Ad Code

अनूठी दरियादिली

 

अनूठी दरियादिली

हजरत अबू बकर मदीना के खलीफा थे। वे पता लगाया करते थे कि शहर में कोई आदमी भूखे पेट तो नहीं सोता है । कहीं किसी व्यक्ति को अभाव का जीवन तो नहीं बिताना पड़ रहा है । पता लगते ही वे चुपचाप अभावग्रस्त की मदद करने के लिए स्वयं पहुँच जाते । वे अपने वजीर से कहा करते थे कि जरूरतमंद की सहायता करना प्रत्येक इनसान का फर्ज है । इससे बड़ा धर्म कोई नहीं ।

एक बार हजरत साहब को पता चला कि एक झोंपड़ी में नि: संतान मियां- बीवी रहते थे, लेकिन पति के मर जाने से वृद्धा के सामने रोटी तक की समस्या पैदा हो गई है, क्योंकि उसके पास आमदनी का कोई साधन नहीं है ।

खलीफा सवेरे उसकी झोंपड़ी में पहुँचे। झोंपड़ी में झाड़ लगाकर उन्होंने सफाई की , वृद्धा के खाने के लिए खजूर और अन्य सामान रखा, फिर चुपचाप लौट गए । वृद्धा सोकर उठी । उसने झोंपड़ी में रखा सामान देखा, तो सोचा कि कोई दरियादिल आदमी उसकी बेबसी पर दया करके सामान रख गया होगा। हजरत रोज सुबह चुपचाप जरूरत का सामान लेकर जाते, झोंपड़ी की सफाई करते और वापस लौट आते ।

एक दिन महिला ने सोचा कि इस दरियादिल इनसान को देखना चाहिए । सुबह जैसे ही उसे किसी के आने की आहट हुई कि वह झोंपड़ी के दरवाजे पर पहुँची । उसने दीया जलाया और रोशनी में देखा कि उसकी सेवा करने वाले स्वयं खलीफा हैं । उन्हें देखकर उसकी आँखों में खुशी के आँसू आ गए ।


Post a Comment

0 Comments

Ad Code