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अध्याय III, खंड III, अधिकरण IV

 


अध्याय III, खंड III, अधिकरण IV

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अधिकरण सारांश: उद्गीथ विद्या के 'ॐ' को विशिष्ट बनाना उपयुक्त है, क्योंकि 'ॐ' सभी वेदों में समान है

ब्रह्म-सूत्र 3.3.9: 

व्याप्तेश्च समञ्जसम् ॥ 9 ॥

व्याप्तेः – क्योंकि (ॐ) सम्पूर्ण वेदों में व्याप्त है ; तथा; समान्जसम् – उपयुक्त है।

9. और चूँकि (ओ3म्) सम्पूर्ण वेदों में व्याप्त है, इसलिए ( उद्गीथ शब्द द्वारा इसका विशिष्टीकरण करना ) उचित है।

चूंकि 'ओम' सभी वेदों में समान है, इसलिए हमें यह समझना होगा कि किस विशेष 'ओम' का ध्यान करना है। यह निर्दिष्ट करके कि 'ओम' जो कि उद्गीथ का एक भाग है, उसका ध्यान करना है, हम सीखते हैं कि यह सामवेद का ' ओम ' है । "हमें उद्गीथ के 'ओम' अक्षर का ध्यान करना चाहिए" (अध्याय 1. 1. 1) ।




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