*नीम तेल- एक विशेष प्रयोग--* सर्वप्रथम- पीली सरसों का, शुद्ध तेल- 250 ग्राम , प्राप्त करें। इसके बाद- नीम की पत्ती 100 ग्राम, या - 150 ग्राम को पीसकर, छोटी-छोटी - चपाती बनाकर, नीम तेल में- काला होने तक, भूल ले। तेल को ठंडा होने पर- फिनायल की, बड़ी वाली- 5-6 गोली को पीसकर- इसी में मिला दे, यही आपका- चर्म रोग नाशक, विशेष - नीम तेल है। *प्रयोग- 1- एग्जिमा--* प्रथम एक्झिमा को , अच्छा खरोच खरोच कर - साफ करें, इसके बाद ही , यह तेल- दिन में तीन-चार बार, लगाते रहने से- 10 दिन के बाद, आराम मिलना चालू हो जाता है / *नंबर दो - बिबाई फटना -* यह अधिकतर, जाडे के दिनों में ही- होता है ? यह तेल- दिन में दो-तीन बार लगाते रहने से , आराम मिल जाता है- आप चाहे तो , इसी तेल में- सफेद मोम को , पिघलाकर मिला दे- मलहम बन जाता है। *नंबर तीन- घमोरियां--* गर्मी के दिनों में - अधिकतर, इसका प्रकोप- देखा जाता है, इस तेल को- नहाने के एक घंटा पूर्व, अच्छा रगड़ कर लगाते रहे, आराम मिल जाता है। *नंबर चार- फोड़ा फुंसी --* बरसात के दिनों में , बच्चों में अधिकतर- फोड़ा फुंसीया हो जाती है, इस तेल का प्रयोग करें- आराम मिल जाता है / *नंबर पांच- घाव --* नियमित लगाते रहने से, घाव भर जाता है / *नंबर 6- पित्ती उछलना--* यह बड़ा तकलीफ वाला, रोग होता है- इससे- खुजली- शरीर पर, लाल लाल चकते- उभरते हैं, इस तेल को- दिन में तीन-चार बार लगावे, आराम होगा / *नंबर 7- खुजली--* खुजली चाहे सुखी हो , या - गीली हो, दिन में तीन-चार बार लगावे- आराम हो जाता है/ इसी प्रकार - अन्य चर्म रोग में, प्रयोग करें- आराम अवश्य होगा। मित्रों - यह चर्म रोग, एक शारीरिक व्याधि है, रक्त का अशुद्धीकरण है ? इसलिए - इस तेल के साथ- अन्य प्रयोग करना, बहुत आवश्यक है। जैसे- गंधक रसायन वटी, खादिरारिस्ट, मजिस्ट्रारिष्ट, पत्थ परहेज, खानपान, और- विशेष कर- विरेचन का प्रयोग आवश्यक है। शिवा आयुर्वेद- परासिया

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