हमारी पृथ्वी की परिधि लगभग 25 हजार मील या 40 हजार 233.6 किलोमीटर है, इसका व्यास 8 हजार मील या 12874.752 किलोमीटर है, और इसका क्षेत्रफल 19 करोड़ 70 लाख वर्ग मील या 510228030 करोड़ वर्ग किलोमीटर है,अतः यह अपनी धुरी पर 23 घंटे,56 मिनट और 4 सेकंड में एक चक्र लगाती है, जबकि सूर्य के गिर्द यह 29.76 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से चक्र लगा रही है,जो यह 365.2564 दिनों में पूरा करती है,यह सारा खेल सूर्य की आकर्षण शक्ति का है,अन्यथा 29.76 किलोमीटर प्रति सेकंड से गति करने में कोई अर्थ नहीं है,
चंद्रमा किसी स्थिर ग्रह के गिर्द 27 दिन 7 घंटे और 43 मिनट में चक्र लगाता है,परंतु पृथ्वी क्योंकि खुद गति कर रही है, अतः यह चंद्रमा के चक्र लगाने के दौरान 30 डिगरी आगे बढ़ जाती है,इस कारण उसे पृथ्वी का चक्र लगाने में 29 दिन 12 घंटे और 44 मिनट लग जाते हैं,.
बुध को अपनी धुरी पर एक चक्र लगाने में 59 दिन लगते हैं, जबकि उसे सूर्य के गिर्द चक्र लगाने में 88 दिन लगते हैं,
शुक्र को सूर्य के गिर्द चक्र लगाने में तो 225 दिन लगते हैं,पर अपनी धुरी पर चक्र लगाने में 243 दिन लग जाते हैं,यह अपनी धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर चक्र लगाता है,जबकि पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्र लगाती है,मंगल 687 दिनों में सूर्य के गिर्द चक्र लगाता है; बृहस्पति 11 वर्षों में; शनि 29 वर्षों में,यूरेनस 84 वर्षों में और नेपच्यून 164 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है;जबकि अपनी धुरी पर मंगल 24 घंटे 37 मिनट में, बृहस्पति 9 घंटे 50 मिनट में, शनि 10 घंटे 47 मिनट में, यूरेनस 10 घंटे 42 मिनट में और नेपच्यून 15 घंटे 48 मिनट में चक्र लगाता है.
यह सब क्या है? पृथिवी पर दिनरात 24 घंटे का है और साल 365 दिनों का है,जबकि बुध का दिन रात हमारे 59 दिनों के बराबर है,पर उस के साल में सिर्फ 88 दिन हैं; मंगल का दिन रात 24 1/2 (साढ़े चौबीस घंटों का है,पर साल 687 दिनों का है; शनि का दिन रात 10 घंटे 47 मिनट का है,पर साल हमारे ग्यारह वर्षों के बराबर है; यूरेनस का दिनरात 10 घंटे 42 मिनट का है,पर साल हमारे 84 वर्षों के बराबर है; नेपच्यून का दिनरात 15 घंटे 48 मिनट का है पर साल हमारे 164 वर्षों के बराबर है.
यह सब इस बात पर निर्भर है कि कौन सा ग्रह कहां है,उस का आकार कितना है,उस की दैनिक और वार्षिक गति की रफ्तार कितनी है,इस में सूर्य की
आकर्षण शक्ति का मुख्य हाथ है. यह किसी बुद्धिमान की बुद्धिमत्ता का नहीं
बल्कि अराजकता का प्रमाण है, जो ग्रह कक्षा में जहां फिट हो गया और जितने कम या ज्यादा जोर से घूम रहा है; अपनी धुरी और सूर्य के गिर्द उतने जोर से ही
सूर्य की आकर्षण शक्ति के वशीभूत हुआ घूम रहा है,पृथ्वी एक हजार (1037.
5646) मील अथवा 1660 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से ज्यादा तेजी से अपनी धुरी पर घूम ही नहीं सकती तो दिनरात 24 घंटों में ही बनेंगे,इस में किस की कौन सी महिमा है.?.जब तक वह गुरुत्वाकर्षण से बंधी है, घूमती ही जाएगी,इसे कोई रोक नहीं सकता,इसमें किसी की कौन सी किसकी बुद्धिमत्ता है.?.पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूम रही है,पर शुक्र पूर्व से पश्चिम की ओर घूम रहा है,इसमें किसी की क्या बुद्धिमत्ता है.?.
( नोट- इस किताब का नाम भले ही चार्वाक दर्शन हो पर इसमें जानकारी अत्याधुनिक वैज्ञानिक है,इतनी पेचीदा जानकारियों को आम आदमी के लिए यहाँ कोई मतलब नहीं था पर भक्तों ने मजबूर किया तो जानकारी उड़ेल दी,आप भी अवलोकन कीजिए).
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