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पीला बौना, परीयों की कहानी

 



पीला बौना

 

      बहुत समय पहले की बात है, एक रानी थी, जो बहुत से बच्चों की मां थी, यद्यपि उसके पास केवल उसकी एक पुत्री के और कोई नहीं बचा था, जो हज़ारों में एक थी।   

 

      निश्चित रूप से उसकी मां उसके पिता के मृत्यु के बाद राजा के समान थी, वह संसार में सबसे अधिक अपनी छोटी राजकुमारी पुत्री की देखभाल करती थी, क्योंकि उसको खोने का बहुत अधिक भय था, जिसके कारण उसने उसको बिगाड़ दिया, और उसने कभी भी उसकी गलती को सुधारने का प्रयास नहीं किया।

 

      जिसके परिणामस्वरूप वह छोटी लड़की, जो जितना संभव था उतना अधिक सुन्दर थी, और वह एक दिन राज्य के मुकुट को धारण करने वाली थी, उसका विकास बहुत अच्छी तरह से हुआ, उसको अपनी सुन्दरता पर बहुत अधिक नाज था, इसलिए वह संसार में सभी लोगों से नफरत करती थी।

 

      रानी उसकी देखभाल बड़ी सावधानी के साथ करती थी, और उसको पसंद करने के लिए वह उससे उसकी सुन्दरता के बारे में हमेशा बढ़ा चढ़ा कर बातें करती थी, कि उसके जैसा सुन्दर संसार में कोई दूसरा नहीं है। वह हमेशा किसी दिव्य परी के समान सुन्दर कपड़ों को पहनती थी, अथवा जब वह रानी के साथ शिकार करने के लिए जंगल में जाया करती थी, तो उसकी दरबारी औरतें उसको किसी जंगल परि के समान मान कर उसका अनुसरण करती थी।

 

      वह सभी देश के रानीयों के मध्य बहुत अधिक प्रसिद्ध थी, क्योंकि वह बुद्धिमान चित्रकार के द्वारा अपनी पुत्री चित्रों को बनवा कर, अपने पड़ोस के सभी राज्यों में राजाओं को भेजा करती थी, जो उसके मित्र के समान थे। 

 

     जब उसके पड़ोस के राजाओं ने उसकी पुत्री के भेजे गए चित्रों को देखा, तो वह सभी उससे बहुत प्रेम करने लगे, लेकिन उसके प्रेम का प्रभाव हर एक पर अलग तरह से  पड़ा था, एक राजा तो उसको प्राप्त करने की इच्छा में बीमार हो गया, दूसरा राजा उसको पाने की इच्छा में पागल हो गया, और कुछ दूसरे राजा तत्काल अपने राज्य से निकल कर जल्दी से जल्दी उससे मिलने के लिए चल पड़े। लेकिन यह सभी बेचारे राजा उस सुन्दर राजकुमारी को पहली बार देखते ही, उसके दाश से अधिक नहीं बन पाए।

       उसके दरबार में कभी भी कोई संगीत मंडली या गायक को नहीं बुलाया जाता था। क्योंकि बीस आनंदित राजा राजकुमारी को खुश करने के लिए हर तरह से उसका मनोरंजन कर के, उसको हर समय प्रसन्न रखते थे। जब यह सब राजा अपने बहुत अधिक धन को खर्च करके, केवल कुछ ही क्षण के लिए राजकुमारी को खुश करने में सफल होते थे, तो वह राजकुमारी कहती थी, बहुत सुन्दर है।


       राजकुमारी अपनी सभी बड़ी अभिलाषाओं को बड़ी आसानी से पुरा किया करती थी। हर दिन सात से आठ सौ कविता उसके लिए लिखा जाता था, और बहुत सी कजली, गजल, गीत इत्यादि उसको प्राप्त होते थे, जिस को पूरे संसार के राजा अपने सेवकों के द्वारा उसके लिए भेजा करते थे। सभी गद्य और पद्य केवल उसके नाम बेल्लीसिमा के उपर ही लीखें जाते थे, क्योंकि यह राजकुमारी का नाम था, और सभी कविता में उसके सुन्दरता का अद्भुत ढंग से वर्णन किया जाता था, जिसकी वजह से उसकी सुन्दरता की खबर संपूर्ण संसार में जंगल में आग के समान फैलने लगी।

 

      बेल्लीसिमा अब तक पन्द्रह साल की हो चुकी थी, जिससे अधिकतर राजकुमार उसके साथ अपना विवाह करने की इच्छा रखते थे, लेकिन किसी को भी उससे यह कहने हिम्मत नहीं थी। क्योंकि सभी जानते थे, कि केवल उसको प्रसन्न करने के रोज छः से सात लोग अपने सर को  काट दिया करते हैं, और राजकुमारी इसको किसी साधारण बात से अधिक नहीं समझती थी, आप कल्पना कर सकते हैं, कि वह कितना अधिक अपने प्रेमीयों के विचार से नफरत करती थी, यद्यपि उसकी मां रानी जो उसका विवाह होना देखना चाहती थी, वह नहीं जानती थी कि किस प्रकार से वह अपनी पुत्री को विवाह करने के लिए तैयार करें, इसलिए वह इस पर वह गंभीरता से विचार करने लगी ।

       उसने कहा बेल्लीसिमा मैं चाहती हूं कि तुम अपनी सुन्दरता पर इतना अधिक अभिमान मत किया करो। ऐसा क्या देखा तुमने सभी इन राजकुमारों में जो तुम उनसे इतना अधिक नफरत करती हो? मैं चाहती हूं कि तुम इन राजकुमारों में से ही किसी एक राजकुमार से विवाह कर लो, और तुम मुझे प्रसन्न करने का प्रयास नहीं कर रही हो।

 

       बेल्लीसिमा ने अपनी मां को उत्तर दिया, कि मैं बहुत अधिक प्रसन्न हूं, और मुझे शांति से रहने दे श्रीमती, मैं किसी का भी कोई परवाह नहीं करती हूं।

  रानी ने इस पर कहा इनमें से किस भी राजकुमार से विवाह करने के बाद, तुम और अधिक प्रसन्न रहोगी, यदि तुम किसी ऐसे आदमी से प्रेम करने लगी, जो तुम्हारे योग्य नहीं है, तो मैं तुम पर बहुत अधिक क्रोधित होउंगी।

       किन्तु राजकुमारी केवल अपने बारे में ही विचार किया करती थी, जिससे वह किसी भी राजकुमार के बारे में यह विचार नहीं करती, कि कोई राजकुमार उससे अधिक सुन्दर है, और वह उसके साथ विवाह करने के योग्य है। अपने विवाह के विषय पर वह अपनी मां का भी परवाह नहीं करती थी। इसलिए रानी उसके इस संकल्प पर बहुत अधिक क्रोधित हुई, जिससे उसने अपनी पुत्री की इच्छा का अब और अधिक ध्यान देना बंद कर दिया, वह अब और अधिक राजकुमारी को उसकी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करने देना चाहती थी।


 जब वह हर प्रकार के प्रयास करने के बाद भी राजकुमारी को विवाह करने के लिए तैयार नहीं कर पाई, तो अंत में उसने इसके बारे में सुझाव लेने के लिए, वह एक जादुगरनी से मिलने का विचार किया, जिसका नाम रेगिस्तान की परी था। अब यह कार्य करना भी, उसके लिए बहुत कठिन था, क्योंकि जंगल की परी की रक्षा के लिए, कुछ भयानक शेर रहा करते थे। जिसके बारे में रानी ने बहुत पहले सुन रखा था, कि जो भी रेगिस्तान की परी से मिलना चाहते हैं, उसको जंगल की परी के रक्षक शेरों को प्रसन्न करना पड़ता है। शेरों  को जौ के आटा की बनी रोटी, आम का अचार, और मगरमच्छ का अंडा खाना बहुत अधिक पसंद है। इसलिए उसने इस सब वस्तु को शेरों को खाने के लिए, उसने अपने स्वयं के हाथ से तैयार किया, और एक छोटी सी टोकरी में रख कर, रेगिस्तान की परी से मिलने के लिए चल पड़ी। लेकिन वह ज्यादा दूर तक कि यात्रा नहीं कर पाई, क्योंकि वह पैदल चलते – चलते थक गई थी, इसलिए वह एक वृक्ष के नीचे बैठ कर आराम करने लगी, और वहां पर कुछ ही देर में वह गहरी निद्रा में चली गई। जब उसकी निंद खुली और उसने देखा की उसकी टोकरी खाली थी, जिस को देख कर वह बहुत उदास हो गई, तभी उसने खतरनाक शेरों के दहाड़ की आवाज को सुना,  जिन्होने उसको अपने आस पास जान कर, उसके पास आ रहे थे।    

 

        उसने रोते हुए विचार किया, कि अब मैं क्या करुँ, मैं शेरों के द्वारा खा ली जाउंगी, जिसके बाद वह बहुत अधिक भयभीत हो गई, जिससे वह एक कदम भी जंगल में कहीं भागने के लिए नहीं चल सकी, उसने रोना शुरु कर दिया, और वह वृक्ष से चिपक कर बैठ गई, जिस वृक्ष के नीचे वह सोई हुई थी।

 

        तभी उसने किसी के हम, हम कहने की आवाज को सुना।

 

        उसने अपने चारों तरफ देखा, और फिर उसने वहां उपस्थित एक संतरे के वृक्ष के उपर देखा, और वहां पर उसने एक छोटे से आदमी को देखा, जो संतरा को खा रहा था।

 

        उसने कहा ओ रानी, मैं अच्छी तरह से जानता हूं, और मैं यह भी जानता हूं, कि तुम कितना अधिक शेरों से भयभीत हो रही हो, तुम बिल्कुल ठीक हो, क्योंकि शेरों ने पहले भी बहुत से लोगों को खा चुके हैं, इसके अतिरिक्त तुम आशा भी क्या कर सकती हो? जैसा की अब तुम्हारे पास उन को देने के लिए जौ की रोटी, आम का आचार, और मगरमच्छ का अंडा भी नहीं है।

 

        इस पर बेचारी रानी ने कहा अब मुझे मरने के लिए तैयार रहना चाहिए, आह! मैं केवल अपनी पुत्री का विवाह करना चाहती हूं, लेकिन अब लगता है, कि मैं अब यह कार्य नहीं कर सकुंगी।

 

       ओह! चिल्लाते हुए पीले बौने ने कहा तुम्हारी पुत्री भी है, ( बौना को पिला बौना इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वह बौना है, और उसका मुंह पिला है और वह संतरे के पेड़ पर रहता है) इसको सुन कर मैं बहुत अधिक प्रसन्न हूं, क्योंकि मैं अपने लिए एक पत्नी की तलाश पूरे संसार में कर रहा हूं। अब यदि तुम अपनी पुत्री का विवाह मेरे साथ करने का वादा करो, तो कोई भी शेर या बाघ तुम को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा।

 

       रानी ने उसके कुरूप छोटे चेहरे को देख कर और अधिक भयभीत दिखने लगी, जैसा की उसके सामने शेर आ रहे थे, इसलिए वह एक भी शब्द नहीं बोल पाई।

 

       इस पर बौना आदमी जोर से कहा श्रीमती आप क्यों हिचकिचाती हैं, शेर को आपको जिंदा खाना बहुत अच्छा लगेगा।

 

      और जैसे ही उसने यह कहा, रानी ने देखा की शेर पहाड़ की चोटी से उसकी तरफ नीचे भागते हुए आ रहे थे।

 

      उन सभी शेरों के दो शिर और आठ पैर थे, जिसके साथ उनके मुंह में दाँतों की चार पंक्ति थी, उनकी चमड़ी कछुआ की खाल की तरह से मजबूत थी, जो चमकीले लाल रंग के थे।

 

     इस भयावह दृश्य को देखने के बाद असहाय रानी, वह उसी प्रकार से कांप रही थी, जैसे कबूतर बाज को देखने के बाद कांपता है। जिस पर उसने अपनी पूरी शक्ति से चिल्लाते हुए कहा, ओ! प्रिय श्रीमान बौने, बेल्लीसिमा तुम से ही विवाह करेगी।

 

       उसने घृणास्पद भाव से कहा ओह, वस्तुतः! बेल्लिसीमा बहुत अधिक सुन्दर है, लेकिन मैं विशेष रूप से उसका विवाह करना नहीं चाहती हूं, तुम उसको अपने साथ रख सकते हो।

 

       रानी ने घोर दुःख और निराशा में आगे कहा ओ, सज्जन महानुभाव उसको अस्वीकार मत करना, क्योंकि वह संसार में सबसे अधिक सुन्दर राजकुमारी है।

 

       इस पर बौने ने कहा जरूर मैं उसको अपने पास बहुत अच्छी तरह से रखुंगा, लेकिन अब हमें यह हमेशा यह याद रखना है, की राजकुमारी अब हमेशा के लिए मेरी हो चुकी है।

 

       जैसे ही उसने ऐसा कहा एक छोटा सा दरवाजा संतरे के वृक्ष के तने में खुला, और बौने ने रानी को शेर को सामने आने से पहले ही दरवाजे से अंदर करके दरवाजा को बंद कर  दिया।

 

        रानी बहुत अधिक भ्रमित हुई, क्योंकि उसने पहले संतरे के वृक्ष में छोटा दरवाजा नहीं देखा था, लेकिन वर्तमान में जब वह खुला, तब उसने अपने आप को भटकटैया के कांटों से भरे खेत में पाया। जिसके चारों तरफ कीचड़ से भरी हुई खाई विद्यमान थी, और वहां से थोड़ीसी दूरी पर, एक छोटी सी घास फूस से बनी हुआ झोंपड़ी थी, और उसके दरवाजे के बाहर बौना आदमी मजे के साथ घूमते हुए हवा खा रहा था। उसने लकड़ी के जूते पैरों में और अपने शिर पर पीली टोपी को पहन रखा था, जैसा कि उसके शिर पर बाल नहीं थे और उसके कान बहुत बड़े –बड़े थे, जो दिखने में ऐसे दिखते थे, जैसे वह किसी छोटी वस्तु से जोड़े गए हों।

 

        उसने रानी से कहा मैं बहुत अधिक प्रसन्न हूं, क्योंकि आप मेरी सासु मां बन गई हैं, आप यह छोटा घर देख सकती हैं जिसमें बेल्लीसिमा मेरे साथ रहेगी। जिसके चारों तरफ भटकटैया के कांटों का मैदान विद्यमान हैं, वह बंदरों को खिला सकती है, जो उसको उसकी इच्छा के अनुसार कहीं भी, उसको ले कर जाएगा। इस मजबूत छत के नीचे उसको कोई भी मौसम नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, वह इस बहते झरने से पानी पी सकती है, और यहां पर उपस्थित मोटे मेढकों को खा सकती है, और फिर मैं भी हमेशा उसकी सेवा में उसके साथ रहुंगा, एक सुन्दर, आज्ञाकारी आदमी की तरह से, जैसा कि तुम स्वयं मुझको इस समय देख रही हो। यदि उसकी छाया भी उसके बहुत करीब होगी, तो उसको भी देख कर मुझको बहुत आश्चर्य होगा।

 

      अप्रसन्न रानी ने जब यह सब कुछ देखा, तो उसने विचार किया की उसकी पुत्री का जीवन कितना अधिक दुःखी होगा, जब वह इस बौने आदमी के साथ रहेगी, जिसके बारें में उसने कभी अपने अतीत के सपने में भी नहीं सोचा था, जिसके बाद वह एक भी शब्द बिना बोले ही, बेहोश हो कर वहीं जमीन पर गीर गई।  

 

       जब वह होश में आई, तो उसने अपने आपको, अपने महल के बिस्तर पर पड़े हुए देखा, जिसके बाद उसको बहुत अधिक आश्चर्य हुआ, और इससे भी अधिक कुछ था, उसके पास एक बहुत सुन्दर पहनने के लिए वस्त्र के साथ, गल बंद और टोपी भी रखी थी, जिस को उसने अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा था। उसने पहले अपने सभी जोखिम भरे क्षण के बारें विचार किया, की उसने किसी स्वप्न को देखा है, जैसे भयानक शेर, और उस वादा के बारे में, जो उसने पीले बौने आदमी से किया था, कि वह बेल्लीसिमा का विवाह उसके साथ करेगी, लेकिन जब उसने नए सुन्दर पहनने के लिए वस्त्र के साथ गल बंद और टोपी को देखा, तो उसने समझा की यह सब सत्य है, जिससे वह फिर से एक बार अप्रसन्न हो गई, इस विचार के बाद उसने खाना पीना छोड़ दिया, और वह सोने में भी असमर्थ हो गई।     

 

       राजकुमारी बिना किसी संदेह के, अपनी मां से सच में, पूरे दिल से बहुत प्रेम करती थी, जब उसने अपनी मां को बहुत अधिक दुःखी और उदास देखा, तो उसने विचार किया, कि उसकी मां को तकलीफ उसकी ही वजह से हो रहा है, यह वह जानती थी, इसलिए उसने कई बार अपनी मां से पूछा, कि तुम दुःखी और उदास क्यों रहती हो? लेकिन रानी नहीं चाहती थी राजकुमारी को कभी भी उसके दुःखी और उदास होने के कारण के बारे में ना जाने, इसलिए वह कहती थी, की वह बीमार है, अथवा उसको अपने किसी पड़ोसी राजा से भय है, कि वह उसके खिलाफ हो सकता है। बेल्लीसिमा अच्छी तरह से जानती थी, कि उसकी मां उससे सत्य नहीं बता रही है, वह उससे अपने असामान्य रूप से दुःखी और उदास होने के सच्चे कारण को छिपा रही है। इसलिए उसने अपने मन में विचार किया, कि वह भी इस के बारे में, सत्य को जानने के लिए रेगिस्तान की परी से, सलाह लेने के लिए जाएगी। क्योंकि उसने भी रेगिस्तान की परी के विद्वता के बारे में पहले बहुत बार सुन चुकी थी, और इस प्रकार से उसने यह भी विचार किया, की इसके साथ वह उस रेगिस्तान की परी से अपने विवाह के बारें में भी सलाह लेगी, कि उसका विवाह होगा कि नहीं। 

 

      इस प्रकार से उसने बहुत सावधानी के साथ कुछ उपयुक्त जौ की रोटी, आम का आचार, और मगरमच्छ के अंडे की तैयारी की, रेगिस्तान की परी के रक्षक शेरों को देने के लिए, और रात्रि के आने से बहुत पहले ही, वह अपने कमरे में सोने का बहाना बना कर चली गई, और अपने बिस्तर पर अपने स्थान पर तकिया को रख कर, उसको सफेद चादर से ढक दिया, और इसके बाद वह गुप्त सीढ़ी से अपने कमरे से बाहर चली गई। और उसने अकेले ही रेगिस्तान की परी से मिलने के लिए, आगे जंगल की तरफ चल पड़ी।

 

    लेकिन जब वह उस विचित्र संतरे के वृक्ष के पास पहुंची, तो उसने देखा की वह फूलों और फलों से लदा था, जिससे वह उस वृक्ष के नीचे ठहर गई, और उसने अपने साथ ले गई टोकरी को, वहीं नीचे जमीन पर रख दिया, इसके बाद उसने वहाँ के कुछ संतरा के फलों को एकत्रित करके, वहीं बैठ कर उन को खाने लगी। लेकिन कुछ समय के बाद दुबारा उसके साथ भी वहीं हुआ, कि उसकी टोकरी वहां से गायब हो चुकी थी, उसने उसको तलाशने के लिए चारों तरफ देखा, लेकिन उसको कहीं भी अपनी टोकरी का कोई नीसान नहीं मिला। वह जितना अधिक अपनी टोकरी की खोज करती थी, उतना ही अधिक वह भयभीत भी हो रही थी, जिसके कारण अंत में रोने लगी। तभी उसने अचानक अपने सामने खड़े पीले बौने आदमी को देखा।

 

     जिसने उससे कहा मेरी सुन्दरी क्या बात है, तुम रो क्यों रही हो?

 

      जिस पर राजकुमारी ने आह! भरते हुए कहा, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, कि मैं क्यों रो रही हूं, क्योंकि मैंने अपनी सहायता के लिए, अपने साथ टोकरी में जौ की रोटी, आम का आचार, और मगरमच्छ का अंडा ले कर आई थी, रेगिस्तान की परी से मिलने के लिए, और वह सब उनके रक्षक शेरों को खाने के लिए, लाई थी, वह टोकरी कहीं गायब हो चुकी है।

 

      इस पर उस पीले बौने शैतान ने कहा सुन्दरी तुम रेगिस्तान की परी से क्या चाहती हो, मैं उसका मित्र हूं, मैं उससे कहीं अधिक बुद्धिमान हूं, तुम मुझको बताओ क्या बात है?

 

      राजकुमारी ने इसके उत्तर में कहा मेरी रानी मां, कुछ समय से बहुत अधिक दुःखी और उदास रहती है, मुझे डर की उनकी मृत्यु हो सकती है, और मुझे लगता है, शायद इसका कारण मैं ही हूं, क्योंकि उनकी बहुत अधिक इच्छा थी की मैं विवाह कर लू, और मैं सच में तुम को बताना चाहती हूं कि मैंने आज तक किसी को भी अपने पति होने के योग्य नहीं पाया है। इन सभी कारण की वजह के बारें में बात करने के लिए मैं परी से बिचार करना चाहती हूं।

 

       इस पर पीले बौने आदमी ने कहा अब और अधिक स्वयं को कष्ट मत दो, मैं तुम को वह सब कुछ बता सकता हूं, जो तुम जानना चाहती हो, जितना अधिक वह तुम को बता सकती है। रानी तुम्हारी मां ने मुझ से तुम्हारा विवाह करने के लिए वादा किया है----

 

       राजकुमारी ने इसको सुनते ही, उसकी बात को काटते हुए कहा, क्या उन्होंने मेरे लिए वादा किया है, ओह! नहीं। मैं जानती हूं कि वह ऐसा नहीं कर सकती है। यदि उन्होंने ऐसा किया होता, तो वह मुझ से इसके बारे में अवश्य बताती। मैं भी उनकी इस समस्या में बहुत अधिक रुचि रखती हूं, कि उन्होंने बिना मेरी किसी प्रकार की चिंता के ऐसा वादा किया है,  तुमने अवश्य कोई गलती की होगी।

 

        इस पर अचानक चिल्लाते हुए, बौना आदमी, सुन्दर राजकुमारी के सामने अपने घुटनों पर खड़ा हो कर, कहा मैंने अपनी बड़ी प्रसन्नता को जान कर, तुम से यह कहा कि तुम अपनी मां के द्वारा किये गए वादा का कभी अनादर नहीं करोगी, यद्यपि उन्होने अपनी प्रसन्नता से मुझ से तुम्हारा विवाह करने का वादा किया था। 

 

       रोते हुए बेल्लीसिमा ने अपनी दृष्टि को उसकी तरफ से हटा कर कहा तुम फिर वहीं बात कर रहे हो, कि मेरी मां ने मेरा विवाह तुम्हारे साथ करने का वादा किया है, क्या तुम पागल हो, जो इस प्रकार की तुम इच्छा कर रहे हो?

 

        ओह! ऐसा नहीं है, मैं उनका बड़ी सावधानी के साथ सम्मान करता हूं, क्रोधित हो कर चिल्लाते हुए पीले बौने आदमी ने कहा, यद्यपि यहां पर शेर आ रहे हैं, वे तुम को अपने तीन मुख से खा जाएगें, तुम्हारे साथ तुम्हारा अभिमान भी मर जाएगा।

 

         वस्तुतः उसी समय राजकुमारी को आतंकित और भयभीत करने वाली शेरों के दहाड़ने की आवाज अपने करीब से आती हुई सुनाई दी।

 

          जिससे राजकुमारी ने चिल्लाते हुए कहा मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूं? निश्चित रूप से मेरे साथ सभी मेरे प्रसन्नता के दिन भी आज समाप्त हो जाएगे।

 

    पीले बौने आदमी ने दुर्भावनापूर्ण दृष्टि से उसकी तरफ देखते हुए, द्रोह में हँसा- और अंत में उसने कहा तुम्हें संतुष्ट होना चाहिए की तुम अविवाहित मर रही हो। वस्तुतः मेरे जैसे एक गरीब छोटे से बौने आदमी से विवाह करने के स्थान पर, एक सुन्दर राजकुमारी की तरह से निश्चित रूप से तुम्हें मरना चाहिए।

      

       इस पर राजकुमारी ने रोते हुए कहा ओह! मुझ पर क्रोधित मत हो, उसने अपने हाथ को पीटते हुए कहा की मैं इस प्रकार की भयानक मृत्यु के बजाय, वस्तुतः संपूर्ण संसार के बौने आदमीयों से विवाह करना चाहती हूं।

 

         जिस पर बौने आदमी ने कहा मेरे साथ वादा करने से पहले एक बार मुझे ध्यान से देख लो, मैं नहीं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ जल्दी में किसी प्रकार का वादा करो?

 

     इस पर राजकुमारी ने रोते हुए कहा शेर बहुत पास आ चुके हैं। मैंने तुम को बहुत देख लिया है, मैं बहुत अधिक भयभीत हो रही हूं, इसी पल मेरी रक्षा करो, अथवा मैं इस भय और आतंक से ही मर जाउंगी।

 

     वस्तुतः जैसे ही उसने यह ठीक उसी समय वह बेहोश हो कर जमीन पर गीर गई, और जब वह होश में आई, तब उसने अपने आपको अपने कमरे में अपने छोटे बिस्तर पर पाया, वह कैसे वहां पर पहुंची वह उसको नहीं बता सकती थी, लेकिन उसने बहुत सुन्दर वस्त्र के साथ फीता और पट्टी को पहन रखा था, और अपनी उँगली में एक छोटी से अंगूठी को भी पहना था, जो अकेले एक लाल बाल से बनी थी, जो उसकी उँगली में बहुत कसी हुई थी, जब उसने उसको अपने उँगली से बाहर निकालने का प्रयास किया तब वह ऐसा करने में समर्थ नहीं हो सकी।

 

       जब राजकुमारी ने इन सभी वस्तु को देखा, और तब उसको याद आया,  कि उसके साथ क्या हुआ था, जिसके कारण वह भी बहुत अधिक गहरे दुःख और उदास के सागर में गोते लगाने लगी, जिस को देख कर पूरा दरबार चिंतित हो गया, इसमें सबसे अधिक रानी चिंता के साथ चकित हुआ। इसलिए उसने हज़ारों बार बेल्लीसिमा से पूछा तुम्हारे साथ क्या हुआ, तुम दुःखी और परेशान क्यों हो? यद्यपि वह हमेशा यही कहा करती थी कि कोई बात नहीं है।      

 

     अंत में राज्य का मुख्य अधिकारी, अपनी राजकुमारी के विवाह के लिए चिंतित हुआ, और उसने रानी के पास संदेश भेजा, जिसमें उसने कहा जितनी अधिक जल्दी हो सके राजकुमारी के लिए एक पति को चून कर उनका विवाह कर दिया जाए। जिस पर रानी कहा की राजकुमारी को कोई भी राजकुमार पसंद नहीं है, इसलिए उसकी पुत्री किसी से विवाह की इच्छा नहीं करती है, इसलिए उसने राज्य के मुख्य अधिकारी से अनुरोध किया की वह स्वयं जा कर राजकुमारी से इसके बारे में बात करें, और उसने एक बार राजकुमारी से मिल कर उसके विवाह के बारे में उससे बातचीत किया। जब से वह पीले बौने से मिली थी, तब से बेल्लीसिमा को अपने सुन्दरता पर ज्यादा अभिमान नहीं रहा, जिसके कारण उसके समझ में नहीं आ रहा था, कि वह स्वयं को पीले बौने शैतान की जाल से, स्वयं को किसी प्रकार से मुक्त कर सकती है, इसलिए उसने एक मजबूत राजकुमार से विवाह करने का इरादा किया, और उसने राज्य के मुख्य अधिकारी से कहा कि जो आपको सबसे अच्छा राजकुमार समझ में आए, उसी से मैं अपनी स्वेच्छा से विवाह करना चाहती हूं, इस प्रकार से राज्य के मुख्य अधिकारी ने राजकुमारी के विवाह के लिए सोने के खान के मालिक से विवाह करने के लिए तैयार किया गया। राजा सोने के खान का मालिक बहुत अधिक सुन्दर और साथ में बहुत शक्तिशाली भी था, जो राजकुमारी से पिछले कई सालों से प्रेम करता था, यद्यपि राजकुमारी कभी भी उसके प्रेम का बिल्कुल ध्यान नहीं दिया करती थी। यद्यपि सोने की खान के राजा मालिक ने जब यह समाचार सुना, तो आप स्वयं आसानी से कल्पना कर सकते हैं, कि वह कितना अधिक प्रसन्न हुआ, और कितनी अधिक क्रोधित हुए जो राजकुमार राजकुमारी से विवाह करने में सफल नहीं हो सके थे। जिनकी हमेशा के लिए राजकुमारी से विवाह की आशा समाप्त हो गई, यद्यपि इसके बाद राजकुमारी बेल्लीसिमा ने अपने सेवा में पहले से उपस्थित बीस राजकुमारों से विवाह नहीं किया, क्योंकि वह समझती थी कि इस संसार में उसका पति होने के योग्य कोई नहीं है।

 

        इसके साथ ही राजकुमारी के शानदार विवाह की तैयारी शुरु हो गई, और महल को बहुत सुन्दर तरीके से सजाया गया, जैसा पहले कभी नहीं किया गया था। सोने के खान के मालिक राजा ने, राजकुमारी के लिए बहुत से, समुद्र की जहाज़ों पर, उपहार और धन को उसके लिए भेजा, उन सामान को लाने वाले जहाज़ों से पुरा समुद्र ढक गया था। सभी प्रसन्नचित्त दूतों को सबसे परिष्कृत अदालतों के लिए भेजा गया, विशेष रूप से फ्रांस के न्यायालय के लिए, क्योंकि संसार के सभी दुर्लभ और कीमती वस्तु से राजकुमारी को सजाने वाले की तलाश थी, हालांकि वह बिना किसी सजावट के ही बहुत सुन्दर लगती थी। जितना की कोई राजकुमारी स्वयं को सजाने के बाद दिख सकती थी, कम से कम यही बात सोने की खानों के राजा ने सोचा था, और वह कभी खुश नहीं था जब तक कि वह उसके साथ नहीं था।

 

      जैसे ही राजकुमारी ने राजा को देखा वैसे वह उससे और अधिक पसंद करने लगी थी, क्योंकि सोने के खान का मालिक राजा बहुत अधिक सज्जनता और  सुन्दरता के साथ काफी बुद्धिमान भी था, जिससे राजकुमारी ने भी उतना प्रेम उससे करने लगी जितना प्रेम राजा उससे करता था। वह जब एक साथ होकर सुन्दर बाग़ीचे में घूमा करते थे तो बहुत प्रसन्न होते थे, कभी – कभी वह मधुर गीत को भी सुनते थे, क्योंकि राजा अकसर राजकुमारी बेल्लीसिमा के लिए गीतों को भी लिखा करता था, जिसमें से एक गीत कुछ इस प्रकार से है। जो राजकुमारी को बहुत अधिक पसंद आया था।

 

 जंगल में सभी जीव प्रसन्न रहते है,

 जब मेरी राजकुमारी इसमें चलती है,

सभी पुष्प उसको देख कर खिल जाते हैं,

नीचे जमीन पर फहराते हुए,

उम्मीद करते हैं कि वह उन पर चल सकती है।

और पतले तने पर चमकीले फूल

उन को देखते हुए वह गुज़रती है

घास उसके पैरों को धीरे – धीरे चूमते हैं ।

ओह! मेरी राजकुमारी,

हमारे प्रेम का गीत उपर पक्षियों के समान गूँजता है,

इस मंत्रमुग्ध भूमि पर प्रसन्नता के साथ हम घूमते हैं,

हाथ में हाथ डाले हुए।

 

       इस प्रकार से वे वास्तव में दिन भर बहुत प्रसन्न रहा करते थे । राजा के सभी असफल प्रतिद्वंद्वी निराश हो कर अपने – अपने घर चले गए । उन्होने राजकुमारी को अपनी अंतिम विदाई दी, और राजकुमारी ने कहा कि वह इन सब की निराशा में उनकी सहायता नहीं कर सकती हैं, जिसके लिए उसे खेद है।

 

      आह! श्रीमती, "सोने के खान के राजा ने उससे कहा" यह कैसा है? आप इन राजकुमारों पर अपनी दया क्यों बर्बाद करती हैं, जो आपको इतना प्यार करते हैं कि उनकी सारी परेशानी आपकी एक मुस्कान से अच्छी तरह से खत्म हो जाएगी?

 

      बेल्लीसिमा ने जवाब दिया, "मुझे खेद होना चाहिए," क्या तुमने ध्यान नहीं दिया था कि मैंने इन राजकुमारों को कितना अधिक दयनीय किया था, जो मुझे हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं, लेकिन तुम्हारे लिए, साहब, यह बहुत अलग है, आपके पास मेरे साथ प्रसन्न होने का हर कारण है, लेकिन वे दुःख से दूर जा रहे हैं, इसलिए आपको उन पर मेरी करुणा से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

 

       सोने के खान का राजा राजकुमारी के श्रेष्ठ स्वभाव को जान कर ही उसको और दूसरी राजकुमारी से अलग समझता था, जिस लिए उसने अपने आपको उसके क़दमों पड़ गया, और उसके हाथ को पकड़ कर हज़ारों बार चूमा, और उससे स्वयं को क्षमा करने के लिए अनुरोध किया।

 

     इस सब के बाद उन को सबसे अधिक प्रसन्नता को देने वाला दिन आ गया। बेल्लीसिमा के विवाह की सारी तैयारी की जा चुकी थी। सारे नगर की गली में उसके विवाह के गीत गुंज रहे थे, पूरे नगर में फूलों को बिखेरा गया था जिनके साथ उपर झंडे लहरा रहे थे, और लोगों की भीड़ महल के बाहर बड़े चौराहे पर दौड़ भाग रहे थे। रानी भी बहुत अधिक प्रसन्न थी, जिससे वह बड़ी मुश्किल के साथ सो पा रही थी, इसलिए वह सूर्य उदय से पहले ही अपने निंद से उठ गई, और उसने आवश्यक निर्देश दिया जिस को राजकुमारी को उसके विवाह के समय पहनना था। जिन में सबसे अधिक हीरों से जड़ित आभूषण थे, यहाँ तक उसकी जूती भी हीरे से जड़ी गई थी, और उसके वस्त्रों के किनारों पर दर्जनों सूर्य की किरणों को सुसज्जित किया गया था।

 

     आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं कि वह सब कितने अधिक बहुमूल्य थे, यद्यपि उनसे अधिक शानदार वस्त्र और आभूषण कोई दूसरा नहीं था, सिवाय राजकुमारी की सुन्दरता को छोड़ कर, राजकुमारी ने अपने शिर पर शानदार मुकुट को पहन रखा था, उसके सुन्दर बालों की चोटी लगभग उसके पैरों तक पहुंच रही थी, और उसकी आकृति ने अपनी सहजता से उपस्थित सभी औरतों की सुन्दरता को छिपा दिया था। 

 

     सोने के खान का राजा भी राजकुमारी के समान श्रेष्ठ और शानदार था, उसकी प्रसन्नता को उसके चेहरे को देख कर ही आसानी से समझा जा सकता था, कि वह कितना अधिक प्रसन्न है? जहां पर विवाह संपन्न होने वाला था उस हाल को दुर्लभ फूलों से सुसज्जित किया था जिसके साथ हज़ारों बड़े सोने के गमलों को व्यवस्थित किया गया था। इसके अतिरिक्त अनगिनत मखमल से सुसज्जित बटुआ में एक –एक हजार स्वर्ण मुद्रा से भर कर चारों तरफ रखा गया था। वह उन सब को देने को लिए रखे गये थे, जो उन को अपने हाथों में रखने की इच्छा रखते थे, यद्यपि बहुत से लोग ऐसा करने में हिचकिचाते थे, निश्चित रूप से तुम भी ऐसा ही करते, वस्तुतः कुछ लोगों ने पाया कि यह विवाह उत्सव का सबसे अद्भुत हिस्सा था।

 

      रानी और राजकुमारी जैसे ही राजा के साथ बाहर जाने के लिए तैयार हुए, तभी उन्होने देखा, अपने ठीक सामने बरामदा के अंतिम छोर पर दो विशाल गिरगिट को जो एक बड़े बक्से पर घसीट रहे थे, उनके पीछे से एक लंबी वृद्ध औरत आती हुई दिखाई दी, उसकी वृद्धता से भी अधिक उसकी कुरूपता ने उन सब को बहुत अधिक आश्चर्यचकित किया। जिसने खुरदरे कंबल को ओढ़ रखा था, जिसके शिर पर लाल मखमल की टोपी विद्यमान थी, उसके चेहरे पर हर तरफ बहुत अधिक झुर्रियां पड़ी हुई थी, और वह पुरी तरह से बैसाखी के सहारे चल रही थी। इस विचित्र औरत ने बिना एक भी शब्द को बोले, उसने तीन बार बरामदा का चक्कर लगाया, गिरगिटटों का पीछा करते हुए,  फिर वह हाल के मध्य में खड़ी हो कर कहा, अपनी बैसाखी को घूमा कर भयभीत करते हुए, उसने चीख कर कहा-

 

   हो, हो, रानी! हो, हो, राजकुमारी!  क्या तुम ऐसा सोचती हो कि तुम लोग अपनी स्वतंत्रता से मेरे मित्र पीले बौने के साथ किए गए वादा को तोड़ सकती हो? मैं रेगिस्तान की परी हूं, बिना पीले बौने और उसके संतरे के वृक्ष के, मेरे खतरनाक शेर तुम दोनों को खा सकते थे, मैं तुम को बता सकती हूं, कि इतना अधिक कभी मैं परीयों के द्वीप पर भी अपमानित नहीं हुई थी। तुम लोग अपने मन को तैयार कर लो कि तुम्हें आगे क्या करना है? क्योंकि मैं प्रतिज्ञा कर चुकी हूं, कि राजकुमारी को पीले बौने आदमी के साथ ही विवाह करना होगा। अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो मैं तुम्हें अपनी बैसाखी से जला दूंगी।

 

       इस पर रानी ने रोते हुए कहा, आह! राजकुमारी मैं यह क्या सुन रही हूं?  क्या तुमने ऐसा वादा किया है?

 

       इस पर बेल्लीसिमा ने दुःखी हो कर उत्तर दिया मेरी मां! तुमने स्वयं उससे क्या वादा किया था?

 

        सोने की खान का राजा उस वृद्ध औरत को अपने प्रसन्नता के क्षण में इस प्रकार से आने पर, और इस वादा के बारे में सुन कर बहुत अधिक क्रोधित हुआ, जिस पर उसने अपनी तलवार को अपनी म्यान में से निकाल कर, उसको डराते हुए उसके पास गया और उसके कहा-

      

      तुम इसी समय तुरंत मेरे राज्य से बाहर चली जाओ, अन्यथा मैं हमेशा के लिए दुःखी जीव मैं तुम्हारा अंत कर दुंगा, जिसके बाद मुझे इसके लिए दुःखी होना पड़ सकता है।

 

      मुश्किल से उसने यह वाक्य कहा था कि तभी उसके पीछे बड़ी जोर से उस बक्से का ढक्कन जमीन पर गिरा जिस को घसीट कर गिरगिटों ने लाया था, इसी के साथ सभी को आतंकित करते हुए वह पीला बौना अपनी दो काली बड़ी – बड़ी बिल्लीयों के साथ वहां उपस्थित हुआ। और जल्दी से भाग कर  रेगिस्तान की परी और सोने के खान के राजा के मध्य में जा खड़ा हो कर चीखते हुए कहा, मूर्ख युवा, इस प्रसिद्ध परी के उपर उँगली उठाने की भी हिम्मत मत करना, तुम्हारा विवाद मेरे साथ है, मैं तुम्हारा शत्रु और तुम्हारा विरोधी हूं। क्योंकि अविश्वासी राजकुमारी ने मेरे साथ विवाह का वादा किया था और वह तुम्हारे साथ विवाह कर रही है, प्रमाण के रूप में तुम स्वयं देख लो, मेरी सगाई की अंगूठी राजकुमारी की उँगली में है, जो मेरे बाल से बनी हुई है। तुम उस अंगूठी को केवल उसकी अंगुली से बाहर निकाल कर मुझ को दिखा दो, जिससे तुम को पता चल जाएगा कि मैं तुम से बहुत अधिक शक्तिशाली हूं।

 

   राजा ने उससे कहा बदनसीब छोटे शैतान, क्या तुमने यहाँ चारों तरफ खजाना को देख कर, इस पर अपना दावा करने के लिए, तुमने अपने मुंह से मेरी प्रेमिका को अपना कहने की हिम्मत की है? क्या तुम नहीं जानते कि तुम एक कुरूप बौने आदमी हो, जिससे राजकुमारी तुम्हारे चेहरे को देखना भी पसंद नहीं करेगी। और यदि तुम इतनी शानदार मृत्यु के योग्य हो, तो मुझे तुम्हें इससे बहुत पहले ही मार देना चाहिए था।

        इस शब्दों को सुनने के बाद पीला बौना आदमी बहुत अधिक क्रोधित हो गया है, और उसने अपनी दोनों बिल्लीयों को छोड़ दिया, जिससे वह आतंक के साथ चिल्लाते हुए, इधर उधर कूदने लगी, जिससे सभी लोग उन बिल्लीयों से भय आक्रांत हो गये सिवाय सोने के खान के राजा को छोड़ कर, जो पीले बौने को अपना शिकार बनाने के लिए उसके पास आ गया, तभी पीले बौने आदमी ने एक खतरनाक चाकू को निकालते हुए लड़ने के लिए तैयार हो गया, और उसने राजा से कहा की यदि तुम अपने आप को बहुत अधिक शक्तिशाली समझते हो तो तुम मेरे साथ अकेले कुश्ती लड़ सकते हो। और वहां से भाग कर भयानक कोलाहल के साथ महल के दरबार के आँगन में गया। जिससे राजा भी उत्तेजित हो कर जल्दी से उसके पीछे वह भी दरबार के आँगन में पहुंच गया, मुश्किल से वह अपने – अपने पर एक दूसरे का समान करने के लिए पहुँचे होंगे, इसी बीच में वहां उपस्थित सभी मेहमान दरबार के उपर छज्जे पर पहुंच गये, यह देखने के लिए की उनके बीच में जो भी होने वाला था, तभी अचानक सूर्य खून की तरह से लाल हो गया, जिससे वहां पर काफी अँधेरा हो गया जिससे वह सभी लोग अच्छी तरह से नहीं देख पा रहे थे। आकाश से वज्र गिरने की आवाज आने लगा, और बिजली इस प्रकार से चमकने लगी जैसे वह सभी वस्तु को निश्चित रूप से जला कर भस्म कर देगी। तभी वहां पर दोनों गिरगिट प्रकट हुए, और शैतान की तरह से, एक – एक करके पीले बौने के, दोनों तरफ आकर, पर्वताकार में खतरनाक दैत्य की तरह से खड़े हो गये, इसके साथ ही अपने मुंह और कान से आग उगलना शुरु कर दिया, जो बिल्कुल जलती हुई भट्टी की भांति दिखाई दे रहे थे। यद्यपि युवा श्रेष्ठ राजा इन सब को देख कर बिल्कुल भयभीत नहीं हुआ, वह भी उन्हीं की तरह से निर्भयता पूर्वक उनकी आँखों में आँखें डाल कर उनके साथ लड़ने के लिए तैयार था, यद्यपि राजा ने जब पहले पीले बौने आदमी को निडरता के साथ खड़ा देखा, तो एक पल के लिए विचलित हो गया, लेकिन जब उसने अपनी राजकुमारी पर होने वाली घटना को देखा, तो उसमें एक बार फिर से साहस बढ़ने लगा। क्योंकि रेगिस्तान की परी अब पहले से भी अधिक भयावह दिखाई दे रही थी, जो सिंह के समान प्राणी के शरीर पर सवार थी, जिसके दोनों तर विशाल पर निकले  रहे थे, इसके साथ उसने अपने गले में खतरनाक लंबे सर्प की माला को पहन रखा था, जिसने राजकुमारी को इतनी अधिक तेजी से फूंका कि राजकुमारी रानी के गोद में बेहोश हो कर गीर पड़ी। और उसके मुंह से खून निकलने लगा, रानी भी बहुत अधिक जख्मी हो गई थी, रेगिस्तान की परी के मुंह से निकलने वाले हवा के कारण। इसलिए वह असहनीय दर्द के कारण रोने और विलाप करने लगी। जिस को सुन कर राजा का साहस खत्म हो गया। और वह अपना होश हवास भूल कर, कुश्ती के स्थल को छोड़ कर, राजकुमारी की तरफ भाग कर गया, उसकी जान बचाने अथवा उसके साथ मरने के लिए। लेकिन पीला बौना अपनी दोनों बिल्ली के साथ उससे भी जल्दी से भाग कर दरबार के छज्जे पर राजकुमारी को पास पहुंच गया। और उसने राजकुमारी को रानी की बांहों से छिन लिया, इससे पहले की दरबार की कोई औरत उसको ऐसा करने से रोकने का प्रयास करती वह राजकुमारी को ले कर महल की छत पर उड़ कर चला गया और कुछ पलों में वह राजकुमारी के साथ अदृश्य हो गया।   

 

  इस दुखांत भयपूर्ण घटना के बाद राजा बिलकुल गतिहीन हो गया, जिसके साथ निराशा में वह स्वयं शक्ति से हीन हो कर, अपने स्थान पर जड़वत हो गया था, उसने इस बदतर दुर्घटना को अपनी आँखों से देखा था, इसके बाद उसकी आँखों के सामने बिल्कुल अँधेरा छा गया, और उसने महसूस किया, कि किसी मजबूत हाथों ने उसको हवा में उठा कर, वहां से बहुत दूर ले कर जा रहा है।

 

       यह नया दुर्भाग्य रेगिस्तान की कुरूप परी के द्वारा किया गया था, जो पीले बौने की सहायता के लिए महल में आई थी, जिसने पहली बार जब सोने के खान के राजा को देखा था, तभी से वह उससे प्रेम करने लगी थी, और उसने विचार किया, कि यदि इस राजा को यहां से दूर किसी एकांत बीहड़ जंगल में ले जा कर, किसी चट्टान पर जंजीर से बाँध कर भयभीत किया जाए, तो यह अपने मृत्यु के संभावित जान कर यह राजकुमारी के प्रेम को हमेशा के लिए भूला देगा, और आसानी से उसका दास बन जाएगा। 

 

       इस प्रकार से जैसे ही वह महल में पहुँचा, रेगिस्तान की परी ने दुबारा राजा की आँखों को देखने की शक्ति को दे दिया, बिना दृष्टि में सामने आये ही, और उसने राजा को जंजीर इससे पहले ही बाँध दिया था। कुछ समय के बाद वह अपनी जादुई शक्ति की सहायता से अपने आपको को एक युवा सुन्दर परी में परिवर्तित कर लिया था, और उसने राजा से बहाना करते हुए कहा कि वह उसके पास संयोग बस आ गई है।   

   

    और उसने राजा को देख कर आह भरते हुए कहा तुम इस तरह से मुझको क्यों देख रहे हो, क्या तुम कही के प्रिय राजकुमार हो? कौन सा दुर्भाग्य तुम्हारे उपर घट गया, जिसके कारण तुम इस निर्जन स्थान पर बेबस अवस्था में पड़े हो।

 

         राजा पुरी तरह से उसके इस बनावटी रूप को देख कर धोखा खा गया, और उसने उत्तर देते हुए कहा- आह! सुन्दर परी, एक परी ने मुझको यहाँ पर लाया है, उसने पहले मेरी आँखों की रोशनी को खत्म कर दिया था, लेकिन मैं उसकी आवाज को पहचानता हूं, उसकी आवाज रेगिस्तान की परी की तरह से था, हालांकि मैं तुम को यह नहीं बता सकता हूं कि उसने मुझे इस स्थान पर क्यों लाई है?

 

     फिर उस नकली परी ने आह भर कर कहा, यदि तुम उसका शिकार हो चुके हो तो तुम जब तक उससे विवाह नहीं कर लेते, तब तक तुम उसकी गुलामी से स्वतंत्र नहीं हो सकते हो। तुम से पहले भी वह एक से अधिक राजकुमारों को अपने साथ यहाँ ला चुकी है, निश्चित रूप से वह कुछ भी अपनी जादुई शक्ति से कर सकती है। यद्यपि तुम को इस अवस्था में देख कर मुझे बहुत दुःख हो रहा है, राजा ने अचानक उसके पैरों को देखा, जो बिल्कुल सिंह के पैरों के समान दिख रहे थे, जिससे राजा उसी क्षण समझ गया, की उसके सामने जो परी है, कोई और नहीं वह रेगिस्तान की परी स्वयं ही है, क्योंकि उसने अपने एक पैर उसी वस्तु को पहना था जिस को वह पहन कर महल में गई थी, उसने अपने आपको एक युवा सुन्दर परी में तो अवश्य बदल लिया था, यद्यपि उसने अपने पैर की उस वस्तु को नहीं बदला था। 

 

      राजा ने बिना यह प्रकट किए की वह उसको पहचान चुका है, अपने आत्मविश्वास के साथ उसने उससे कहा-

    

      वास्तव में मैं रेगिस्तान की परी को नापसंद इस लिए नहीं करता हूं कि वह बौने आदमी की सहायता करने का साहस किया है, यद्यपि मैं उसे मैं इसलिए नापसंद करता हूं क्योंकि उसने मुझको किसी अपराधी की तरह से जंजीर से बाँध कर रखा है। यह सत्य है कि मैं एक सुन्दर राजकुमारी से प्रेम करता हूं, लेकिन यदि परी मुझको स्वतंत्र कर देती है, तो मेरी कृतज्ञता मुझे केवल उससे प्रेम करने के लिए सहमति देगी।

 

       इस पर परी ने कहा राजकुमार वास्तव में जो तुम कह रहे हो, क्या तुम इसका अर्थ समझते हो? क्योंकि परी पुरी तरह से राजकुमार के जाल में फंस चुकी थी।

 

      राजकुमार ने कहा निश्चित रूप से, मैं तुम को धोखा कैसे दे सकता हूं? क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझे किसी परी से प्रेम करने में किसी साधारण राजकुमारी की तुलना में बहुत अधिक आनंद मिलेगा? लेकिन फिर भी यदि मैं उसके प्रेम में मरता हूं, तो भी जब तक मैं स्वतंत्र नहीं हो जाता तब तक मैं उससे नफरत ही कर सकता हूं।

 

      रेगिस्तान की परी, उसके इन शब्दों से काफी प्रभावित हुई, और उसने निर्णय कि राजकुमार एक सुखद स्थान पर रहने के लिए रखा जाए। इसलिए उसने राजकुमार को अपने साथ अपने रथ पर बैठा लिया, रथ को लेकर उड़ने के लिए दो हंस लगे थे, साधारणतः उसके रथ को चमगादड़ चलाया करते थे, और वे रथ को हवा में लेकर वहां से दुर चले गए। लेकिन तुम स्वयं कल्पना करो कि राजकुमार कितना अधिक चिंतित हो गया, जब वह आकाश मार्ग से रेगिस्तान की परी के साथ उसके रथ पर उड़ रहा था, उसने नीचे जंगल के मध्य में बने एक चमकीले लोहे के कीले में प्रिय राजकुमारी देखा, वह किला सूर्य की किरणों के प्रतिबिंब से बहुत अधिक गर्मी के साथ चमक रहा था, जो भी व्यक्ति उसके करीब जाने का प्रयास करेगा, वह स्वयं को राख में तबदील होने से नहीं बचा सकता था। बेल्लीसिमा एक छोटे से झरने के पास बैठी थी, अपने शिर को अपने हाथों में ले कर वह बुरी तरह से रो रही थी, लेकिन जैसे ही वह गुजर रहे थे उसने अपने उपर रथ में सवार रेगिस्तान की परी और राजा को देखा। परी बहुत अधिक चालाक थी जिसके कारण वह केवल राजा को ही सुन्दर नहीं दिखाई देती थी, यद्यपि जब राजकुमारी ने उसको देखा तो वह भी उसकी अद्वितीय सुन्दरता को देख कर आश्चर्यचकित हुई, उसने अपने जीवन में कभी भी इतनी सुन्दर परी को नहीं देखा था।    

 

      जिस पर उसने रोते हुए, अपने मन में कहा कि मैं उतनी अधिक दुःखी नहीं की मुझको बौने ने इस प्रकार से इस कीला में बंद कर के रखा है, जितना दुःख मुझे यह देख हो रहा है, कि सोने के खान का राजा अपनी दृष्टि से मुझे ओझल होते ही, वह मुझ से भी अधिक सुन्दरी के प्रेम में पड़ गया है।

 

       जब ऐसा बिचार राजकुमारी कर रही थी, तभी राजा जो वास्तव में अब भी उससे बहुत अधिक प्रेम करता था, वह अपने दिल में बहुत अधिक दुःखी और उदास हो गया, कि वह अपनी सुन्दर प्रेयसी दूर हो रहा है, यद्यपि वह यह भी अच्छी तरह से जानता था, कि परी कितना अधिक शक्तिशाली है, जिसके कारण उसकी गिरफ्त से मुक्त होना, आसान कार्य नहीं है, सिवाय बड़े धैर्य और धूर्तता के।

 

      रेगिस्तान की परी ने भी बेल्लीसिमा को देखा, और उसने राजा की आँखों में यह देखने का प्रयास किया की राजकुमारी को देखने के बाद राजा पर उसका क्या असर होता है?

 

     राजा ने उससे कहा जो तुम जानना चाहता हो, उसके बारे में मुझ से अधिक तुम को कोई दूसरा नहीं बता सकता है। एक बार संयोग बस बहुत पहले मैं इस अप्रसन्न राजकुमारी से मिला था, और मैं इससे थोड़ा प्रभावित हो गया था, तुम से मिलने पहले, लेकिन जब से मैं तुम से मिला हूं, तब से मैंने जाना है कि तुम्हारे सुन्दरता के सामने वह कुछ भी नहीं है, इस लिए मैंने तुम्हारे साथ रहने का वादा किया हूं, तुम को छोड़ने से पहले मैं मरना पसंद करुंगा। 

 

     इस पर परी ने कहा ओ राजा मैं तुम पर विश्वास कर सकती हूं की तुम कितना अधिक मुझ से प्रेम करते हो?

 

     जिसके उत्तर में राजा ने कहा समय के साथ इसका प्रमाण तुम्हें अवश्य मिलेगा, इसके बजाय यदि तुम मुझे समझाना चाहती हो, क्योंकि तुम अपने हृदय में उसके लिए कुछ सम्मान रखती हो, तो मैं तुम से विनती करता हूं, कि तुम किसी प्रकार से बेल्लीसिमा की सहायता मत करना।

 

  "क्या तुम जानते है कि तुम क्या पूछ रहे हो?" रेगिस्तान की परी ने कहा, अपनी त्योरी के चढ़ा कर और उसे संदेह से देखते हुए । "क्या तुम चाहते हो? कि मैं पीले बौना, जो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है उसके खिलाफ अपनी जादुई कला से, अभिमानी राजकुमारी को उसकी कैद से मुक्त कर दूं, हालांकि मैं ऐसा कर सकती हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि वह मेरी प्रतिद्वंद्वी के समान है।

 

       राजा ने सांस ली, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया-वास्तव में, ऐसे स्पष्ट दृष्टि वाले व्यक्ति से क्या कहा जा सकता था? अंत में वे एक विशाल घास का मैदान में पहुँचे, जो सभी प्रकार के फूलों से आच्छादित था जहां पर किसी भी मानव को पहुंच कर प्रसन्नता का अनुभव अवश्य हो सकता था, जिसके चारों तरफ एक गहरी नदी उपस्थित थी, और कई छोटे पक्षी छायादार पेड़ों के नीचे धीरे - धीरे से कुड़कुड़ा रहे थे, जहां का मौसम हमेशा शांत और ताजा रहता था। उसकी के मध्य में एक शानदार महल खड़ा था, जिसकी दीवारें पारदर्शी पन्ने की बनी हुई थी। तभी हंसों ने जो परी के रथ खींच रहे थे, वह एक बरामदा पहुंच कर ठहर गए, जो हीरे की मड़ी से सुसज्जित किया गया था और जिसके चारों तरफ माणिक के मेहराब बना हुआ था, रथ से नीचे उतरते ही, वहाँ के सुंदर प्राणि के साथ हज़ारों प्रकार पक्षियों के द्वारा परी का स्वागत किया गया, जो उन्हें खुशी से मिलने आये थे, उन्होने इन शब्दों को गायन किया-

 

"जब एक दिल के भीतर प्यार का राज होगा,

बेकार लोग उसके खिलाफ प्रयास करेंगे।

 गर्व है, लेकिन एक तेज दर्द भी हो रहा है,

और एक बड़ी जीत उसकी बनाते हैं ।

 

      रेगिस्तान की परी उनके गीत को अपनी जीत पर गाना सुन कर बहुत खुश हुई; वह सबसे शानदार कमरे में राजा को लेकर गई, जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं, और उसे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दिया, बस कि वह महसूस नहीं  सके, कि अब वह एक कैदी नहीं रहा, लेकिन वह यकीनन वास्तव में उससे  ज्यादा दूर नहीं गयी थी, यद्यपि वह राजा को छीप कर देख और महसूस कर रही था । इसके बाद उस परी ने एक विशाल दर्पण के पास गई और, उसने दर्पण से कहा, ओ मेरे भरोसेमंद सलाहकार, आए अब देखते हैं कि ऐसा क्या कर सकती हूं, जिससे रेगिस्तान की परी पहले से भी अधिक सुन्दर और आज्ञाकारी बन सके, क्योंकि इस समय मैं सिवाय इसके कुछ और विचार नहीं कर सकती, की कैसे राजा को और अधिक प्रसन्न किया जा सकता है?    

 

     इस प्रकार से तत्काल उसने अपने बालों को घुँघराला बनाया, और उसने मेज़ पर पड़े सुनहरे कोट को देखा, और उसको उठा कर उसने सावधानी के साथ पहन लिया। इस प्रकार से परी बड़ी खुशी के साथ एक बार फिर वापिस राजा के पास गई, वह इतना अधिक आनंदित थी जिस को वह स्वयं से छिपा नहीं सकी। 

 

      और उसने कहा उसने कहा, " मुझे खुश करने के लिए आपने जो परेशानी ली है, उसके बारे में मुझे काफी जानकारी है, और मैं आपको बताना चाहती हूं कि आप पहले से ही पूरी तरह से सफल रहे हैं । तुम देखो यह मुश्किल नहीं है अगर तुम सच में मेरे लिए परवाह करते हो।

 

        राजा के पास अपना कारण था कि जितना हो सके, परी को वह खुश रखने का प्रयास करे, इसलिए उसने उसके प्रिय भाषण के बीच में एक भी शब्द को नहीं बोला, और जब उस परी ने राजा से कहा कि वह समंदर किनारे पर घूमने के लिए ले जा सकता है। और वह अकेले समंदर के किनारे पर घूमने के लिए गया, क्योंकि रेगिस्तान की परी पास इतनी अधिक जादुई शक्ति थी, जिससे वह एक भयानक तूफान को किसी भी पल ला सकती थी, जिस तूफान से बाहर निकलने में, कोई भी सफल नहीं हो सकता था, यहां तक सबसे कुशल जहाज का चालक भी अपनी जहाज को ले कर समंदर के किनारे पर नहीं पहुंच सकता था। इसलिए उसको अपने कैदी से किसी प्रकार का भय नहीं था, कि वह उसकी कैद से निकल कर भाग सकता है। और इस प्रकार से राजा अपनी कैद से कुछ राहत पाया, जिसमें वह अपनी भयानक स्थिति पर कुछ विचार कर सके, बिना किसी प्रकार के उसके क्रूर बंधनों द्वारा बाधित किए हुए।

 

अंत में मैं इस किनारे पर

नरम आंसू के साथ अपने दुख को हल्का कर सकता हूं । 

काश! काश! मैं किसी और को अपने प्रेम से अधिक नहीं देखता,

मेरा प्यार जो अभी तक मेरी उदासी की प्रसन्नता को देखता हैं ।

 

और तुम, हे उग्र, तूफानी समुद्र,

जंगली हवाओं से उभरा, गहराई से ऊंचाई तक,

तुमने मेरे प्यार को मुझ से दूर पकड़ रखा है,

और मैं तेरा हो सकता है बंदी हूं ।

 

मेरा दिल अभी भी तुम से अधिक जंगली है,

मेरा सौभाग्य मेरे लिए क्रूर बन गया है ।

मुझे इस प्रकार के निर्वासन में दुःख क्यों मिलना चाहिए? 

मेरी राजकुमारी मुझ से क्यों छीनी जा रही है?

 

"हे! सुंदर महासागर के गुफाओं की अप्सरा,

कौन जानता है कि कितना सच्चा प्यार मीठा हो सकता है,

ऊपर आओ और उग्र लहरों को शांत कर दो,

और एक हताश प्रेमी को मुक्त कर दो!

 

       जब वह इस कविता को लिख रहा था, तभी उसने एक आवाज को सुना जिसने उसको स्वयं से अधिक आकर्षित किया। जहां पर उसने देखी समंदर की लहरे अपने सामान्य उचाई से कहीं अधिक उपर उठ रही थी, इसके बाद उसने अपने चारों तरफ देखा, तभी उसने देखा की एक सुन्दर औरत सागर की लहरों पर सवार होकर बहती हुई उसकी तरफ ही आ रही थी, उसके चारों तरफ उसके लंबे बाल फैला हुआ था, उसने अपने एक हाथ में दर्पण को ले रखा था और दूसरे हाथ में उसने एक कंघे को ले रखा था, वह बिना किसी पैर के मछली के समान थी, जिसकी सहायता से वह तैरती थी।

 

      राजा इस अप्रत्याशित दृश्य को देखकर आश्चर्य के साथ गूंगा हो गया, लेकिन जैसे ही वह सागर किनारे थोड़ा करीब आई तो उसने उससे कहा, "मैं जानती हूं कि तुम अपनी राजकुमारी को खोने पर कितना अधिक उदास हो, और रेगिस्तान की परी द्वारा तुम्हें एक कैदी की तरह से रखा जा रहा है; यदि आप चाहें तो मैं आपको इस घातक जगह से बचने में मदद करूंगी, जहां आपको और अधिक तीस साल या उससे अधिक समय तक थके हुए, अपने अस्तित्व के साथ जी सकते हैं।

 

       सोने की खानों के राजा को शायद ही पता था, कि वह उसके इस प्रस्ताव का क्या जवाब देना चाहिए। इसलिए नहीं कि वह स्वयं को बचाने के लिए उसमें बहुत ज्यादा इच्छा नहीं थी, यद्यपि उसे डर था कि यह केवल एक और उपकरण हो सकती है, जिसके द्वारा रेगिस्तान की परी उसे धोखा देने की कोशिश कर रही है। वह अब मत्स्यांगना के रूप में उसके पास आई है, जो अपने विचारों के अनुमान और झिझक में उलझा हुआ था। यद्यपि उस मत्स्यांगना ने उससे कहा-

 

     तुम मुझ पर भरोसा कर सकते हो, मैं तुम्हें गुलाम नहीं बनाना चाहती हूं। मैं पीले बौने और रेगिस्तान के परी के उपर बहुत अधिक क्रोधित हूं, जिससे मैं उनका किसी प्रकार से सहायता करना पसंद नहीं करती हूं, विशेष रूप से जब से मैं लगातार अपने गरीब राजकुमारी देखा है, जिनकी सुंदरता और अच्छाई मुझे उस पर बहुत अधिक दया आती हैं, और मैं तुम से कहती हूँ कि अगर तुम मुझ पर विश्वास करोगे, तो मैं तुम्हें यहाँ से भागने में तुम्हारी मदद करूंगी।   

 

"मैं तुम पर बिल्कुल भरोसा करता हूं," राजा रोते हुए कहा, "और तुम मुझे बताओ कि मुझे क्या करना होगा? अगर तुमने मेरी राजकुमारी देखा है, मैं तुम से भी प्रार्थना करता हूं कि तुम मुझे बताओ कि वह कैसी है? और उसके साथ क्या हो रहा है? इस पर उसने कहा, "हमें बात करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए । "मेरे साथ आए, और मैं तुम्हें उस इस्पात के महल में ले जाउंगी। यहां समंदर कि किनारे पर तुम्हारे समान आकृति वाले एक नकली आदमी को उपस्थित कर देंगे, जिस को देख कर रेगिस्तान की परी धोखा खा जाएगी।

 

      इस प्रकार से उसने जल्दी से समंदर की गाद को लिए और उसको तीन बार दोहरा कर उसने कहा मेरे प्रिय समंदर के गाद मैं तुम को आदेश देती की तुम यहां राजकुमार की शक्ल में बन बैठे रहो, रेगिस्तान की परी को धोखा देने के लिए। और जब तक वह यहां पर तुम को लेने के लिए नहीं आती है। इसके बाद वह समंदर की गाद राजा की शक्ल को धारण करके वहीं पर बैठ गया, असली राजा को भी यह देख कर बहुत अधिक आश्चर्य हुआ, क्योंकि उसने बिल्कुल असली राजा के समान कपड़े को पहना हुआ था। और फिर मत्स्यांगना ने राजा को पकड़ अपने साथ समंदर के अंदर ले गई, और वे एक साथ प्रसन्नता से तैरते हुए समंदर के किनारे से बहुत दूर चले गये।

 

       आग उसने कहा की मेरे पास कुछ समय है, जिसमें मैं तुम को राजकुमारी के कुछ बताती हूं। रेगिस्तान की परी के मुंह से निकलने वाले हवा से जख्मी होने के बाद, राजकुमारी को पीले बौने ने अपने साथ अपनी काली बिल्ली के उपर बैठा कर लेकर आया था, जब वह बेहोश थी, उसको होश तब आया जब वह मजबूत खतरनाक भयानक लोहे कीले में पहुंच चुकी थी। जहां पर उसकी सेवा के लिए संसार की सबसे सुन्दर लड़कियां लगी हैं, जिस को वहां पर पीले बौने के द्वारा लाया गया है, वह सब बिना किसी संदेह के उसको अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हर संभव तरीके प्रयास करती है। उसको सोने से मढ़े हुए सोफे पर बैठाया गया है, जिस सोफे के किनारों को बड़े – बड़े मोतियों से सुसज्जित किया गया है।

 

       इस पर उसकी बात को बीच में ही काटते हुए, सोने के खान के राजा ने कहा आह! बेल्लीसिमा उसको भूल गई है, और वह उसके साथ विवाह करने के लिए तैयार हो गई है, मैंने स्वयं अपने दिल को तोड़ दिया है।

 

       इस पर मत्स्यांगना ने कहा कि तुम को डरने के जरुरत नहीं है, राजकुमारी तुम्हारे सिवाय किसी और के बारे में विचार नहीं करती है, और भयानक पीला बौना किसी प्रकार से उसको अपनी तरफ देखने के लिए तैयार नहीं कर सका है।

 

      इस को सुन कर राजकुमार ने कहा कि अपनी बात को तुम आगे बढ़ाओ।

 

       ज्यादा कुछ उसके बारे में बताने के लिए नहीं है, मत्स्यांगना ने उत्तर देते हुए कहा, बेल्लीसिमा जंगल में बैठी हुई थी जब तुम वहां से गुजर रहे थे, और उसने तुम को रेगिस्तान के परी के साथ देखा था, जिसने अपने आप को बहुत अधिक चालाकी से अपने आपको राजकुमारी से भी सुन्दर स्वयं को बना लिया था। तुम राजकुमारी की निराशा के बारे में कल्पना कर सकते हो, क्योंकि वह यह विचार करती है कि तुम उससे रेगिस्तान की परी से प्रेम करने लगे हो।

      

    इस पर राजा ने रोते हुए कहा वह विश्वास करती है कि मैं उससे प्रेम करता हूं, उसने इतनी बड़ी गलती कैसे  कर सकती है? मैंने ऐसा केवल रेगिस्तान की परी को धोखा देने के लिए ही किया था।

 

         इस पर मत्स्यांगना ने विनम्रता से मुसकुराते हुए कहा इसके बारे में तुम अच्छी तरह से जानते होंगे, जब दो प्रेमी एक दूसरे को अपने हृदय की गहराई से प्रेम करते हैं, तो वह कभी भी एक दूसरे को धोखा नहीं दे सकते हैं। और उन को किसी दूसरे के सलाह की भी कभी जरूरत नहीं पड़ती है।

 

       जैसे ही उसने यह कहा तभी वह दोनों इस्पात के कीले के पास पहुंच गए, केवल समंदर की तरफ से ही कोई पीले बौने के भयानक ज्वलनशील कीले की दीवाल से बिना जले उसमें प्रवेश कर सकता था। क्योंकि पीले बौने ने इस तरफ से को असुरक्षित छोड़ रखा था।

 

       मत्स्यांगना ने कहा मैं अच्छी तरह से जानती हूं, कि राजकुमारी वहीं पर जहां तुमने उसको देखा था, नदी के किनारे पर ही अब भी वह बैठी है। लेकिन उसके पास पहुंचने से पहले तुम्हें अपने बहुत से शत्रुओं से लड़ना होगा, तुम मेरी इस तलवार को अपने साथ ले लो, अपने हथियार के रूप में, इससे तुम किसी भी प्रकार के खतरा का सामना कर सकते हो। और बड़ी से बड़ी कठिनाई से पार हो सकते हो। केवल एक बात का ध्यान रखना, कि यह कभी भी तुम्हारे हाथ से ना गिरे। ठीक है, अब मैं तुम्हारा चट्टान के पास इंतजार करूंगी,  अगर तुम्हें मेरी राजकुमारी को यहां से ले जाने में सहायता की जरूरत पड़े, तो इसमें मैं किसी प्रकार विलंब नहीं करूंगी। क्योंकि उसकी मां मेरी सबसे अच्छी सहेली है, मैंने उसके कारण ही तुम को यहां लाने के जोखिम को उठाया है।

 

      ऐसा कह कर मत्स्यांगना ने राजा को अपनी तलवार को दे दिया, वह तलवार केवल एक हीरे के टुकड़े से बनी थी, जो सूर्य से भी अधिक चमक रही थी। राजा के पास ऐसा कोई शब्द नहीं जिससे वह उसकी कृतज्ञता को व्यक्त कर सके, यद्यपि उसने पुरी विनम्रता के साथ उसके महत्वपूर्ण उपहार को प्रसन्नता के साथ ग्रहण कर लिया, कभी वह उसकी दयालुता और सहायता के बारे में नहीं भूला।

  

      अब हमें अवश्य ही रेगिस्तान के परी के पास जाना होगा। जब राजा समंदर के किनारे से वापिस उसके पास नहीं पहुंचा, तो वह अपने साथ अपनी सैकड़ों प्रशिक्षित औरतों को राजा के लिए शानदार उपहार को लेकर, बेचैनी के साथ चारों तरफ देखते हुए, वह समंदर के किनारे की तरफ निकल पड़ी। उनमें से कुछ औरतों ने, हीरे से भरी हुई टोकरी को ले रखा था, और कुछ दूसरी औरतों ने नक्काशी किये  हुए सुन्दर सोने के कपों को ले रखा था, और भी बहुमूल्य वस्तु थी, जैसे पुखराज, मोती, पन्ना, को साथ जिस को कुछ औरतों ने अपने शिर पर ले रखा था, इसमें से जो बची हुई औरतें थी, वह फल और फूल के साथ मन बहलाने वाले सुन्दर रंग विरंग के पक्षीयों को भी ले रखा था।    

 

      लेकिन जब वह समंदर के किनारे पर राजा की नकली मूर्ति को देखा, तो उसके खौफ का कोई अंत नहीं था, जिसके पीछे उसकी औरतों की मंडली भी सभी उपहारों को अपने साथ लेकर पहुंची, जब उन सब ने मत्यस्यांगना के द्वारा बनाए गए, राजा की आकृति को देखा जिस को समंदर की गाद से बनाया गया था, जिसके बाद रेगिस्तान की परी आश्चर्य और दुःख के सदमे से जख्मी हो गई, वह बुरी तरह से रोते हुए, उस राजा की प्रतिमा के पास गिर गई, रोते और चिल्लाते हुए उसने अपनी जादूगर ग्यारह बहिनों को बुलाया, वह सब भी परी की सहयोगी थी जिसके कारण वह सब उसकी सहायता के लिए तत्काल वहां पर उपस्थित हुई। और वह सब भी राजा की प्रतिमा के चारों तरफ एकत्रित हो गई, क्योंकि मत्स्यांगना उन सब जादूगर परीयों से बहुत अधिक चालाक थी, जिसके कारण उन सब ने वह सब कुछ किया जो भी सहायता रेगिस्तान के परी वह कर सकती थी। और राजा को मारा हुआ जान कर उसकी प्रतिमा को वहीं पर दफन कर दिया। लेकिन जब वे सब राजा की स्मृति को अमर करने के लिए गोमेद, पुखराज, पन्ना, मोती, हीरा, संगमरमर, सोना और कांस्य, के साथ मूर्तियां और उपकरणों का संग्रह कर रही थी।

 

       ठीक इसी समय सोने की खान राजा अब अच्छी मत्स्यांगना का शुक्रिया अदा कर रहा था, और उसकी मदद करने के लिए अभी भी वह बहुत अधिक आभारी हो रहा था, जिसने उसकी शालीनता से अपने द्वारा किए गए वादा को पुरा किया था क्योंकि वह अब गायब हो गयी थी, और फिर वह इस्पात के महल के बाहर से उसके अंदर जाने के लिए आगे बढ़ा। वह तेजी से चलता हुआ, उत्सुकता के साथ उसे चारों तरफ देखते हुए, लालसा भरी दृष्टि से एक बार फिर से अपने प्रिय बेल्लीसिमा को देखने के लिए, लेकिन वह दूर नहीं पहुंचा था, कि इससे पहले कि उसको चार भयानक नरसिंहा से स्वयं को घिरा पाया, जिन को उसने बहुत जल्द ही अपने तेज तलवार कुछ एक बार के साथ टुकड़े – टुकड़े करके काट दिया, अगर उसके पास यह मत्स्यांगना के द्वार दी गई, हीरे की तलवार नहीं होती, तो वह ऐसा नहीं कर सकता था। वह चारों नरसिंहा जल्दी ही उसके पैरों के नीचे निस्सहाय अवस्था में, अपने मांस लोथड़े और कटे फटे अंग से बाहर निकले आँखों के साथ पड़े हुए थे। लेकिन वह मुश्किल से अपने स्थान से घूमा ही था अपनी खोज को आगे बढ़ाने के लिए तभी उसकी मुलाकात छ ड्रैगन से हो गई, जिनकी त्वचा लोहे से भी अधिक मजबूत थी, राजा जब उन भयानक ड्रैगन को देखा तो उसने अपने अनंत साहस के साथ उनका मुकाबला करने के लिए तत्क्षण तैयार हो गया, और उसने अपने अद्भुत तलवार की सहायता से एक – एक करके सभी के शिर को काट कर जमीन पर गिरा दिया। जब कि राजा अब आशा करता था की उसकी कठिनाई का यहीं पर अंत हो गया, यद्यपि ऐसा उसको  साथ नहीं हुआ, जब वह वहां से आगे बढ़ने के लिए कुछ ही कदम आगे बढ़ा था, तभी उसके सामने एक ऐसी चुनौती खड़ी हो गई, जिससे बाहर निकलने का उसको कोई रास्ता समझ में नहीं आ रहा था। और वह कठिन समस्या के रूप में उसके सामने अपने हाथ में फूलों की माला को लेकर खड़ी हुई, उसके इंतजार में एक सौ बीस अद्वितीय स्वर्गीय अप्सराए थी, इस प्रकार से उन सबने राजा को आगे बढ़ने से रोक दिया।

 

       उन्होने कहा राजकुमार तुम कहा जा रहे हो? यह हम सब का कर्तव्य है कि हम इस कीले की रक्षा करे, अगर हमने तुम को यहां से आगे जाने दिया तो निश्चित है, कि हमारे साथ तुम्हारे उपर भी दुर्भाग्य पूरण विपत्ति की भयानक दुःख की वर्षा होगी। इसलिए हम सब तुम को यहां से आगे नहीं बढ़ने देने के लिए प्रार्थना करते हैं, क्या तुम एक सौ बीस लड़कियों की हत्या कर सकते हो जिसने तुम्हारा किसी प्रकार से अपमान या अकल्याण नहीं किया है।

 

      इस पर राजा ना कुछ बोल सका और ना ही वह कुछ कर ही सका। इस प्रकार से वह एक शूरवीर के रूप में अपने सभी विचारों के खिलाफ दूर चला गया, एक औरत ने उसे कुछ भी नहीं करने के लिए विनती की, यद्यपि जैसे ही वह झिझका, तभी उसके कान में एक आवाज आई-

 

    जल्दी से इन को मार दो, अन्यथा कभी भी तुम अपनी प्रेयसी राजकुमारी से नहीं मिल सकोगे।

 

    इस प्रकार से बिना किसी प्रकार का उत्तर अप्सरा को दिए ही, तत्काल वह अपनी तलवार से काटता और उनके मालों के साथ उनके शरीर के अंगों को तीतर बितर बिखेरता हुआ वह अपने मार्ग से उन को दूर करता हुआ आगे बढ़ने लगा, जिसके बाद वह उस गुप्त स्थान पर पहुंचा जहां पर उसकी राजकुमारी दिखाई दी। वह एक छोटी सी नदी के किनारे पीली और उदास बैठी थी, जब उसके पास राजकुमार पहुंचा, तो उसने अपने आप को उसके पैरों में डाल दिया। लेकिन राजकुमारी ने उसकी तरफ से क्रोधित अवस्था में अपना चेहरा घूमा लिया, क्योंकि उनसे राजकुमार को भी पीले बौने के समान ही मक्कार समझा, जैसा कि वह पीले बौने को देख करती थी।

 

     इस पर रोते हुए राजकुमार ने उससे कहा तुम इस प्रकार से मुझ पर क्रोधित मत हो। मैं तुम को बताना चाहता हूं, जो भी घटना घटी है, उसमें मैं किसी प्रकार से तुम्हारे अविश्वास या आरोप के योग्य नहीं हूं, मैं एक दुखी नीच हूं जिसने तुम को स्वयं से मदद किए बिना नाराज़ कर दिया है ।

 

      आह! रोते हुए बेल्लीसिमा ने कहा, "क्या मैंने नहीं देखा कि तुम हवा के मार्ग से मेरी कल्पना से भी सुन्दर औरत के साथ यात्रा कर रहे थे, क्या यह सब तुम्हारे इच्छा के विपरीत हो रहा था? 

 

      इस पर राजकुमार ने उससे कहा वस्तुतः वह मेरे साथ कोई राजकुमारी नहीं थी, यद्यपि वह रेगिस्तान की परी थी जो मुझे अपने रथ पर अपने साथ लेकर पृथ्वी के दूसरे कोने पर गई थी, और वहां पर उसने मुझे चट्टान में जंजीर से बाँध कर अपना दास बना कर रखा था, उसकी कैद से मैं बड़ी मुश्किल से आशा रहित सहायता  अपनी मित्र मत्स्यांगना के द्वारा प्राप्त मुझे प्राप्त हुई, जिसने मुझे तुम्हारे जीवन को जोखिम से निकालने के लिए, मुझे तुम्हारे पास पहुंचाया है, क्योंकि अयोग्य हाथों ने, तुम्हें अपना बनाने के लिए, इस तरह से कैद करके रखा है। कभी भी तुम अपने विश्वसनीय श्रद्धावान प्रेमी का त्याग मत करो। इस प्रकार राजकुमार ने कह अपने उसके सामने झुक कर उसको उसके कंधे से पकड़ लिया। लेकिन इस समय एक बुरी घटना घट गई, जो उसने जादुई हीरे की तलवार मत्स्यांगना के द्वारा दी गई ली थी वह उसके हाथ से जमीन पर गिर गई, और पीला बौना वहीं चुकन्दर के पास सिमट कर बैठा था, जिसने जैसे ही तलवार को गिरते हुए देखा, वह तत्काल अपने स्थान से निकल कर तलवार को जल्दी से अपने अधिकार में कर लिया, क्योंकि वह यह जान चुका था कि इस उस तलवार में अद्भुत शक्ति छिपी हुई है।

     

     पीले बौने को ऐसा करते हुए जैसे ही राजकुमार ने देखा, वह आतंक के भय से रोने लगा, यद्यपि पीला बौना शैतान उसको देख कर केवल थोड़ा ला चिढ़ गया, और उसने कुछ जादुई शब्दों को अपने मुँह से कहा तभी वहां पर दो खतरनाक दैत्य प्रकट हो गए, और उन्होने राजकुमार को पकड़ कर मजबूत लोहे की जंजीर से बाँध दिया।

 

       जिसके बाद पीले बौने ने कहा मैं अपनी प्रतिद्वंद्वी के दुर्भाग्य का मालिक हूं, फिर भी मैं तुम्हारे जीवन को बिना किसी प्रकार का नुकसान पहुँचाए ही यहां से जाने की आज्ञा दे सकता हूं, यदि तुम मुझ से विवाह करने को राजकुमारी तैयार कर दोगे।

 

     इस पर चीखते हुए अप्रसन्न राजकुमार ने कहा इसके बजाय मैं हजार बार मरना चाहता हूं।

 

      इस पर राजकुमारी ने रोते हुए, निश्चित रूप से तुम मर जाओगे, इससे भी भयानक कोई वस्तु मेरे लिए हो सकती है।

 

     इस पर राजकुमार ने कहा यदि मैं ऐसा नहीं करता हूं तो इस दुष्ट से विवाह करने के बाद और भी भयानक दुःख को सहने के लिए विवश होगी।

 

     इस पर इससे अच्छा है, की हम दोनों एक साथ मर जाए।

  

     इस पर राजकुमार ने कहा- मुझे मेरी राजकुमारी के साथ मरने बहुत अधिक प्रसन्नता होगी।

 

     ओह, नहीं – नहीं! रोते हुए उसने पीले बौने की तरफ देख कर उससे कहा, वस्तुतः मेरी भी इच्छा तुम्हारे इच्छा जैसी ही है।

 

      क्रूर राजकुमारी चीखते हुए राजकुमार ने कहा- तुम मेरे जीवन को और अधिक बनाने वाली हो, जो मेरी आँखों के सामने ही तुम किसी दूसरे से विवाह करवे के लिए तैयारी कर रही हो?

 

    इस पर पीला बौना चिल्ला कर कहा ऐसा नहीं होगा, क्योंकि तुम मेरे प्रतिद्वंद्वी हो, मुझे तुम से बहुत भय लगता है, तुम मेरा राजकुमारी के साथ विवाह नहीं देखोगे। इस प्रकार से कह वह बिना किसी प्रकार के बेल्लीसिमा के आंसू और रोने पर ध्यान दिये हुए, आगे बढ़ कर हीरे की तलवार को राजकुमार के सीने में निर्दयता की सभी सीमा को पर करते हुए गाड़  दिया।

 

     जब राजकुमारी ने अपने प्रियतम को मर कर उसके पैरो के पास जमीन पर गिरते हुआ देखा, वह उसके बिना एक पल भी जिंदा नहीं रह सकी, इस दुःख को देख कर उसका हृदय फट गया और वह भी मर गई।

    

      इस तरह से वे दोनों अभाग्य शाली प्रेमी का अंत हो गया, जिनकी सहायता स्वयं मत्स्यांगना भी नहीं कर सकी, क्योंकि उसकी सभी प्रकार की शक्ति हीरे की तलवार के साथ पीले बौने के आदमी के पास पहुंच चुकी थी।

 

    जैसा कि कुरूप पीले बौने ने अपनी मनपसंद राजकुमारी को इस प्रकार से देखा, वस्तुतः इससे अच्छा था होता की वह सोने के खान के राजा से ही विवाह कर लेती। और रेगिस्तान की परी ने जब राजकुमार के जोखिम भरा कारनामा के बारे में सुना तो वह अपने द्वारा बनाए गये राजा के स्तूप पर से माला को नीचे उतार दिया, और वह उसके उपर बहुत अधिक क्रोधित हुई, जिसने उसके साथ धोखा किया था, जैसा कि वह उससे पहले प्रेम करती थी उसी प्रकार से वह बाद में उससे नफरत करने लगी।

 

     दयालु मत्स्यांगना बहुत अधिक दुःखी इन दुर्भाग्य पूर्ण प्रेमिकों पर, इस कारण से उसने उन दोनों को उसने दो बड़े ताड़ के वृक्ष में बदल दिया, जो एक दूसरे के साथ आमने सामने ही हमेशा उपस्थित रहते थे, और वह आपस में अपने प्रेम की बातें किया करते थे, जब हवा के द्वारा उनकी साखा एक दूसरे से जुड़ते थे।  

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