Ad Code

राजा भोज की दानशीलता

राजा भोज की दानशीलता

राजा भोज ने अपने राज्य में यह घोषणा करा रखी थी कि यदि किसी नागरिक के साथ शासन का कोई कर्मचारी अन्याय करता है, तो इसकी सूचना मंत्री को दी जाए । प्रजा को सताने वालों को कठोर दंड दिया जाएगा ।

एक दिन एक व्यक्ति ने किसी कर्मचारी की शिकायत की कि उसने अहंकार में आकर उसे तथा उसके परिवार को सताया है । मंत्री ने जाँच के बाद उसे राज्य की सीमा से बाहर निकल जाने का दंड सुना दिया । राजा भोज प्राय: कहा करते थे, उत्पन्न होते ही बैरी और रोग का जो शमन नहीं करता, वह रोग और शत्रु के प्रबल होते ही एक - न- एक दिन नष्ट हो जाता है । अतः बुद्धि का उपयोग कर रोग व शत्रु को नष्ट करने का प्रयास करना चाहिए ।

उनका मानना था, उस राज्य की दुर्गति तय है, जिसका राजा अविवेकी है और जो प्रजा की भलाई की जगह अपने परिवार की सुख - सुविधा में लगा रहता है । जिस राजा का मंत्री असंयमी व दुष्ट हो , वह एक दिन अपने राज्य से हाथ धो बैठता है । दुष्ट मंत्री के कारण प्रजा के कष्टों का समाचार राजा तक नहीं पहुँच पाता । इससे प्रजा में असंतोष पनपता है । यह राजा के पतन का कारण बनता है । इसलिए राजा को मंत्री के अलावा भी अन्य संपर्क साधनों से जनता की समस्याओं से अवगत होने का प्रयास करते रहना चाहिए । राजा भोज संस्कृत के प्रकांड विद्वान् थे और दानशील तो ऐसे थे कि जरूरतमंदों के घरों में चुपचाप अन्न- वस्त्र पहुँचाकर अत्यंत संतोष की अनुभूति करते थे । 

 

Post a Comment

0 Comments

Ad Code