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दिनांक - - २० दिसम्बर २०२४ ईस्वी

 *🕉️🙏ओ३म् सादर नमस्ते जी 🙏🕉️*



*🌷🍃 आपका दिन शुभ हो 🍃🌷*


दिनांक  - - २० दिसम्बर  २०२४ ईस्वी


दिन  - - शुक्रवार 


  🌖 तिथि --  पञ्चमी ( १०:४८ तक तत्पश्चात  षष्ठी )


🪐 नक्षत्र - -  मघा ( २७:४७ तक तत्पश्चात  पूर्वाफाल्गुन  )

 

पक्ष  - -  कृष्ण 

मास  - -  पौष 

ऋतु - - हेमन्त 

ऋतु  - - दक्षिणायन 


🌞 सूर्योदय  - - प्रातः ७:०९ पर  दिल्ली में 

🌞 सूर्यास्त  - - सायं १७:२८ पर 

 🌖चन्द्रोदय  --  २२:२६ पर

 🌖 चन्द्रास्त ११:०५ पर 


 सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,१२५

कलयुगाब्द  - - ५१२५

विक्रम संवत्  - -२०८१

शक संवत्  - - १९४६

दयानंदाब्द  - - २००


🍁🍀🍁🍀🍁🍀🍁🍀


*🚩‼️ओ३म्‼️🚩*


  🔥प्रश्न  - किस प्रकार का जीवन चलाने से मनुष्य को अधिकतम सुख की प्राप्ति हो सकती है?


  उत्तर  - निम्न प्रकार का जीवन चलाने से मनुष्य को अधिकतम सुख की प्राप्ति हो सकती है - आदर्श दिनचर्या, शीघ्र जागरण, भ्रमण, व्यायाम, स्नान, यज्ञ, ईश्वर का ध्यान, उत्तम पुस्तकों का स्वाध्याय, सत्य का पालन, राग- द्वेष रहित व्यवहार, दूसरों के धन और अधिकारों के ग्रहण न करने की इच्छा, परोपकार, समाज-राष्ट्र की उन्नति हेतु संगठन, त्याग, सेवा, बलिदान की भावना, मन में उत्तम कार्यों को करने और बुरे कार्यो को न करने का दृढ़ संकल्प, सात्विक भोजन, मधुर व्यवहार, आत्मनिरीक्षण, महापुरुषों विद्वानों का सत्संग, संयम, त्याग, तपस्या आदि गुण- कर्म स्वभाव को धारण करने से जीवन में. अधिकतम सुख की प्राप्ति हो सकती है। 


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*🚩‼️ आज का वेद मंत्र ‼️🚩*


*🌹 ओ३म् स्वस्ति मित्रावरूणा स्वस्ति पथ्ये रेवति।  स्वस्ति न इन्द्रश्चाग्निश्च स्वस्ति नो अदिते कृधि (ऋग्वेद)*


🌹 प्राण और उदान वायु सुखकर हो , वायु और विद्युत् हमारे लिए कल्याण करे, धनयुक्त बड़े मार्ग हमेशा सुख देने वाले हो।  ज्ञानमय अखन्डित परमेश हमारा सदा कल्याण करे। 


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🔥विश्व के एकमात्र वैदिक  पञ्चाङ्ग के अनुसार👇

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 🙏 🕉🚩आज का संकल्प पाठ 🕉🚩🙏


(सृष्ट्यादिसंवत्-संवत्सर-अयन-ऋतु-मास-तिथि -नक्षत्र-लग्न-मुहूर्त)       🔮🚨💧🚨 🔮


ओ३म् तत्सत् श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्रहरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे 【एकवृन्द-षण्णवतिकोटि-अष्टलक्ष-त्रिपञ्चाशत्सहस्र- पञ्चर्विंशत्युत्तरशततमे ( १,९६,०८,५३,१२५ ) सृष्ट्यब्दे】【 एकाशीत्युत्तर-द्विसहस्रतमे ( २०८१) वैक्रमाब्दे 】 【 द्विशतीतमे ( २००) दयानन्दाब्दे, काल -संवत्सरे,  रवि- दक्षिणायने , हेमन्त -ऋतौ, पौष - मासे, कृष्ण पक्षे, पञ्चम्यां

 तिथौ, 

  मघा नक्षत्रे, शुक्रवासरे

 , शिव -मुहूर्ते, भूर्लोके जम्बूद्वीपे, आर्यावर्तान्तर गते, भारतवर्षे ढनभरतखंडे...प्रदेशे.... जनपदे...नगरे... गोत्रोत्पन्न....श्रीमान .( पितामह)... (पिता)...पुत्रोऽहम् ( स्वयं का नाम)...अद्य प्रातः कालीन वेलायाम् सुख शांति समृद्धि हितार्थ,  आत्मकल्याणार्थ,रोग,शोक,निवारणार्थ च यज्ञ कर्मकरणाय भवन्तम् वृणे


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