क्या यहीं सत्य है?
एक बार कुछ यात्री कहीं की यात्रा कर रहे थे, कुछ दूर जाने के बाद वह जंगली मार्ग से गुजर रहे थे, उनको आगे के मार्ग का ज्ञान नहीं था, और कोई वहां पर दिखाई भी नहीं दे रहा था की उससे पूछे, की बस्ती या कोई गांव कहीं पास में है। जहां पर रात बिता सके क्योंकि रात होने वाली थी। कुछ दूर जाने के बाद उन्हें एक दो रास्ता दिखाई दिया और उससे पहले ही एक झोंपड़ी थी, जिसमें उन्होंने देखा की एक फकीर बैठकर अपनी साधना में लीन था। उन यात्रियों में से कुछ लोगों ने उसको आदर सम्मान के साथ नमस्कार किया, और उससे पूछा यदि आपको कोई कष्ट न हो, तो आप कृपया बताइये जो मार्ग बस्ती की तरफ जाता हो। हम सब यहां पर नए लोग है।
हमें ज्ञात नहीं है कि कौन सा मार्ग गांव की तरफ जा रहा है। उसमें दो मार्ग
थे एक मार्ग श्मशान की तरफ और एक गांव कि तरफ जाता था । उस सन्यासी उन लोगों को श्मशान
का मार्ग बताया, वह सब श्मशान पर पहुंच कर बहुत दुःखी हुए, और वहां से आकर गाव के
बाहर सन्यासी के झोंपड़े पास जाकर, वह सब उस सन्यासी को बिगड़ने लगे, तब
उसने कहा कि मेरे लिये वही गांव है। वास्तव में तुम जिसे गांव कहते हो वहां तो रोज
कोई ना कोई मरता है, मैं जिस गांव का पता तुम्हें बताया वहां कभी आज तक कोई मरा
नहीं है सभी जिन्दा हैं। यह सुन कर वह सब यात्री उसे पागल कहते हुए दूसरे रास्ते
से गांव में प्रवेश कर गये।
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