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बड़ा हुआ तो क्या हुआ……

 

👉 बड़ा  हुआ तो क्या हुआ……

 

🔶 एक शेर अपनी शेरनी और दो शावकों के साथ वन में रहता था। शिकार मारकर घर लेकर आता और सभी मिलकर उस शिकार को खाते। एक बार शेर को पूरा दिन कोई शिकार नहीं मिला, वह वापस अपनी गुफा के लिए शाम को लौट रहा था तो उसे रास्ते में एक गीदड़ का छोटा सा बच्चा दिखा। इतने छोटे बच्चे को देखकर शेर को दया आ गई। उसे मारने के बजाए वह अपने दांतो से हल्के पकड़ कर गुफा में ले आया। गुफा में पहुँचा तो शेरनी को बहुत तेज भूख लग रही थी, किन्तु उसे भी इस छोटे से बच्चे पर दया आ गई, और शेरनी ने उसे अपने ही पास रख लिया। अपने दोनों बच्चों के साथ उसे भी पालने लगी। तीनों बच्चे साथ - साथ खेलते कूदते बड़े होने लगे। शेर के बच्चों को ये नहीं पता था की हमारे साथ यह बच्चा गीदड़ है। वे उसे भी अपने जैसा शेर ही समझने लगे। गीदड़ का बच्चा शेर के बच्चों से उम्र में बड़ा था, वह भी स्वयं को शेर के दोनों बच्चों का बड़ा भाई समझने लगा। दोनों बच्चे उसका बहुत आदर किया करते थे।

 

🔷 एक दिन जब तीनों जंगल में घूम रहे तो अचानक उन के सामने एक हाथी आया। शेर के बच्चे हाथी को देखकर गरज कर उस पर कूदने को ही थे कि एकाएक गीदड़ बोला, “यह हाथी है हम शेरों का कट्टर दुश्मन इससे उलझना ठीक नहीं है, चलो यहाँ से भाग चलते है” यह कहते हुए गीदड़ अपनी दुम दबाकर भागा। शेर के बच्चे भी उसके आदेश के कारण एक दूसरे का मुंह देखते हुए उसके पीछे चल दिए। घर पहुँचकर दोनों ने हँसते हुए अपने बड़े भाई की कायरता की कहानी माँ और पिता को बताई, की हाथी को देखकर बड़े भैया तो ऐसे भागे जैसे आसमान सर पर गिरा हो और ठहाका मारने लगे। दूसरे ने हँसी में शामिल होते हुए कहा यह तमाशा तो हमने पहली बार देखा है शेर और शेरनी मुस्कराने लगे गीदड़ को बहुत बुरा लगा की सभी उसकी हँसी उड़ा रहे है। क्रोध से उसकी आँखें लाल हो गई और वह उफनते हुए दोनों शेर के बच्चों को कहा, “तुम दोनों अपने बड़े भाई की हँसी उड़ा रहे हो तुम अपने आप को समझते क्या हो?”

 

🔶 शेरनी ने जब देखा की बात लड़ाई पर आ गई है तो गीदड़ को एक और ले जाकर समझाने लगी बेटे ये तुम्हारे छोटे भाई है। इनपर इस तरह क्रोध करना ठीक नहीं है। गीदड़ बोला, “वीरता और समझदारी में मैं इनसे क्या कम हूँ जो ये मेरी हँसी उड़ा रहे है” गीदड़ अपने को शेर समझकर बोले जा रहा था। आखिर में शेरनी ने सोचा की इसे असली बात बतानी ही पड़ेगी, वरना ये बेचारा फालतू में ही मारा जाएगा। उसने गीदड़ को बोला, “मैं जानती हूँ बेटा तुम वीर हो, सुंदर हो, समझदार भी हो लेकिन तुम जिस कुल में जन्मे हो, उससे हाथी नहीं मारे जाते है। तुम गीदड़ हो। हमने तुम पर दया कर अपने बच्चे की तरह पाला। इसके पहले की तुम्हारी हकीकत उन्हें पता चले यहाँ से भाग जाओ नहीं तो ये तुम्हें दो मिनट भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे।” यह सुनकर गीदड़ बहुत डर गया और उसी समय शेरनी से विदा लेकर वहाँ से भाग गया ॥

 

🔷 स्वभाव का अपना महत्व है। विचारधारा अपना प्रभाव दिखाती ही है। स्वभाव की अपनी नियति नियत है।

 

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