तिस्स्रों वाचो निहितारन्तरस्मिन् तासामेका वि पपातानु घोषम्।।
अर्थात यह विचार जो हमारे जीवन और हमारे
अस्तित्व का कल्याण करने वाले हैं, अर्थात शिवा जो कल्याण कारक है, जिस विचार का श्रोत स्वयं इस सृष्टि का रचने वाला है, और वह एक प्रकार का विचार ही हैं, दूसरा विचार वह है जो हमारा अकल्याण
करने वाला हैं
आज इस भारत भूमि को यहां के ग़द्दारों ने
गुलाम बना रखा हैं और लोगों में खूब प्रचारित कर रखा हैं कि भारत आजाद अंग्रेजो से
हो चुका हैं यद्यपि आज भी अंग्रेज ही हम पे चमचों के द्वारा भारत पर राज्य कर रहें
हैं, और सीधे
- साधे भारतीयों को में अपने अज्ञान का विस्तार कर रहें हैं कि भारत स्वतंत्र हो
चुका जब कि एक वायरल सच आया है। कि भारत को मात्र 99 सालों के लिए लीज किया गया है
अपने भारतीय चमचों को अंग्रेजो के द्वारा अभी
स्वतंत्र नहीं है हो सकता है जिसके लिए इसको अपने लिए कुछ ईमानदारी पूर्वक नियम बनाने होंगे और उस पर ईमानदारी से अमल करना होगा।
जब भारत के संदर्भ में बात चल ही रही है तो हम
बता दे की भारत प्राचीन काल से ही बहुत धनी देश रहा है। जिसके कारण ही इस भारत देश
पर दूसरे जो भारत के शत्रु देश हैं उनकी नजर लगी हुई है। जैसी भेड़िया अपनी ललचाई दृष्टि
से अपने मुँह में पानी भर कर लार टपकाता हुआ देखता है, और मौका पाते ही वह झपट्टा
मार कर अपना शिकार प्राप्त कर लेते है। इसी प्रकार से जो भारत पर अपना अधिकार अतीत
काल में कर चुके है वह यहां पर अपनी भूख को शांत करने के लिए आये थे और जब उनकी
भूख शांत हो गई तो वह यहां के खाने के और इसके स्वाद के इतने आदि बन चुके थे की वह
अपनी स्वतंत्रता से यहां से जाने से मना कर दिया जिसके कारण उनको यहां से निकालने
के लिए हम भारतीय और हमारे पूर्वजों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और अपने जान को भी
गवाना पड़ा तो इस तरह से हमें ने इन भूखे भेड़ियों से स्वयं को किसी तरह से आजाद
तो कर लिया, लेकिन इनकी जो दोगली नस्ल ने भारतीय बन कर अपना अधिकार जमा लिया है।
इसके पीछे जो मुल कारण है उस पर हमने ध्यान
नहीं दिया जिसके कारण ही हम पर यह शासन कर रहें हैं। किसी समस्या के प्रायः दो
रास्ते होते हैं एक तो उस समस्या का समाधान वास्तविक रूप से किया जाये और एक
समस्या का समाधान केवल असन्तोष से शांति प्राप्त करने के लिए किया जायें। भात एक विशाल
देश है और आज की तारीख में यह स्वतंत्र देश माना जाता है, तो इसको कुछ ऐसे कार्य
करना चाहिये जिससे भविष्य में फिर किसी प्रकार की समस्या का भारत पर ना खड़ी हो, उदाहरण
के लिए यह कहते है कि भारत आजाद है फिर भी भारत के उपर आज भी कितनी समस्या है
जिसका सार्थक समाधान अभी तक भारत सरकार नहीं कर पाई है। सबसे पहले यह हमें समझना
होगा की जो हमारे बाहरी शत्रु हैं उनको शांत करने के लिए उनको मुँह तोड़ जवाब देना
होगा, आज हमारे सामने पाकिस्तान और चीन जैसे देश हमारे लिए रोज नई - नई समस्या
खड़ी कर रहें है। इसका समाधान क्या पाकिस्तान भी जब से भारत आजाद हुआ तब से ही
भारत के कुछ हिस्से पर अपना जबरदस्ती कब्जा बना कर रखा है और इतने सालों की आजादी
के बाद भी भारत अपने आपको इस लायक नहीं बना पाया की वह अपने हिस्से को पाकिस्तान
के कब्जे से अपने अधिकार में कर पाये, दूसरी तरफ इसकी ही देखा देखी चीन ने भी भारत
के काफी बड़ा भू भाग आपने अधिकार में कर चुका जिस पर आज तक भारत सरकार ने कुछ भी
कदम उठाने में असफल रही है हमारी भारत की सरकार तो अपने आप को किसी ते बचाव करने
में अपना समय व्यतीत कर रही है। लग-भग 70 साल से अधिक समय भारत के आजादी को हो
चुके है अभी तक भारत की जो आंतरिक समस्या गरीब और भूख मरी है उससे भी निजात नहीं
पाया है। भारत सरकार ने अभी तक क्या किया इसके उत्तर में हम कह सकते हैं की सड़कें
बनाई है, कल कारखाने लगायें है मजदूर, नौकरों और गुलामों की आबादी को बढ़ाया है
जाती वाद और अल्पसंख्यक के नाम पर राजनीति किया है, अमीरों को और अमीर बनाया हैं
और ग़रीबों को गरीबी में मरने के लिए मजबूर किया है।
इसके पीछे जो मुख्य कारण है वह अभी तक किसी
भी सरकार ने नहीं समझा है चाहें वह काँग्रेसी हो या फिर भाजपाई हैं यहीं दो सरकार
इस भारत देश के कर्णधार के रूप में राजनीति के मुख्य पार्टियाँ हैं। जिन्होंने
किसी भी समस्या का कोई जमीनी स्तर पर समाधान नहीं किया है सबने केवल एक कार्य किया
अपना कार्य काल पुरा करने के लिए समस्या को किसी तरह से अपने से दूर टालने का
प्रयास किया है। जिसके कारण भारत में अशिक्षा अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं सारें
विश्वविद्यालय केवल नौकरों को पैदा करने की मशीन बन कर रह गये, जहां एक से बढ़ कर
एक गुलाम और दोगले निकल रहें हैं। जिन को अपने भारत के बारें में जो भी जानकारी
प्राप्त करनी होती हैं वह अंग्रेजो से पुछते है और उनको ही प्रमाण मानते है। भारत
में सबसे अधिक भ्रष्टाचार, चरित्रहीनता, गुण्डागर्दी, अत्याचार अपने चरमोत्कर्ष पर
है। जिसका कोई समाधान भारत सरकार के पास नहीं हैं जिसका नैतिक पतन हो रहा है।
यह तो कुछ समस्या है जिसके कारण भारत अन्दर
अन्दर सेही खोखला हो रहा है और हिजड़े नपुंसक का संख्या निरंतर बढ़ रही है जिनके
पास इतना सामर्थ्य ही नहीं है कि वह अपने मस्तिष्क का सही उपयोग कर सके, क्योंकि
आज जिसके हम आधुनिक मानव कहते हैं, वह मनुष्य कहलाने योग्य नहीं हैं। क्योंकि
मनुष्य होने के कुछ लक्षण है जो आज के मानव में एक भी नहीं मिलते हैं।
जिसकी खोज में और जिस भूख को शांत करने के लिए
ही यहां भारत में कितने आता तई और लुटेरों और डकैतों ने मुग़लों ने आक्रमण किया और
जी भर कर लुटा खसोटा और हर प्रकार से जलील किया, सबसे बड़ी बात तो यह है कि इससे
किसी प्रकार कि शिक्षा को भारतीयों ने नहीं लिया और ना ही उससे बचने का कोई मार्ग
ही तलाशा, ऐसा नहीं है मैंने जितनी समस्या का वर्णन किया हैं उसका भारत के पास समाधान नहीं है, समाधान है
लेकिन उस समाधान के प्रती लोगों का झुकाव ही नहीं है। जिस प्रकार से जो वस्तु अपने
घर में पैदा होती है उसकी हम कीमत नहीं करते है और जो विदेशों में से आती है उसके
लिए हम सब पागल होते हैं।
हमारे प्राचीन ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान का
उपयोग करके सभी विश्व की जंगली और आदिवासी किस्म की जातीयता आधुनिक हो गई, और हम
उनका मुँह देखते है हर क्षेत्र में क्योंकि हमने अपने ज्ञान विज्ञान ब्रह्मज्ञान
पर कभी शोध नहीं कराया, इसके विपरीत हमारी सरकारों ने यदि कहीं देखा की इस पर काम
हो रहा है तो उस पर रोक लगाया। क्योंकि इसके द्वारा ही वह अपने आप को अपने आपको
सिद्ध कर सकते है की वह सब दोगली नस्ल के वफादार पालतू कुत्ते हैं।
समाधान
मतलब नियम हैं जिन पर शक्ति पूर्वक हमें आगे बढ़ना होगा, जिसके लिए हमें जो आज तक नहीं हुआ है वह करना
होगा और यह सब कुछ बहुत बड़े अस्तर पर करना होगा। सर्व प्रथम हमारी भारत सरकार को
करना होगा वह कार्य है की हमें अपनी भारतीय शिक्षा पद्धति को लागू करना होगा। और हमें हमारा सारा कार्य हमारी भाषा
में करना होगा। और यह सभी लोगों के लिए अनिवार्य करना अति आवश्यक जो ऐसा नहीं करता
है उसके लिये कठोर दण्ड दे कर उनकी सारी संपत्ति सरकार अपने अधिकार कर लेना। और
सभी के साथ बिना किसी भेद भाव के ऐसा करना होगा। इसका परिणाम यह होगा की हमारे देश
की के प्रत्येक नागरिक समान जानकारी को आसानी से प्राप्त कर सके, इससे भी जो बड़ी
और दुर्लभ बात है वह है कि हमारा भारत देश अपने ज्ञान के लिए विश्व प्रसिद्ध रह
चुका है और उस ज्ञान का आधार संयम धारणा ध्यान समाधि और ब्रह्मज्ञान है। जिसके
कारण लोगों में त्याग तपस्या और धैर्य, क्षमा, दम, अस्तेय , शौच, इन्द्रिनिग्रह,
धी, विद्या , सत्य, अक्रोध जैसे गुणों का सृजन होगा। जिसके कारण मानव मानव का
मित्र बनेगा नाकी शत्रु बनेगा।
दूसरी बात है की भारत सरकार अपनी बाहरी शत्रु
को पराजित करने के लिए हमें तैयारी करनी होगी, जिसके लिए हमें सिर्फ अपने सैनिकों
ही तैयार नहीं करना होगा, यद्यपि इसके अतिरिक्त हमें हमारे देशवासीयों की रक्षा के
लिए और दूसरे कार्यों करना होगा, उदाहरण के लिए हमें जमीन के अंदर लोगों को रहने
के लिए बढ़ावा देना चाहिए। अर्थात जमीन के अंदर आराम दायक सुन्दर इमारतों का
निर्वाण किया जायें और इसके अतिरिक्त हमें परिवहन के लिए भी जमीन के अंदर ही अंदर
सुरंगों का निर्वाण करना होगा और इसको बढ़ावा देना होगा। इसके साथ जितनी कंपनी और फैक्टरी
हैं और उद्योग को समंदर के अंदर स्थापित
किया जाये, समंदर के अंदर द्वीपों का निर्वाण किया जाये। इस तरह जमीन की कमी का समस्या का समाधान होगा
दूसरी बात हम जमीन के अंदर से ही पाकिस्तान और चीन के बार्डर तक पहुँचे और उनके
नास का सारा सामान वहाँ पर एकत्रित करके रखें जिससे उनके मुँह खोलते ही उनके मुँह
में बारूद भर दें। हमें अपने अंदर से मजबूत बनना होगा।
इसके लिए हमें कड़े कानून बनाने होंगे, चीन
से आने वाले माल पर पूर्णतः रोक लगाना होगा शक्ति के साथ और जिनके पास अकूत धन है
और जो भारत के साथ भ्रष्टाचार कर रहें हैं उनको कटघरें के अंदर करके उनकी सारी संपत्ति
को सरकार के अधिकार में करना होगा। गरीबी का समाधान केवल एक है वह अमीरी को समाप्त
किया जायें गरीबी को समाप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इसको करते हुए सैकड़ों साल
होगये है इसके विपरीत हमें अमीर को समाप्त करना होगा। गरीबी का मतलब सिर्फ भौतिक
संपत्तियों से नहीं है इसका संबंध मानव चेतना से है क्योंकि उसके पास आंतरिक ज्ञान
नहीं हैं जब उसके पास ज्ञान होगा तो वह सभी प्रकार के ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेगा।
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