जीवन एक पहली है जिसको जितना अधिक सुलझाते रहों वह उतना ही अधिक उलझती जाती है, इस लिए मैं कहता हुं कि सुलझाने का प्रयाश करना ही व्यर्थ है उलझनो के साथ ही जीने का प्रयास करें, जीवन का नाम ही समस्या है। लोग कहते है की उन्होंने ने अपने जीवन की समस्या का समाधान कर लिया वास्तव में उन्होंने जीवन की समस्या का समाधान नहीं किया यद्यपि अपने जीवन को समस्या में इतना अधिक उलझा लिया है की अब उनको जीवन की समस्या समस्या नहीं लगती है यद्यपि जीवन की समस्या में ही उनको समाधान नजर आता है। अर्थात समस्या को ही समाधान मान लिया है। जिससे जीवन की सभी उलझी हुई गुत्थिया सुलझ जाती है।
मेरी समस्या यह है कि मुझे मेरे मन माफिक कार्य नहीं मिल रहा है जो मिल रहा है उसमें मेरा मन नही लग रहा है, इसी उधेड़ बुन में जीवन का काफी लम्बा समय गुजर गया और जितनी जीवन की समस्या ती वह वहीं पर खड़ी रही एक भी समस्या का समाधान मेरे द्वारा नहीं किया जा सका। यद्यपि बार -बार उन्ही समस्याओं का साक्षात्कार किया जा रहा जिससे मेरा मस्तिस्क चकरा रहा है। और विचार करता है कि आखिर यह सब मेरे साथ हो क्या हो रहा है?, कापी चिन्तन करने के बाद मैंने पाया कि यहां का यहीं यर्थाथ है यहां हर किसी को अपनी समस्या में ही डुबकी लगाना पड़ता है और उसी समस्या के साथ ही स्वयं का अंत कर लेना पड़ता है। क्योंकि सारी समस्या भौतिक है जबकि हम स्वयं भौतिक नहीं है इस लिए मुझमें और समस्या में हमेशा मतभेद बना रहता है । यहीं बात यहां दुनिया में लोग आसानी से नहीं समझते है लोगों को यहीं समझाने का प्रयाश किया जाता रहा है हर तरह से कि आप भी इन भौतिक वस्तुओं के साथ एक भौतिक वस्तु से अधिक नहीं है।
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