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पापपूर्ण पापात्माओं से स्वयं को मूक्त करे

    हमें अपना ध्यान सारे मुर्खतापूर्ण कृत्यो से हटा कर ईस्वर प्राप्ति धनार्जन और ब्रह्मचर्य सेवन करने के लिए व्यतीत करना चाहिए, सर्वप्रथम धनार्जन एक बड़ी समस्या है इसके लिए एक अच्छे श्रोत की खोज करना सभी के लिए आवश्यक है, अन्यथा जीवन पर संकट आना अनिवार्य है, दूसरी बात ब्रह्मचर्य पालन नहीं करेंगें तो शरीर कमजोर होगा और किसी कार्य को करने में समर्थ नहीं हो पाएंगे, अंत में बीमारी की शीकार हो जाएगी जिसके इलाज करने के लिए धन निश्चित चाहिए, जितनी बड़ी बीमारी उतना अधि कधन उसमें धन के नाश के साथ शरीर को और अधिक कष्टों से गुजरना होगा। इसलिए बीमारी से बचना है, तो ब्रह्मचर्य का पालन अर्थात वीर्यरक्षा करना होगा, और इस के लिए व्यायाम करना होगा, क्योंकि ब्रह्मचर्य पालन में व्यायाम एक आवश्यक अंग है, बीना व्यायाम के ब्रह्मचर्य अथवा वीर्य का शरीर में रक्षण असंभव होता है, जो प्रायःलंपट किस्म के लोग होते हैं, जिनको हस्तमैथुन करने की गलत आदत पड़ चुकी है, यदि वह इस पर सही समय पर कदम नहीं उठाते हैं, तो वह मर भी सकते हैं, जिससे जीवन ही नहीं बचेगा तो यहां किसी प्रकार का कार्य भी नहीं बचेगा करने के लिए। 

जीवन और मृत्यु हमारे हाथ में है हमारा सुख और दुःख भी हमारे हाथ में है, कुछ कार्य बहुत ही आसान होता लेकिन हमारी मक्कारीऔर कामचोरी के कारण वह कार्य पूर्ण नहीं होता है, जिसके कारण हम भयंकर असफलता के शिकार होते हैं, जीवन बहुत छोटा है, और इस जीवन किसी कार्य को करने का बार बार मौका नहीं मिलता है।

एक आदमी ऐसे जीवन जीता है, जिसका आदर्ष वाक्य होता खाओ पियोमौज उड़ाओ, कर्जा लेकर ही भले ही खाना पड़े हम वही करेगे, ऐसे व्यक्ति स्वयं को बहुत समझदार समझते हैं, वास्तव में ऐसे व्यक्ति बहुत अधिक मूर्ख होते है, दूसरे व्यक्ति ऐसे होते हैं, जो अपने कामवासना के कारण इतने अधिक अंधे हो जाते हैं, जिसकी वजह से वह किसी प्रकार की मर्यादा का पालन नहीं करते हैं, अर्थात बाप बेटी के साथ बहु के साथ, बेटा मां के साथ बहन के साथ, मां बेटे के साथ इत्यादि तरह से बहु अनेक पुरुषों के साथ अपनी कामवासना को तृप्त करते हैं। 

हम एक ऐसी दूनीया में रहते हैं, तो बहुत ही बीचीत्र और गंदी है, इसमें स्वयं इन गंदे लोगों से बचाना कितना कठीन कार्य होगा इसकी आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं, इसलिए लोग स्वयं इन गंदे लोगों के साथ रहने में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है लेकिन एक ज्ञानी पुरुष के साथ इसमें रहना बहुत अधिक कष्ट कर, आप कह सकते हैंकी जो बहुत अधिक ज्ञानी पुरुष है इस सड़ी गली दूनिया मेंरहना नहीं चाहता है तो आत्माहत्या कर ले, यहीं ज्ञानी पुरुष नहीं कर सकता है क्योंकि वह जानता है की वह तो अमर हैं, यह मरनेऔर मारने का कार्य मूर्ख करते हैं। विद्वान तो इससे अलग अपनी दूनिया बना लेते है और प्रभु के भजन में अपना समय व्यतीत करते है और इन सामन्य अन्यायी और पापीयों के लिए प्रार्थना करते हैं कि इनके जीवन को ईश्वर दिशा दे इनको अज्ञान से मुक्त करें इनके लिए पूण्य के मार्ग का दरवाजो खोले, ज्ञानी पुरुष अपने जीवन मेंसे सभी पाप के अज्ञान के दरवाजे को बंद कर देता है, लेकिन जो साधारण तथाकथित गृहस्थ हैं वह अपने लिए अधिकतर पाप और अनाचार दुस्कर्म के मार्ग कोही चुनते हैं।   

 

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