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बाईबल में गुलामप्रथा

 बाईबल में गुलामप्रथा


१. जब तुम कोई स्त्रि दास मोल लो, तब वह छः वर्ष तक सेवा करता रहे, और सातवें वर्ष स्वतन्त्र होकर सेंतमेंत चला जाए। -निर्गमन (29:2)

२. यदि उसके स्वामी ने उसको पत्नी दी हो और उससे उसके बेटे वा बेटियाँ उत्पन्न हुई हों, तो उसकी पत्नी और बालक उस स्वामी के हीही रहें, और वह अकेला चला जाए। -निर्गमन (२१ : ४)

३.यदि कोई अपने दास वा दासी को सोंटे से ऐसा मारे कि वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको निश्वय दण्ड दिया जाए। -निर्गमन (२१: २०)

४. परन्तु वह दो-एक दिन जीवित रहे, तो उसके स्वामी को दण्ड न दिया जाए; क्योंकि वह दास उसका धन है। -निर्गमन (२१: २१)

५. तो सुतारी लेकर उसका कान किवाड़ पर लगाकर छेदना, तब वह सदा तेरा दास बना रहेगा। -व्यवस्थाविवरण (१५ : १७)

६. हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे उनकी

भी आज्ञा मानो। -इफिसियों (६ : ५ )

७. हे सेवको, जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उनकी आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्न करनेवालों की नाई

दिखाने के लिए नहीं, परन्तु मन की सिधाई और परमेश्वर के भय से। -कुलुस्सियों (३: २२)

८. हे सेवको, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी। -१ पतरस (२:१८)

९. और तुम अपने पुत्रों को भी जो तुम्हारे बाद होंगे उनके अधिकारी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहरें; उनमें से तुम सदा अपने लिए दास लिया करना, परन्तु तुम्हारे भाईबन्धु जो इस्राइली हों उनपर अपना अधिकार कठोरता से न जताना। -लैव्यव्यवस्था

देखिए बाईबल गुलाम प्रथा को न केवल मान्यता देता है अपितु उनके साथ अमानवीय बर्बरता पूर्ण क्रूर व्यवहार की अनुमति भी देता है।

वेदानुकूल स्वतन्त्र जीवनयापन करने का बाईबल में प्रमाण-

"यदि तू दास की दशा में बुलाया गया हो तो चिन्ता न कर; परन्तु यदि तू स्वतन्त्र हो सके, तो ऐसा ही काम कर। -१ कुरिन्थियों (७: २१)

वेदों में मानवता

१. दृते दृंहमा मित्रस्य मा चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम् ।

मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे। मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।।

-यजुर्वेद (३६ /१८)

वे ही धर्मात्मा जन हैं जो अपने आत्मा के सर्व सभी प्राणियों को मानें

किसी से भी द्वेष न करें और मित्र के सदृश सबका सदा सत्कार करें।

२. सहृदयं सांमनस्यमविद्वेषं कृणोमि वः।

अन्यो अन्यमभि हर्यत वत्सं जातमिवाध्या।॥।-अथ्वविद. (३/ ३०/१)

प्रेम पूर्वक हृदय के भाव, मन के शुभ विचार और आपस की निर्वैरता आप अपने घर में स्थिर कीजिए। तुम्हारे में से हरेक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ ऐसा प्रेमपूर्वक बर्ताव करे कि जिस प्रकार नए उत्पन्न हुए बछड़े से उसकी गौ माता प्यार करती है।

३. समाना हृदयानि वः। -ऋग्वेद (१०/१६१/४)

सभी प्राणीमात्र के प्रति आपके हृदय आदर व प्रेमभाव से भरे हों।

यहां तक कि मार्टिन लूथर किंग गुलाम प्रथा का समर्थन निम्नलिखित शब्दों में करते हैं।

1524: Luther -no friend of the downtrodden - encourages savagery of German princes in putting down the two- year Peasants' Revolt

"My advice... is: First, that their synagogues be burned down, and that all who are able toss sulphur and pitch; it would be good if someone could also thrOw in some hellfire." Martin Luther ("On the Jews and their lies" 1543)

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