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ब्रह्म ब्रह्मचर्य ब्रह्मज्ञान = ब्राह्मण अर्थात पृथ्वी पति कैसे बने?



 ब्रह्म ब्रह्मचर्य ब्रह्मज्ञान = 

ब्राह्मण अर्थात पृथ्वी पति कैसे बने?


 

      नमस्कार मित्रों आज में आप सब को एक ऐसे रास्ते में बताने जा रहा हूं, जिसके बारे में आज तक आपको किसी ने भी नहीं बतलाया होगा, इसके बारे में आप कही नेट पर या किसी किताब में या फिर आप यूट्युब पर भी इस विषय पर कोई जानकारी नहीं मिलेगी। क्योंकि ऐसी जानकारी बहुत ही कम लोगों को होती है, जिसको इसकी जानकारी होती है, वह बताते नहीं हैं, क्योंकि जो एक बार करोड़ पति बन गया, तो वह भूल ही जाता है, कि कभी वह भी एक साधारण रोड पति था।

     मैं जिस क्षेत्र के बारे में आपको आज बताने जा रहा हूं, उस क्षेत्र में कोई बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा भी नहीं हैं, क्योंकि लोगों को इसके बारे में बहुत ही कम जानकारी है, या फिर लाखों में कोई एक होगा जो इस क्षेत्र में स्वयं को सफल करने के लिए कार्य कर रहा होगा। सबसे पहली बात इस क्षेत्र में या फिर किसी और क्षेत्र में सफलता को प्राप्त करने के लिए आपको परिश्रम तो करना ही पड़ता है।

      बिना परिश्रम के आसानी से सफलता तो आपको मिल सकती है लेकिन वह सफलता ज्यादा समय तक आप के साथ नहीं रहने वाली होती है। करोड़ पति बनने के लिए आपको स्वयं को तैयार करना होगा, इसके लिए आपको बहुत अधिक धन की जरूरत नहीं चाहिए। आपको ऐसे आदमी को तलाशना होगा या ऐसी औरत को तलाशना होगा, जो सच में करोड़ पति हो। यदि आप पुरुष हैं तो आपको एक ऐसी अमीर लड़की की खोज करनी होगी। जो करोड़ पति हो, यदि आप औरत हैं, तो आपको एक ऐसे आदमी की तलाश करनी होगी जो करोड़पति या अरब पति हो। और उसको अपने अधिकार में करना होगा उसको जितना होगा।

      क्योंकि आपको शायद यह नहीं पता होगा, कि हमारे भारत में ही ऐसे हजारों और लाखों की संख्या में स्त्री पुरुष हैं, जिनको अपने साथी के रूप में कोई पुरुष या औरत की तलाश है, और उनको यहां भारत में नहीं मिल रहा है, जिसके कारण वह किसी विदेशी आदमी से विवाह करने के लिए मजबूर होते या होती हैं। और वह इतने अधिक धनी हैं जिसके कारण ही उनको समाज में उनके योग्य कोई लड़का या लड़की नहीं मिलती है, जिससे वह विवाह कर सके, आपको उनके योग्य बनाना होगा, उनको धन नहीं चाहिए यह तो निश्चित हैं, क्योंकि उनके पास बहुत अधिक धन है, आपको धन चाहिए लेकिन इसका ज्ञान उनको नहीं कराना है कि आप उनके धन के लिए उनको पीछे लगें हैं, उनसे विवाह करना चाहते हैं, अब तक तो आप सब समझ गए होंगे, की आपको अपने विवाह के अवसर का उपयोग करके अपने आप को करोड़ पति बनाना है, इसके लिए आपको किसी से सलाह नहीं लेनी हैं आपको स्वयं को तैयार करना होगा, सबसे बड़ी बात की आपमें वह गुण होने चाहिए, जिससे आप किसी के दिल को जीत सके अकसर ऐसा होता है, की धनी व्यक्ति के लड़के और लड़कियां प्रायः बहुत अधिक बुद्धिमान नहीं होते हैं, आपको भी बहुत अधिक बुद्धिमान होने की जरूरत नहीं है। आपको अपने विवाह से पहले एक बार पूरे भारत का भ्रमण करने का मैं सुझाव देता हूं, या फिर आप जिस भाषा को जानते हैं उस प्रांत में तो अवश्य यात्रा कर सकते हैं, और तब तक विवाह मत करें जब तक आपको अपने मन का लड़का या लड़की नहीं मिल जाता है। इस तरीके का उपयोग करके बहुत लोगों ने अपने जीवन को निर्धनता से दूर किया है और स्वयं करोड़ पति बन कर घर जमाई बना कर अपने जीवन को व्यतीत कर रहें हैं।       

   सामान्यतः यह बात बहुत हल्की और मुश्किल अवश्य लगती होगी, क्योंकि आपको अपने भारत और यहां के उन नागरिकों के बारे में और उनके कल्याण के बारे में सोचना होगा। इसमें कुछ भी गलत नहीं हैं, आज ऐसे भारतीय लोगों की संख्या करोड़ों में हैं जो जो युवा युवती हैं, वह अपनी सारी संपत्ति को लेकर यहां से बाहर किसी दूसरे देश में जाकर वश जाते हैं। वह सब साधारण मानव ही हैं उनमें एक विशेषता है, कि वह धनी हैं और उनके साथी भी सभी धनी होते हैं, और वह सभी उन्हीं बीमारियों के शिकार होते हैं, जो बीमारी अमीर आदमी को होती हैं, यदि आपने एक भी ऐसे स्त्री पुरुष को अपनी तरफ आकर्षित कर लिया, तो आपका तो कल्याण होगा ही, साथ में उनका भी होगा वह अपनी मिट्टी से जुड़े रहेंगे, उनके धन से भारत में काम होगा। और कितने लोगों को रोजगार मिलने की संभावना बनती है, यहीं नहीं जो युवा स्त्री पुरुष अपने देश को छोड़ को जाते हैं, वह अपना धर्म संस्कृति और सभ्यता सब कुछ भूल जाते हैं, जिसके कारण उनके आने वाली पीढ़ी अपने मूल निवास को दुबारा प्राप्त करने में समर्थ नहीं होती है।

    आज हमारे भारत में एक तरफ से बाहरी बहुत से बंग्लादेशी, म्यान्मार, श्रीलंका पाकिस्तान आदि देश से धूस पैठी आकर अपना कब्जा और अपनी आबादी को बढ़ा रहें हैं, इसके विपरीत दूसरी तरफ जो यहां पर कई सौ सालों या कई पीढ़ी से यहां भारत भूमि में रहें और यहां पर रहकर अपने धन का संग्रह किया वह सब यहां से बाहर जा रहें हैं। इस प्रकार से जो हमारे देश के धनी हैं वह बाहर हमारे धन को ले कर जा रहें हैं। दूसरी तरफ बाहरी मुसलमान और अंग्रेज यहां हमारे देश में आकर अपनी दरिद्रता को विकसित कर रहें हैं। हम पहले इतने अधिक गरीब और निर्धन नहीं थे जितना अधिक निर्धन और बेकार हमारी पश्चिमी संस्कृति सभ्यता और शिक्षा के अंधानुकरण हमें बनाया है, इससे स्वयं को और अपने समाज को अपने देश को बचाना है, तो हमें अपने देश के जो युवा युवती धनाढ्य हैं उनको अपने देश में रहने और उनको अपनी संस्कृति सभ्यता का पाठ पढ़ाना होगा, और यह केवल किताबी जानकारी से संभव नहीं हैं, क्योंकि किताबी जानकारी केवल काम की नहीं हैं, इसके साथ हमें प्रायौगीक होना होगा, क्योंकि हमारे शास्त्रों में हमें यह उपदेश दिया गया हैं की हम बहुत अमीर, और हमारा यह धर्म हैं कि हम अपनी देश की जनता को वह शिक्षा दे, जिससे वह अपनी नस्ल को दोगली होने से बचा सके, पश्चिमी अंग्रेजों और मुसलमानों ने  जब भारत में आतंक से भारतीयों को पराजित करके अपने साम्राज्य को स्थापित किया, साथ में उन्होंने भारी मात्रा में भारतीय अमीर युवती स्त्रियों को अपने कब्जे में कर के, उनसे अपनी दोगली नस्ल को उत्पन्न किया तथाकथित जो आज अपने को बहुत अधिक सभ्य और सांस्कृतिक कहते हैं, वह सब दोगली नस्ल के काले अंग्रेज और मुसलमानों की संतानें हैं। और इनकी संख्या सभी बड़े - बड़े भारत के महानगरों में है, एक स्त्री से उत्पन्न होने वाली संतान के अंदर वह सभी गुण धर्म आ जाते हैं, जो उसकी माता पिता में होते हैं, महाभारत काल में युद्ध के बाद  जब भारी मात्रा में वीर योद्धा संग्राम में मर खप गये तो उनके पीछे जो बची हुई स्त्रियां थी वह अपने से अयोग्य अर्थात धनाढ्य औरतें अपने से बहुत निम्न दर्जे के पुरुषों से विवाह करने लगी। यहां तक वह पशुओं से भी संभोग स्थापित करके गर्भ को धारण करने लगी, और ऐसे बच्चे भी उत्पन्न होने लगे, जब इसका ज्ञान राजा युधिष्ठिर को हुआ तो उनको बहुत अधिक ग्लानि हुई। और वह अपने पौत्र जो अभी कुछ एक साल का परीक्षित था उसको राजा बना कर वह सब स्वयं हिमालय की यात्रा पर अर्थात स्वर्गारोहण पर चले गए।

      उस समय ऐसी भयानक स्थिति उपस्थित होने के कारण हमारे भारत में वहीं से संकरवर्णता का संचार होने लगा था। जैसा की गीता में अर्जुन ने इसकी संभावना को जान कर ही युद्ध ना लड़ने की बात कही थी। हमारे भारत का पतन वहीं से शुरु हो गया  था। अर्थात आज से 5300 सौ साल पहले से ही यह हो रहा है, और आज यह अपने चरम पर पहुंच गया है। यह पतन आत्मा का हैं, केवल भारतीय में हिन्दू ही वह जाती है जो आत्मा के विज्ञान की बहुत बड़ी संस्कृति को जन्म दिया है, और इस संस्कृति का आधार ब्रह्मचर्य हैं, जिससे ब्रह्मज्ञान उत्पन्न होता है, और यह मानव की जाती ब्राह्मण कहलाती है, क्योंकि यह जाती मानवों में सबसे अधिक श्रेष्ठ सिद्ध हुई है, इसी ने उस ब्रह्म का साक्षात्का करने में सफलता को प्राप्त किया है।

    भारत को दरिद्रता से मुक्त करना है तो हमें स्वयं को अमीर बनना होगा, क्योंकि वास्तव जिनको आज हमारे सामने अमीर के रूप में प्रस्तुत किया जाता है वह सारे अपने अंदर से कंगाल हैं, उनकी आत्मा मर चुकी है। क्योंकि इस दोगली नस्ल में यहीं एक भयानक रूग्ड़ता है, कि यह अपनी आत्मा का साक्षात्कार करने में कभी सफल नहीं हो सकती है, इसी का हमें फायदा उठाना होगा, यह हमारे भारतीय युवाओं के लिए सुअवसर की तरह से हैं। आज आवश्यक हैं की ज्यादा से ज्यादा लोग ब्रह्मचर्य का पालन करके स्वयं की शरीर को मजबूत बनाए और अमीर मुस्लिम अंग्रेज हिन्दू इत्यादि जो भारत में तथाकथित धनी के रूप में रहते हैं उनके पुत्र पुत्रियों से विवाह करके अपने देश के गौरव और महिमा को मिटने से बचाने में सहयोग करें और इस देश का दायित्व अपने हाथ में ले, आज के आधुनिक युग में जहां पर सब कुछ दिखावा होगा हैं और सब कुछ नेट पर उपलब्ध किया जा रहा वहीं पर नेट के माध्यम से लोगों को ब्रह्मचर्य के क्षरण के लिए भी बड़ी भारी मुहिम चल रही है। जिससे भारत की आने वाली युवा स्त्री पुरुष कमजोर कायर नपुंसक कामी हों, या यूं कहें की लोग हो रहें हैं। 

   वेद में ऐसे सैकड़ों मंत्र आते हैं जो युवा और युवती को ब्रह्मचर्य की शिक्षा प्राप्त करके अमीर औरत और अमीर पुरुष से विवाह करने की बात करते हैं, और वह कहते हैं ज्यादा से ज्यादा दूर विवाह किया जाए। जिससे मानव वीर्य में सुधार होता रहें और उसकी नस्ल नवीनता को उपलब्ध हो सके। आज जिस प्रेम विवाह को प्रचारित किया जा रहा है, या फिर मुसलमान और अंग्रेजों में जो परंपरा हैं, अपने परिवार में ही विवाह करने की इससे उनके वीर्य में सुधार नहीं होता हैं, वह सब रूग्ड़ता की अवस्था को उपलब्ध होते हैं।  अब हिन्दूओं में भी यहीं हो रहा है, इसको रोकना होगा।

  इसके लिए साधन हैं कि हमें हमारे वैदिक शास्त्रों का अध्ययन करना होगा और उनके सुझाव का पालन करना होगा, क्योंकि ईसाई और मुसलमान अपने शास्त्रों का अध्ययन करते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं।

     महाभारत काल से पहले केवल हिन्दू ही इस पृथ्वी पर एक क्षत्र राज्य करते थे, महाभारत काल के बाद इस पृथ्वी पर आताताईयों का राज्य प्रारंभ हो गया हैं, इससे मुक्त होना है, तो हमें अपने मार्ग पर चलना होगा जिसके लिए हमारा निर्वाण इस भूमि पर हम सब का हुआ है, यह भूमि ब्राह्मणों को दी गई है, और ब्राह्मण वह जिसका अस्त्र ब्रह्मचर्य और ब्रह्म हैं यह कभी किसी भी स्थिति में असफल नहीं होते हैं, जो असफलहोते हैं वह इससे बिपरित आचरण करते हैं जिनको अनार्य या दस्यु कहते हैं या आज की भाषा में उसको दोगला कहते हैं, इस दोगले नस्ल से स्वयं को स्वयं के परिवार को स्वयं के समाज को और स्वयं के देश बचाना है, और इस भूमि से भी इस दोगली नस्ल को सदा के लिए समाप्त करना होगा।

   हमें अपने इन अस्त्रों को एक बार फिर से धार देने का समय आ गया है।                     

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