आगे बढ़ो! वेद मानवमात्र को प्रगतिशील बनाता है। वेद चेतावनी देते हुए कहता है- उत्क्रमातः पुरुष माव पत्था मृत्योः पडवीशमवमुञ्चमानः।
(अ०८।१।४)
हे पुरुष ! अपनी वर्तमान अवस्था से ऊपर उठ, नीचे मत गिर । यदि मृत्यु भी तेरे मार्ग में आये तो उसकी बेड़ियों को भी काट डाल। आगे चलकर वेद पुन: आदेश देता है - उद्यानं ते पुरुष नावयानम् ।
(अ०८।१।६)
हे मनुष्यों ! ऊपर उठो, आगे बढ़ो, उन्नति करो, नीचे मत गिरो, पतन की ओर मत जाओ।
अपनी असफलताओं के कारण निराश और हताश मत होओ । असफलता तो सफलता की सीढ़ी है। यदि पहली बार सफलता नहीं मिलती तो पुनः उद्योग करो। निरन्तर उद्योग करते रहो, सफलता मिलेगी अवश्य।
अभी पिछले दिनों समाचारपत्रों में एक घटना प्रकाशित हुई थी। एक दुकानदार प्रतिवर्ष मैट्रिक की परीक्षा में बैठता था, परन्तु फेल हो जाता था। एक बार, दो बार, तीन बार नहीं, वह लगातार १७ बार असफल हुआ। परन्तु उसने अपना साहस नहीं छोड़ा। १८वी बार वह परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया ।
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