सूर्य के वंशज
(एक प्रेम कथा)
(लेखक मनोज पाण्डेय)
लेकिन कमलमित्र आगे बढ़ कर उसको थाम कर, उसे अपनी बाँहों में पकड़ लिया। फिर जब वे एक साथ खड़े हुए, तो वृद्ध तपस्वी ने उनको श्राप देते हुए, धीरे कहा अपमानजनक प्रेमियों, अब वह सुंदरता जो इस विद्रोह को कभी भी उचित इनाम के साथ मिलती है। अब तुम दोषी हो, मरे हुए गर्भ में जन्म लोगों और निचले दुनिया में अलग होने की पीड़ा से पीड़ित होगे, जब तक कि तुम मानव दुःख की आग में अपने अपराध को दूर नहीं कर लेते।
फिर अलगाव के श्राप को सुनने के बाद, अगाध दुःख से भर कर वह दोनों एकान्त बीहड़ जंगल में उस संत के चरणों में गीर पड़े। और उनसे विनती करते हुए कहा, कृपया आप श्राप को कुछ कम करें, हमारे श्राप की सीमा को निश्चित करें। और फिर संत ने कहा कि इस श्राप का तभी अंत होगा, जब तुम दोनों में से कोई एक किसी एक की हत्या कर देगा।
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