हम सब जानते हैं कि हम सब मरने वालें हैं, फिर हम किसी को मारतें क्यो हैं? क्या हम इंतजार नहीं कर सकते हैं …
1. ओ३म् इ॒षे त्वो॒र्जे त्वा॑ वा॒यव॑ स्थ दे॒वो वः॑ सवि॒ता प्रार्प॑यतु॒ श्रेष्ठ॑तमाय॒ कर्मण॒ऽआप्या॑यध्वमघ्नया॒ऽइन्द…
यह तो हर एक आदमी इस संसार का आदमी चाहता हैं कि वह मरना नहीं चाहता हैं। भले ही उसका जीवन कितना दुःखों से भरा हो,…
ओ३म् ब्रह्मचर्यामृत अर्थात् जीवन - संदेश दुखी की पुकार विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव । …