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अध्याय II, खंड III, अधिकरण V


अध्याय II, खंड III, अधिकरण V

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अधिकरण सारांश: अग्नि से जल का निर्माण

ब्रह्म-सूत्र 2.3.11: ।

आपः ॥11 ॥

तेजः – अग्नि; अतः – इससे; तथा – इसी प्रकार – वास्तव में; अहा – कहता है।

11. जल (अग्नि से उत्पन्न होता है)

"अग्नि से जल उत्पन्न हुआ" (तैत्ति 2.1); "उसने जल उत्पन्न किया" (अध्याय 6.2.3)। इन दोनों ग्रंथों से इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि जल अग्नि से उत्पन्न हुआ है। यहाँ भी हमें यह समझना चाहिए कि अग्नि रूपी ब्रह्म से जल उत्पन्न हुआ है।


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