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शुबासदूर्बाकर

साल 1986 में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था अंकुश। ये फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर के करियर की उन चंद शुरुआती फिल्मों में से एक है जिससे ये साबित हुआ था कि नाना पाटेकर वाकई में अव्वल दर्जे के अभिनेता हैं। अंकुश उस साल की एक सफल फिल्म थी। सभी एक्टर्स के साथ-साथ डायरेक्टर एन.चंद्रा के काम को भी खूब सराहा गया था।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंकुश की सफलता के लिए सबसे अधिक मेहनत किसने की थी? आप शायद नहीं जानते होंगे। कोई नहीं, मैं आपको बताऊंगा। अंकुश फिल्म के लिए अगर वाकई में सबसे पहले किसी की तारीफ होनी चाहिए तो वो हैं इसके प्रोड्यूसर सुभाष आर. दुरगकर जी। क्योंकि अगर सुभाष आर. दुरगकर मेहनत ना करते, अगर उन्होंने अपना सबकुछ दांव पर ना लगाया होता, तो अंकुश कभी बन ही नहीं पाती।

Kissa TV आज आपको Subhash R. Duragkar जी से, और उनकी कहानी से वाकिफ कराएगा। Subhash R. Duragkar जी ने अपने जीवन में कई कड़े इम्तिहानों के बाद एक सफल फिल्म प्रोड्यूसर होने का रुतबा हासिल किया है। यकीन कीजिएगा साथियों, आपको सुभाष आर. दुरगकर जी की ये कहानी ज़रूर पसंद आएगी।

05 जनवरी 1953 को Subhash R. Duragkar जी महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मे थे। इनके पिता डॉक्टर थे। बचपन से ही फिल्में देखना सुभाष आर. दुरगकर जी को बड़ा पसंद था। बड़े हुए तो इन्होंने फैसला किया कि ये भी एक्टर बनेंगे। नागपुर के एक कॉलेज में ये बीएससी सेकेंड ईयर में आए ही थे जब इन्होंने मुंबई का रुख किया। और ये आ गए नामी फिल्म प्रोड्यूसर शशधर मुखर्जी के फिल्मालय एक्टिंग इंस्टीट्यूट में। ये वही फिल्मालय इंस्टीट्यूट था जहां महान एक्टर संजीव कुमार ने भी एक्टिंग की ट्रेनिंग ली थी। सुभाष आर. दुरगकर जी के बैच में भी महावीर शाह, राजा बुंदेला, मदन जैन और अवतार गिल जैसे लोग थे जो आगे चलकर फिल्म इंडस्ट्री के नामी एक्टर्स बने। 

सुभाष आर. दुरगकर ने दो साल तक फिल्मालय में अभिनय के गुर सीखे। फिल्मालय से डप्लोमा लेने के बाद इन्होंने काम तलाशना शुरू किया। उस दौर के हर बड़े प्रोड्यूसर से मिले। लेकिन किसी ने भी इन्हें काम नहीं दिया। काम मिलने की उम्मीद में काफी वक्त यूं ही गुज़र गया। ऐसे में ज़िंदगी चलाने के लिए सुभाष आर. दुरगकर जी ने एक बिजनेस शुरू किया। और उस बिजनेस में इन्हें सफलता भी मिली। पैसे कमाकर इन्होंने मुंबई के जुहू में एक फ्लैट खरीदा। उस वक्त इनके जानकारों को लगा कि अब तो फिल्मों का जुनून इनके सर से उतर चुका होगा। मगर ऐसा नहीं था। फिल्मों के प्रति जो दीवानगी इनके मन में थी, वो अब भी कम नहीं हुई थी। हालांकि इस वक्त तक ये फैसला कर चुके थे कि अब ये एक्टर नहीं, फिल्म प्रोड्यूसर बनेंगे।

सुभाष आर. दुरगकर जी ने एक अच्छी कहानी की तलाश करनी शुरू कर दी। ये कई लेखकों से मिले। और आखिरकार देबू सेन नामक एक लेखक की कहानी सुभाष जी को पसंद आ गई। सुभाष जी ने जब देबू सेन से वो कहानी मांगी तो उन्होंने बताया कि कहानी के राइट्स तो एन.चंद्रा के पास है। आपको ये कहानी उनसे ही लेनी होगी। फिर जब ये एन.चंद्रा से मिले तो उन्होंने कहा कि कहानी मैं आपको ज़रूर दूंगा। साथ ही एन. चंद्रा ने सुभाष आर. दुरगकर को इशारा दिया कि वो ये फिल्म डायरेक्ट भी करना चाहते हैं।। 

उस ज़माने में एन.चंद्रा फिल्म एडिटर हुआ करते थे। और गुलज़ार साहब के असिस्टेंट के तौर पर भी काम करते थे। चूंकि सुभाष आर. दुरगकर को अंकुश की कहानी बहुत पसंद आई थी तो उन्होंने फैसला किया कि इस फिल्म को प्रोड्यूस ज़रूर करेंगे। और एन.चंद्रा से ही फिल्म डायरेक्ट कराएंगे। और मात्र 251 रुपए का साइनिंग अमाउंट देकर, तथा 15 हज़ार रुपए पूरी फिल्म डायरेक्ट व एडिट करने के लिए सुभाष आर. दुरगकरर जी ने एन.चंद्रा को अंकुश फिल्म के लिए हायर किया। इस तरह अंकुश एन. चंद्रा जी की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म भी बन गई। 

अंकुश पर काम शुरू हुआ। ज़ोर-शोर से शुरू हुआ। लेकिन फिल्म की शूटिंग कुछ दिनों के बाद रुक गई। क्योंकि सुभाष आर. दुरगकर जी के पास पैसा खत्म हो गया। चूंकि अंकुश सुभाष जी की पहली फिल्म थी तो वो इस फिल्म को किसी भी हाल में पूरा करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक बहुत बड़ा रिस्क लिया। ऐसा रिस्क जो कोई भी इंसान लेने से पहले सौ दफा सोचेगा। सुभाष आर. दुरगकर जी ने अपनी मेहनत की कमाई से जुहू में जो फ्लैट खरीदा था, अंकुश फिल्म कंप्लीट करने के लिए उन्होंने उसे बेच दिया। और कुछ पैसों की ज़रूरत पड़ी तो सुभाष जी ने बैंक से लोन लिया। और बड़ी मेहनत से अंकुश को कंप्लीट करके रिलीज़ किया।

अंकुश रिलीज़ हुई तो इस फिल्म ने लोगों का दिल जीत लिया। फिल्म सुपरहिट रही। नाना पाटेकर साहब के करियर को अंकुश ने बहुत फायदा पहुंचाया। और आज भी अंकुश नाना पाटेकर जी की टॉप फिल्मों में से एक मानी जाती है। यहां ये बताना भी ज़रूरी है कि इंटरनेट पर बहुत जगह ऐसी बातें लिखी हैं जिनमें कहा जाता है कि अंकुश फिल्म के लिए नाना पाटेकर ने भी अपना घर गिरवी रख दिया था। और डायरेक्टर एन.चंद्रा ने अपना मकान बेच दिया था। मगर ये बातें पूरी तरह से सच नहीं हैं।। घर किसी का बिका था तो वो थे प्रोड्यूसर सुभाष आर. दुरगकर। जबकी सुभाष आर. दुरगकर ने वो घर बहुत मेहनत करने के बाद खरीदा था। नाना पाटेकर जी का कोई पैसा अंकुश में नहीं लगा था। हां, डायरेक्टर एन.चंद्रा साहब ने ज़रूर इस फिल्म को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई थी। एन.चंद्रा जी ने भी अंकुश फिल्म को कंप्लीट करने में अपना काफी पैसा खर्च किया था। और इस तरह एन.चंद्रा अंकुश के डायरेक्टर के साथ-साथ को-प्रोड्यूसर भी बन गए थे।

अंकुश फिल्म के बारें में बात करते हुए सुभाष आर. दुरगकर जी ने बताया कि उन्होंने नाना पाटेकर को अंकुश में काम करने के बदले 10 हज़ार रुपए फीस दी थी। जबकी 20 रुपए रोज़ कन्वेयंस दिया था। अंकुश की शूटिंग जब शुरू होने वाली थी तब नाना पाटेकर ने फिल्म में काम करने से इन्कार कर दिया था। हुआ कुछ यूं था कि सुभाष आर. दुरगकर जब एक दिन नाना पाटेकर के घर पहुंचे और उन्हें बताया कि परसों अंकुश की शूटिंग शुरू होने जा रही है, तो पता नहीं किस बात पर नाना पाटेकर भड़क गए। उन्होंने सभी कॉस्ट्यूम्स, जो अंकुश के लिए उन्हें दी गई थी, वो एक खिड़की से बाहर फेंक दी और सुभाष आर. दुरगकर जी से कहा,"उठाओ और ले जाओ अपनी कॉस्ट्यूम्स। मैं तुम्हारी फिल्म में काम नहीं करूंगा।"

उस दिन तो सुभाष आर. दुरगकर निराश होकर नाना पाटेकर के घर से लौट आए। मगर जब शूटिंग के दिन वो सुबह-सुबह सेट पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि नाना पाटेकर तो उनसे भी पहले सेट पर पहुंच चुके थे। और उन्हें देखते ही नाना पाटेकर ने बोले,"नमस्कार सुभाष जी। मैं आ गया हूं। आज से काम शुरू।" नाना पाटेकर को सेट पर देखकर सुभाष जी भी काफी खुश हुए थे। नाना जी ने भी अंकुश में कड़ी मेहनत से काम किया। एक दफा जब सुभाष आर. दुरगकर जी के पास पैसे कम पड़ गए तब नाना पाटेकर जी ने ही अपने एक परीचित की मदद से सुभाष जी को बैंक से 1 लाख रुपए लोन दिलाया था।  

अंकुश के बाद सुभाष आर. दुरगकर जी ने काफिला फिल्म प्रोड्यूस की थी जो साल 1990 में रिलीज़ हुई थी। काफिला में जूही चावला, परेश रावल, सदाशिव अमरापुरकर, अमोल गुप्ते, देवेन भोजानी सहित कई अन्य कलाकारों ने काम किया था। मगर उसके बाद ये अपने निजी जीवन में कुछ ऐसे व्यस्त हुए कि अगले 14 सालों तक इन्होंने किसी फिल्म का निर्माण नहीं किया। फिर 2005 में सुभाष जी की एक फिल्म आई जिसका नाम था एक पल प्यार का। और फिर तो इन्होंने रीज़नल फिल्मों पर अधिक फोकस करना शुरू कर दिया। कई मराठी, भोजपुरी, हरियाणवी व गुजराती फिल्मों का निर्माण इन्होंने किया। आज भी कर रहे हैं। और हमेशा प्रयास करते हैं कि नए कलाकारों को ये अधिक से अधिक मौके दे सकें।

चूंकि सुभाष आर. दुरगकर जी किसी वक्त पर एक्टर बनना चाहते थे। तो अपनी वो ख्वाहिश उन्होंने अपनी बनाई फिल्मों में छोटे-छोटे कैरेक्टर्स निभाकर पूरी की। अंकुश में भी सुभाष जी ने एक बडा़ ही छोटा सा किरदार जिया था। अपनी अन्य कुछ फिल्मों में भी सुभाष आर. दुरगकर जी ने छोटे-छोटे कैरेक्टर्स प्ले किए थे। सुभाष जी की निजी ज़िंदगी की तरफ रुख करें तो पता चलता है कि इनके दो बच्चे हैं। बेटा तुषार और बेटी टिमिशा। सुभाष जी के दोनों बच्चे फिल्म निर्माण में इनकी मदद करते हैं। किस्सा टीवी आशा करता है कि सुभाष आर. दुरगकर हमेशा स्वस्थ रहें और जी यूं ही फिल्में बनाते रहें। जय हिदं। जय भारत। #subhashrduragkar #Ankush #biography #BiographyinHindi #KissaTV

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