मन मे बेचैनी है जब हमारे पास कार्य कराने का साधन है और हमारा कार्य नहीं हो रहा है तो दीमाग खराब होता है। लोग व्यक्तिगत रुप स शत्रुता निभा रहे हैं|
कार्य येन केन प्रकारेण हो गया, सफलता आशातित नहीं मीली मन में बड़ी चींता ने अपना घर जमा लिया है। अपनी तो ऐसी जींदगी बन गई है जिंदा एक लाश बन कर रह गया हूं, इस दरिद्रता न बड़ी घनिष्टता मुझसे बना लिया है जिसके कारण मैं स्वयं के जीवन को लेकर बड़ी मुश्किल में पड़ चुका हूं | मेरी सहायता ईश्वर भी नहीं कर पा रहा है उसने भी मुझे असमंजस में डाल दिया है |
सत्य की खोज करना संसार मे सब से बड़ा झूठ है। यहां सत्य का कोई मुल्य नहीं यहाँ संघर्षं अपने जीवन को बचाने के लिए चल रहा है।
आशा निराशा सफलता असफलता जो भी है कम ही लगता है, कुछ भी पर्याप्त नहीं लगता जीवन जो इतना बहुमूल्य है यह अपर्याप्त क्यो लगता है। जीवन सब कुछ परमात्मा ने दिया है इसे हम खराब कर देते हैं दोष अपने कर्मो और ईश्वर पर मढ़़ देते है महामुर्खो की संगति का असर है।
दुनीया में दुष्ट प्रकृति के लोग बहुत ही अधिक हैं, इनको सुधारना असंभव है इनकी संख्या इनका पतन कर रही है। यह इसी में मस्त हैं सज्जनों की बहुत ही कमी है यह दुनिया से समाप्ति की तरफ बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। दुनीया नहीं बदलेगी हमे स्वयं को बदलना होगा इसी का मार्गदर्शक हमें ब्रह्मज्ञान देता है आज की जरूरत ही पुरी नही करता यद्यपि यह अनादि कालीन समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है स्वय को बदलो दुनीया को बहुत बदल चुके अब जो थोड़ा समय है उसमें स्वयं को समझ ले यह पृथ्वी बहुत ही छोटी है ब्रह्माण्ड की यात्रा के लिए मानव इस पृथ्वी पर आया है। और इस ब्रह्माण्ड की यात्रा अपने अन्तर जगत से सुरु होती है और अंतर जगत मे हौ पूर्ण होती है।
महामुर्ख बहुत बड़ा आश्चर्य होता है स्वयं के बारे मे जानकर हम दुनीया के बड़े धूर्त और मक्कार मनुष्य में आते हैं कयोकि धोखा स्वयं को दे रहे है
पहली और अंतीम बार हमारे जीवन मे ऐसा हो रहा है यह संसार एक रणक्षेत्र है यहा मरने मारने के अतिरिक्त कोई दूसरा कार्य ही नहीं होता है।
महामुर्खता मत करना वह बहुत खतरनाक लोग हैँ उन्होंने तुमको इतना अधिक जलील किया है जिस मकड़ जा से निकल के आये हो उसी मे फसाने के लिए फिर चारा डाला जा रहा है जिस प्रकार से खाने के लालच मे मछली के गले में काटा अटक जाता है वह जान से जाती है उसी प्रकार से वह गाड़ी तुम्हारे गली की हड्डी बन कर तुम्हारा सर्वनाश कर देगी.,
*यह अंतिम चुनाव था*
जब काँग्रेस के अलावा आप किसी को वोट दे सकते थे यानि BJP के जीतने की उम्मीद कर सकते थे !!
क्योंकि अगले 5 सालों में इतने मुस्लिम बच्चे जो आज 13 साल से 17 साल के हैं, कांग्रेस का वोट बन जायेगा, जो हिन्दू बच्चों के वोट से ज्यादा हो जाएगा!!
फिर उन हिन्दू बच्चों में से 25-50% अपने राज्य से बाहर रह रहे होंगे, किसी कॉलेज में या किसी नौकरी में। बाकी बच्चे अलग अलग दलों में बंट जाएंगे।
लेकिन मुस्लिम बच्चे सभी लोकल में रहेंगे। लोकल धंधे में लगने के कारण और एकजुट रहेंगे वोट देने में।
फिर कोई हिन्दू BJP के लिए कितनी ही मन्नते माँग ले, जिता नहीं सकता!! बाकी जो अब भी नहीं समझे, उसे फिर वक्त ही समझायेगा।
सड़क नहीं भी बने अपना जीवन चल जाएगा। बिजली नहीं आये तो भी चल जाएगा।स्कूल भी नहीं हो तो भी चल जाएगा। (वैसे ऐसा होगा नहीं, हर सरकार काम करती ही है इन बेसिक सुविधाओं पर) पर अगर धर्म चला गया तो conversion ही हाथ में आएगा!!
और हाँ अगले 05 साल में जितने हिन्दू वोटर मरेंगे, उतने मुस्लिम वोटर नहीं मरेंगे क्योंकि हिंदुओं की जिस पीढ़ी में सबसे ज्यादा भाई बहन हैं, वह अब 60-70-80 वर्ष की उम्र के हो चुके हैं। इसके बाद वाली पीढ़ी तो गिनती के भाई बहन वाली है।
राम मंदिर बनने में तो 500 साल लग गए, लेकिन टूटने में कितने दिन लगेंगे ?
विलुप्त होता हुआ सनातन समाज गम्भीर विषय है ~ पढ़ियेगा जरूर।
आज देश की बात करना राजनीति है, अपने समाज के बारे में बात करना हिंदू-मुस्लिम करना लगता हैं, क्योंकि
आपकी मानसिकता ही आपके विनाश का कारण बनेगी, वह मानसिकता जो कि आपको पूरी तरह से ले डूबेगी!!
◆ ये व्यापारियों का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें !
◆ ये मोहल्ले का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
◆ ये वकीलों का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
◆ ये टीचर्स का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
◆ ये डॉक्टर्स का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
◆ ये समाज का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
◆ ये ऑफिस का ग्रुप है, इसमें राजनीति ना करें।
और न जाने क्या-क्या ..!!
गुड मॉर्निग के अनावश्यक 20-20 और 50-50 मैसेज भेजो, कोई परेशानी नहीं!पति-पत्नियों के ढेर सारे चुटकुले भेजो, कोई परेशानी नहीं!
नए-नए औषधिय प्रयोग भेजो, कोई परेशानी नहीं!
भगवान के 20-20 पोस्टर भेजो, कोई परेशानी नहीं!
100-200 बधाई संदेश भेजो, कोई परेशानी नहीं!
अपने बच्चों की और पारिवारिक उत्सवों की फोटो और वीडियो भेजो, कोई परेशानी नहीं!
बस देश की बात बिल्कुल मत करो। देश की बात करना, यानि राजनीति करना हो गया! सनातन की बात करना यानि हिंदू- मुस्लिम करना हो गया!
क्योंकि इस तरह के मेसेज में सीधा सीधा आपका अपना कोई स्वार्थ सिद्ध नहीं हो रहा। आपकी इमेज नहीं बन रही।आपकी पहचान नहीं बन रही। आपकी जय जयकार नहीं हो रही। आपकी वाह वाह नहीं हो रही है।
इन्हीं छोटी छोटी स्वार्थ लोलुपताओं के चलते हम दुनिया से मिटते जा रहे हैं, हिंदुओं! पर हम सुधरेंगे नहीं,क्योंकि हमें केवल हमारे खाने कमाने से मतलब है!!
जबकि "वे" लोग बचपन से ही अपने बच्चों को यही तालीम दे रहे हैं कि, "हिंदू हमारे दुश्मन नंबर एक हैं" और उनको इस देश से खत्म करके अपना मज़हब कायम करना है,यही हमारा पहला और आखिरी मकसद है!!
आप देश के बारे में अपने विचार रखना ही नहीं चाहते, क्योंकि वास्तव में आप देश के लिए सोच ही नहीं रहे हो, इसीलिए आपको उससे भी कष्ट होता है कि कहीं कोई तुम्हारे अंदर की सोती हुई सोच को जगा न दे,ऐसा हो गया तो फिर मेरे निजी स्वार्थों का क्या होगा ?
यदि आपको यह लेख चुभा है कुछ पीड़ा हुई है तो आप सच में एक स्वार्थी व्यक्ति हैं
और यदि आपको लगता है कि, किसी ने आपको झकझोरने का सटीक प्रयास किया है तो आपके लिए निजी स्वार्थ से बढ़कर आपका राष्ट्र भारत है।
सनातन धर्म है।
आंकड़े खतरनाक हैं
(वोटों का अंतर देखिए)
Bijnor:
BJP - 97165
SP+RLD - 95720
AIMIM - 2290
Nakur:
BJP - 1,03,771
SP - 1,03,616
AIMIM - 3591
Kursi:
BJP - 1,18,614
SP - 1,18,094
AIMIM - 8533
SULTANPUR:
BJP - 92245
SP - 90857
AIMIM - 5240
Orai:
BJP - 93438
SP - 91427
AIMIM - 2188
Shahganj:
BJP - 76035
SP- 70370
AIMIM- 7070
FIROZABAD:
BJP - 84225
SP - 70957
AIMIM - 16290
BJP won
7 seats with difference of 200 votes.
23 seats with difference of 500 votes.
49 seats with difference of 1000 votes.
86 seats with difference of 2000 votes.
In all the above.
उ.प्र. में मोदी योगी की जीत का यह जश्न दोबारा नहीं होगा क्योंकि अगले 2027 के विधानसभा चुनाव तक करोड़ो मुस्लिम युवा नए वोटर तैयार हो जाएंगे, तब ये कम अंतर वाली 165 सीटें (वो भी ओवैसी factor के कारण) भाजपा जीत नहीं पाएगी। 2027 में हिन्दू विरोधी सरकार बनना तय है, और इसके जिम्मेदार होंगे वो 40 प्रतिशत हिन्दू जो मतदान ही नहीं करते।.
जिस समाज में रहता हू यह विरोधी से खाली हो रही है। इस समाज का पतन बड़ी तेजी से हो रहा हैं यहाँ एक भी व्यक्ति नहीं है बड़े अफसोस की बात है।
यह संसार बहुत अधिक समस्या ग्रस्त है हिन्दू मुस्लिम से परेशान है मुस्लिम हिन्दू से परेशान है किसी को देश की चिंता है तो किसी को परिवार की चिंता है किसी को अपनी चिंता है बड़े मजे की बात है समस्या तो सबको दिख रही है समाधान क्या है?
यह सारी समस्या इसलिए उत्पन्न हो कर विकराल काल के गाल समान बनती दिखाई दे रही है क्योंकि मूर्खता के शिकार हो चुके है और जीवन नीव कमजोर है क्योंकि सारी बातें सतही है ऐसे मैसेज लिखने मे जो परीश्रम करता है इसके पिछे उसका बहुत गहरा और गंभीर अभिप्राय है वह जागरुक नही भयभीत कर रहा है और बहुत बड़ा प्राचीन संस्कृति को जानने वाला है जिससे वह स्वयं भयभीत है उसे अपना सर्वनाश दिखाई दे रहा है, यद्यपि वह भारत से पूर्णत: परीचित नहीं है क्योंकि भारत नाम ही यह सिद्ध करता है विश्वभरण पोषण कर जोई ताकर नाम भारत अस होई, विश्व इसलिए है क्योंकि भारत ने उसे बनाया है भारत के खात्मे की सारी तैयारी विश्व को ही समाप्त कर देगा भारत केवल हाड़ मांस की कंकाल को धारण करने वाला पशुओं की तरह जीवन व्यतित करने वाला मनुष्य की भीड़ नही है भारत का केवल एक सच्चा पुरुष संपूर्ण विश्व का नेतृत्व करने का सामर्थ्य रखता है और वह पुरुष शरीर प्रधान नही यद्यपि आत्मा प्रधान होगा जिसके लिए मंत्र कहता है अहम इन्द्रं व शरीरम्|
अगला मंत्र कहता है भूवो यज्ञस्य रजससृच नेता यत्रा नियुद्भि सच से शिवाभी| शीव की तरह नेता बनो और संपूर्ण मानवता का नेतृत्व करो मूर्खता का त्याग करो|
देवद्दादेश्यो द्रविणदान याज्ञ: अर्थात देवता दिव्य जनो का जीवन सर्वस्व दान परोपकार जनमानष कल्याण के लिए होता है ऐसे मैसेज लिखने और भेजने से नहीं यह तो किसी मोह ग्रस्त दुष्ट प्रकृति के मानव हृदय की कल्पना है जैसा की एक श्लोक की कड़ी कहती है वित्त मोहेन मुढ़: | यह सब ऐसा देख पार हे है क्योंकि धन के मोह मे लिप्त मुढ़ मूर्ख है कोई तपस्वी साधक समाधान ले कर आता है और मूर्ख समस्या लेकर आता है यह विश्व किसी हिन्दु का या मुस्लिम का नहीं है जो इसपर अधिकार कर लेगा या भारत पर इस पर शाश्वत अधिकार सदा से ईश्वर का है और वह ही सब कुछ देखता है जैसा कर्म होगा फल उसके अनुरुप ही होगा, जो पुरस्कार के योग्य होगा उसे पुरस्कार देगा और जो दण्ड का अधिकारी होगा उसे दण्ड निश्चित मिलेगा, क्योंकि ऋतं च सत्यं चाभीतपसोध्यजायत: अर्थात आत्मा के तप से शरीर शाश्वत सत्य को देखने मे समर्थ होता है, ईसके विपरीत जो शरीर से अधिक शक्तिशाली या वह उत बड़ी सेना का मालीक है वह आत्मा को देखने मे समर्थ नहीं होता क्योंकि भीड़ भेड़ चाल चलती और आत्मदर्शी इस भीड़ का नेतृत्व करता है इसलिए भीड़ की ज्यादा चींता ना करे अपनी चिंता करे आपको शीव बनना क्योंकि हम सब उसकी संतान है और हमे उन्ही की तरह बनना है, स न: पितेव सुनग्ने सुपायनो भव: वह हम सब के पिता के समान सुलभता से प्राप्त होने योग्य है|
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