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मीठे वचनों का महत्त्व

 

मीठे वचनों का महत्त्व

इसा अपने भक्तों को मधुर वचन बोलने और सभी से प्रेम करने की प्रेरणा दिया करते थे। वे कहा करते थे, वाणी का संयम कर लेने वाला व्यक्ति मित्रों और हितैषियों से घिरा रहता है , जबकि तीखा वचन बोलने वाला नए-नए विरोधी पैदा कर लेता है ।

बाइबिल की एक कहानी के अनुसार, दाऊद कहता है, हे वीर , तू किसी की निंदा क्यों करता है ? तेरी जीभ हर क्षण दुश्मन गढ़ती है । जो बिना सोचे- समझे बोलते हैं, उनका अनर्गल बोलना तलवार के वार की तरह चुभता है । राजा सुलेमान कहते हैं, जीभ के वश में है कि वह जीवन को दुःखी बनाती है या सुखी । यदि जिह्वा से कटु वचन निकलते हैं, तो जीवन विद्वेष और विवादों में घिरने लगता है । इसके विपरीत यदि जिह्वा से मीठे वचन निकलते हैं, तो मित्रों से प्रेम मिलने लगता है । मधुर वाणी आदमी को हमेशा विवादों से दूर रखती है ।

__ याकूब लिखते हैं , यदि एक मनुष्य अपनी जीभ को नियंत्रित कर सकता है , तो वह अपनी देह को भी वश में कर सकता है, ठीक वैसे ही , जैसे मुँह पर लगी लगाम घोड़े को नियंत्रण में रखे रखती है । जिस प्रकार छोड़ी सी चिनगारी संपूर्ण जंगल में आग लगा सकती है, वैसे ही अनियंत्रित जीभ एक बड़ा विनाश ला सकती है । नीतिवचन में कहा गया है , प्रेम- भरे वचन कहने और सुनने वाले दोनों व्यक्तियों का जीवन शांतिपूर्ण बनाते हैं । मनभावन वचन मधु से भरे छत्तों के समान मीठे लगते हैं एवं शरीर व मन को स्वस्थ और शांत बनाए रखते हैं ।

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