शंकर(दिलीप कुमार) और कमला(मधुबाला) बचपन के दोस्त हैं। लेकिन किन्हीं वजहों से दोनों बिछड़ जाते हैं। दोनों सालों बाद मिलते हैं। और दोनों एक-दूजे को पसंद करने लगते हैं। लेकिन बीते वक्त में शंकर के जीवन में कुछ ऐसी बातें भी हुई हैं जो वो कमला को कभी बताना नहीं चाहता। शंकर और कमला की शादी तय हो जाती है। मगर शादी से ठीक कुछ दिन पहले एक आदमी शंकर के पास आता है और उससे कहता है कि वो कमला से शादी कैसे कर सकता है? जबकी वो पहले से शादीशुदा है।
उस वक्त पता चलता है कि शंकर की लालची मां ने दौलत के लालच में उसकी शादी एक दिमागी रूप से कमज़ोर महिला से करा दी थी। वो महिला पागल जैसी ही है। उसे तहखाने में बंद करके रखा जाता है। कमला को भी शंकर के काले अतीत की जानकारी मिलती है। कमला का दिल टूट जाता है। वो शंकर से अपने सभी रिश्ते खत्म कर लेती है। शंकर उससे काफी मिन्नतें करता है कि वो शादी ना तोड़े। उसकी बात समझने की कोशिश करे। लेकिन कमला एक नहीं सुनती और अपने गांव लौट जाती है।
शंकर और कमला, दोनों का दिल बहुत बुरी तरह टूट जाता है। कुछ वक्त बाद कमला वापस लौटती है। लेकिन उसे पता चलता है कि शंकर की शादी जिस पागल महिला से हुई थी उसने गलती से पूरे घर को आग लगा दी थी। वो महिला खुद भी उस आग का शिकार हो जाती है। कमला जैसे-तैसे शंकर तक पहुंचती है। उसे पता चलता है कि उस आग में घर को जलने से बचाने की कोशिश में शंकर भी आग का शिकार हो गया है। शंकर की जान तो बच गई है। लेकिन उसकी आंखों की रोशनी चली गई है।
कमला को खुद पर बहुत दुख होता है। वो सारी ज़िंदगी शंकर का साथ निभाने का वादा करती है और उसी के साथ रहने का फैसला करती है। ये है सरसरी तौर पर फिल्म संगदिल की कहानी का प्लॉट। तलवार फिल्म्स लिमिटेड के बैनर तले ये फिल्म डायरेक्ट-प्रोड्यूस की थी आर.सी.तलवार ने। संगीत दिया था सज्जाद हुसैन ने। कहानी और स्क्रीनप्ले व डायलॉग्स लिखे थे रामानंद सागर ने। व सभी गीत लिखे थे राजेंद्र कृष्ण जी ने।
इस फिल्म की कहानी आधारित है ब्रिटिश लेखिका शार्लोट ब्रोंटे के क्लासिक उपन्यास जेन आयर पर। ये उपन्यास 1847 में लिखा गया था। तराना(1951) के बाद संगदिल दिलीप कुमार और मधुबाला की जोड़ी की दूसरी फिल्म थी। फिल्म रिलीज़ हुई थी 28 नवंबर 1952 को। यानि आज इस फिल्म के 72 साल पूरे हो चुके हैं। फिल्म में कुल आठ गीत थे। और इस फिल्म के गीत पसंद किए गए थे। दो और गीत भी इस फिल्म के लिए रिकॉर्ड किए गए थे। लेकिन किन्हीं वजहों से उन्हें फिल्म में नहीं रखा गया था। वो गीत शमशाद बेगम व आशा भोसले जी ने गाए थेे।
इस फिल्म को मिक्स्ड रिव्यूज़ मिले थे। फिल्म इंडिया मैगज़ीन के एडिटर बाबूराव पटेल ने इस फिल्म को बहुत डुल, स्टूपिड और बोरिंग पिक्चर बताया था। हालांकि उन्होंने दिलीप कुमार की एक्टिंग की प्रशंसा ज़रूर की थी। मगर तमाम निगेटिव रिव्यूज़ के बाद ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी। किसी साथी ने अगर ये फिल्म देखी हो तो अपना नज़रिया कमेंट बॉक्स में ज़रूर साझा करें। ना देखी हो और देखने का मन हो तो यूट्यूब पर ये फिल्म मौजूद है। वहां देखी जा सकती है। #SangDiL #sangdil1952 #DilipKumar #Madhubala

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