्म पाते हैं।(मनु० १२/४५)
(२) मध्यम रजोगुण युक्त गति के मनुष्य-राजा,क्षत्री वर्ण वाले,राजाओं के पुरोहित,वाद-विवाद करने वाले प्रचारक,दूत,वकील,बैरिस्टर,युद्ध विभाग के अध्यक्ष (अफसर) आदि का जन्म पाते हैं।
(३) उत्तम रजोगुण युक्त गति वालों को-गन्धर्व,गाने बजाने वाले,धनपति,विद्वानों के सेवक,अप्सरा (सुन्दर रुपवती स्त्री) आदि की योनि मिलती है।(मनु० १२/४७)
🔥 सतोगुणी गति वाले
(१)निकृष्ट सतोगुणी प्रकृति वालों को तपस्वी,ऋषि,सन्यासी,वेदपाठी,विमान चलाने वाले,ज्योतिषी,दैत्य (देह-पोषक) आदि का जन्म मिलता है।(मनु० १२/४८)
(२) मध्यम सतोगुणी गति वालों की यह स्थिति है कि वह यज्ञ करने और कराने वाले,वेदार्थ के पण्डित् विद्वान,वेद-वेत्ता और काल विद्या के जानने वाले,रक्षक ज्ञानी साध्य अर्थात् कार्य-सिद्धि के लिए सेवा करने योग्य अध्यापक आदि का जन्म पाते हैं।(मनु० १२/४९)
(३) उत्तम सतोगुणी वालों की-(सब वेदों का ज्ञाता) विश्व सर्जन अर्थात् समस्त सृष्टि क्रम विद्या को जानकर नाना प्रकार के यान,कला-कौशल आदि के बनाने वाले,धार्मिक,सर्वोत्तम बुद्धि से युक्त और अव्यक्त के जन्म तथा प्रकृति-वशित्व सिद्धि को प्राप्त होते हैं।(मनु० १२/५९
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🚩‼️ विदुर नीति ‼️🚩
🌷न जातु कामान्न भरान्न लोभाद्, धर्म त्यजेत् जीवितस्यापिहेतो:। धर्मो नित्: सुखदु:खे त्वनित्ये, जीवों नित्य हेतुरस्य त्वनित्य:।।( विदुर नीति ८-१२-१३)
💐 अर्थ:- न कामना से, न भय से, न लोभ से धर्म को जीवन की रक्षा के लिए भी नहीं त्यागना चाहिए क्योंकि मनुष्य के साथ चलने वाला धर्म तो सदा रहने वाला है और शरीर के द्वारा भोगे जाने वाले सुख- दुःख तो आते जाते रहते हैं ।जीव (आत्मा) नित्य है पर उसका शरीर धारण तो अनित्य है ।
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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक पञ्चाङ्ग के अनुसार👇
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🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏
(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त) 🔮🚨💧🚨 🔮
ओ३म् तत्सत् श्री ब्रह्मणो दिवसे द्वितीये प्रहरार्धे श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वते मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 एकाधीकद्विशततमे ( २०१) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे, रवि- उत्तरायणे , बंसत -ऋतौ, फाल्गुन - मासे, शुक्ल पक्षे, अष्टम्यां - तिथौ, मृगशिर्ष - नक्षत्रे, शुक्रवासरे , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे भरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ, आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे
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