नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन। यमेवैष वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूं स्वाम् ॥
॥ लिप्यन्तरणम् ॥
nāyamātmā pravacanena labhyo na medhayā na bahunā śrutena | yamevaiṣa vṛṇute tena labhyastasyaiṣa ātmā vivṛṇute tanūṁ svām ||
॥ अन्वयः ॥
अयम् आत्मा प्रवचनेन न लभ्यः न मेधया न बहुना श्रुतेन यम् एव एषः वृणुते। तेन लभ्यः तस्य एषः आत्मा स्वां तनुं विवृणुते ॥
॥ अन्वयलिप्यन्तरणम् ॥
ayam ātmā pravacanena na labhyaḥ na medhayā na bahunā śrutena yam eva eṣaḥ vṛṇute | tena labhyaḥ tasya eṣaḥ ātmā svāṁ tanuṁ vivṛṇute ||
॥ सुबोधिनीभाष्यम् - गोपालानन्दस्वामिरचितम् ॥
[ आत्मप्राप्तिसाधनम् ]
अथ मुक्तौ मुख्यसाधनमाह - नायमिति ।
नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन ।
यमेवैष वृणुते तेन लभ्यस्तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूं स्वाम् ॥३॥
व्याख्यातमेतत्कठवल्याम् ॥३॥
॥ आङ्गल-अर्थः ॥
This Self is not won by exegesis, nor by brainpower, nor by much learning of Scripture. Only by him whom It chooses can It be won; to him this Self unveils its own body.
॥ हिन्दी-अर्थः ॥
यह 'आत्मा' प्रवचन द्वारा लभ्य नहीं हैं, न ही मेधा-शक्ति और न शास्त्रों को बहुत अधिक जानने-सुनने से प्राप्य है। केवल वही 'उसे' प्राप्त कर सकता है जिसका 'यह वरण करता है; केवल उसके प्रति ही यह 'आत्मा' अपने स्वरूप का उद्घाटन करता है। ९शंकर ने इसे वीर्य के अर्थ में ग्रहण किया है, वीर्य, जो कि जगत् में जन्म का कारण है। किन्तु सम्भव है कि इसका अर्थ यह होː ''इस ज्योतिर्मय जगत् से परे चले जाते हैं'', यह ज्योतिर्मय जगत् जिसका अभी-अभी उल्लेख हुआ है इससे परे महत्तर 'प्रकाश' में चले जाते हैं, जो स्वयं 'परम ब्रह्म' है तथा जो उसका धाम एवं उसकी योनि (उत्पत्ति स्थल) है। १० अथवा, ''कामनाओं को समाप्त कर लिया है।"
॥ शब्दावली ॥
अयम् आत्मा - ayam ātmā - this Self
प्रवचनेन - pravacanena - by exegesis
न लभ्यः - na labhyaḥ - is not won
न मेधया - na medhayā - nor by brainpower
न बहुना श्रुतेन - na bahunā śrutena - nor by much learning of Scripture
यम् एव - yam eva - whom
एषः वृणुते - eṣaḥ vṛṇute - it chooses
तेन लभ्यः - tena labhyaḥ - only by him can It be won
तस्य - tasya - to him
एषः आत्मा - eṣaḥ ātmā - this Self
स्वाम् तनुम् - svām tanum - its own body
विवृणुते - vivṛṇute - unveils
॥ अथ उपनिषद् ॥

0 टिप्पणियाँ
If you have any Misunderstanding Please let me know